इतनी शर्तों में उनको बाँध के ……… हम मोहब्बत की कसमें खाते हैं ,
वो नादान फिर भी देखो ना …… हमारी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।
वो कहते हैं थोड़ा करीब आओ …… नज़र को नज़र से ज़रा मिलो ,
हम कहते हैं उनसे , ये नज़र ना मिलेगी ……… आज इस नज़र की पहले नज़र उतरेगी ,
अपनी शर्तों पर तब थोड़ा इठला के ……… हम मोहब्बत की कसमें खाते हैं ,
वो नादान फिर भी देखो ना …… हमारी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।
वो कहते हैं लबों की आग को …… चलो लबों से बुझाने की साजिश करें ,
हम कहते हैं उनसे , कि ये लब हमारे ……… आज लबों को तुम्हारे , कुछ कह ना सकें ,
अपने लबों से तब मुस्कुरा के ……… हम मोहब्बत की कसमें खाते हैं ,
वो नादान फिर भी देखो ना …… हमारी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।
वो लेना चाहें अपनी बाहों में …… हमें तड़प के यूँ बार-बार ,
हम बाहों को उनकी , अपनी बाहों से ……… देते हैं बार-बार धुत्कार ,
अपनी इसी शोखी को दिखा के ……… हम मोहब्बत की कसमें खाते हैं ,
वो नादान फिर भी देखो ना …… हमारी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।
वो कहते बस जी भर के , करने दो नज़ारा ……अपने यौवन का प्यारा-प्यारा ,
हम यौवन की , बेबाक जवानी को ढक ……… कर देते उनको सिर्फ बेचारा ,
फिर ले अंगड़ाई यौवन की , उनको दिखा के ……… हम मोहब्बत की कसमें खाते हैं ,
वो नादान फिर भी देखो ना …… हमारी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।
वो कहते , मिलने का कोई वक़्त बताओ …… हमें अपने संग वहाँ जीना सिखाओ ,
हम कहते , हर वक़्त पे पहरा होगा ……… इसलिए हर मुमकिन वक़्त , सिर्फ हमारा होगा ,
अपनी इस शर्त से , उनको और चिढ़ा के ……… हम मोहब्बत की कसमें खाते हैं ,
वो नादान फिर भी देखो ना …… हमारी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।
बस एक शर्त उन्होंने , अब हमसे ऐसी रख दी …… कि सारी शर्तों की , ऐसी-तैसी कर दी ,
कि जब भी बुलाएँगे , हम अब उनको ……… वो ना कहेंगे , तब कुछ भी करने को ,
ऐसी भोली सी सोच , उनकी सोच के ……… हम मोहब्बत की कसमें खाते हैं ,
वो नादान फिर भी देखो ना …… हमारी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।
हमने अब बुलाया , उन्होंने सताया …… सारी शर्तों का बदला चुकाया ,
हम गिरने लगे तब , बेचैनी से ……… उन्होंने पकड़ा और दामन बचाया ,
इतनी शर्तों में उनको , अब बाँध के ……… हम टूटे-टूटे से जाते हैं ,
हम नादान अब देखो ना …… उनकी हर अदा पे मुस्कुराते हैं ।।
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