[ Hindi Poetry on Love – Smile a Bit ]
हँस ले जरा ,ये आज फिर हँसने की घड़ी है
रोने के लिए तेरी सारी उम्र पड़ी है.
तू ढूढ़ता है क्यों वफ़ा इस दौर में यहाँ
ये गुजरी हुई रश्म किताबो में पड़ी है
मरने का हौसला है गर तो कर ले इश्क तू
वो देख तेरे दर पे आके मौत खड़ी है
पुरनम है चाँद और खुशनसीब चांदनी
फिर भी मेरी दुनिया ये क्यूँ वीरान पड़ी है
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