
Hindi Romantic Poem – Jee To Chaahta Tha
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जी तो चाहता था  ……….  कि चूम लूँ तेरे लब  ……… जो थे बड़े मस्ताने ,
अपने होठों को  ……… उन पर रख के  …… लिख दूँ कई अफ़साने ।
जी तो चाहता था   ……….
बड़ी मुददत के बाद  ……….  आज तुझे देख के ……… ये दिल था शरमाया  ,
तू रुकेगा जरूर मुझे देख के  ………  ये सोच के …… ये कदम था मैंने भी ठहराया ।
जी तो चाहता था   ……….
तू रुका नहीं  ………. चलता रहा  ……… मगर तेरी नज़र मुझसे मिली ,
मुझे देख के  ……… ना जाने क्यूँ  ……… तेरी धड़कन भी थी थोड़ी रुकी ।
जी तो चाहता था   ……….
पता नहीं ……….  कई बार तेरे ख्यालों से ……… क्यूँ ये दिल बहकता जाता था ?
मैं सोचती थी ……कि कहाँ है अब तू ………जो मुझे नज़र नहीं आता था  ।
जी तो चाहता था   ……….
अच्छा हुआ  ………  जो उस दिन के बाद  ……… तू कहीं था चला गया ,
वरना मैं तुझे …… कह देती वो सब  ……जो इस दिल में था कहीं रुका हुआ  ।
जी तो चाहता था   ……….
मगर मैं  ……… अब ये सोचती हूँ  ……….  कि जो है वही सबसे भला ,
तू  सिर्फ  ………. नज़रों की है ठंडक  ……… और उसके आगे सब बुरा ।
जी तो चाहता था   ……….
जी के चाहने का क्या  ……… ये है बड़ा ही  ……….  लालची और बेशरम ,
जो हर किसी पे आने को कहे  ………. चाहे वो सुने या ना सुने  ……… तेरी कसम  ।
जी तो चाहता था   ……….
मैंने आज अपने जी को ……… बड़ी मुश्किल से था ………. बहलाया वहाँ  ,
कि ये वो नहीं  ………. जिसके लबों को  ……… तेरी चाह ने अपनाया यहाँ  ।
जी तो चाहता था   ……….
ये सोच के  ……… मैं भी आगे बढ़ गई  ………. छोड़ तेरे वो लब मस्ताने ,
जी की सुनती अगर ……… तो जा ना पाती मैं घर  ……… और बन जाते कई अफ़साने ।।
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