कोई ग़म नहीं रहा,
जो ज़िन्दगी अधूरी रह गयी |
ख़ुशी इस बात की है ज्यादा,
जिद्द तुम्हारी पूरी हो गयी |
बड़े अरमान से जो,
एक आशियाँ बनाया था |
तुम्हारे ख्वाब से,
उसका हर कोना सजाया था |
तुम्हारे देखने से पहले ही,
बिजली की इनायत हो गयी | (१)
ख़ुशी इस बात की है ज्यादा,
जिद्द तुम्हारी पूरी हो गयी |
तुम्हारे साथ जो,
एक घरोंदा बनाया था
उँगलियों से उसका,
नक्सा उतारा था
पूरा होने से पहले ही,
लहरों से महब्बत हो गयी | (२)
ख़ुशी इस बात की है ज्यादा,
जिद्द तुम्हारी पूरी हो गयी
जब हम चले थे साथ साथ,
फिजा भी साथ साथ थी |
महक थी बहार में,
चांदनी भी साथ थी |
कुछ दूर भी न चल सके,
की क़यामत आ गयी | (३)
ख़ुशी इस बात की है ज्यादा,
जिद्द तुम्हारी पूरी हो गयी
कोई ग़म नहीं रहा,
जो ज़िन्दगी अधूरी रह गयी
ख़ुशी इस बात की है ज्यादा,
जिद्द तुम्हारी पूरी हो गयी
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