This is a sarcastic and comical poem in Hindi about the soaring prices of onions in the country. This poem has tried to depict comically how the great guru Dronacharya demands onions from Eklavya instead of his thumb in ‘Guru Dakshina’ as Arjun his best disciple has failed to procure onions for him. The Guru has now decided to teach his disciples to concentrate on onions in the the shop in the same way as they use to concentrate on bird’s eye while shooting. Similarly how King Dasratha requests his Queen Kekayi not to demand onions in the boons that he has bestowed upon her as it will create an onion gate whereas he is yet to get rid of coal gate.
How onion has brought the downfall of the governments. Whenever elections are due the onion prices start going up.
प्याज
होम लोन पर बढ़ गया ब्याज , घर मे खत्म हो गया प्याज।
जब से मनमोहन को पहनाया है ताज ,रोज गिर रही है एक न एक गाज ,
अब किसके सिर पर पहनाए हम ताज ,
जो रख सके हमारी लाज ,कर सके महंगाई का उचित इलाज ,
प्याज ने तो हर दम है सताया , और कुछ नहीं तो छीलते हुए रुलाया ,
इसके चढ़ते दामों ने खूब तरसाया ,चुनाव से पहले तो इसका रोना सभी ने गाया,
अब तो सब्जी खरीदते समय प्याज की करते हैं window shopping,
क्यूंकी गोल्ड की तरह इसके भाव भी है whopping,
होम लोन पर बढ़ गया ब्याज , घर मे खत्म हो गया प्याज।
द्रोणाचार्य ने कहा, एकलव्य नहीं चाहिए तुम्हारा अंगूठा मुझे आज,
मुझे तो ला दो तुम सिर्फ एक किलो प्याज ,
अर्जुन पर था मुझे कल तक बहुत नाज,
समझता था में उसे बहुत बड़ा तीरंदाज ,
पर वो तो फ़ेल हो गया, नहीं ला सका मेरे लिए एक किलो प्याज ,
अब तुम ही पर टिकी है मेरी आस, ला दो मेरे लिए एक किलो प्याज ,
अब तो अपने शिष्यों को देता हूँ यही आवाज ,
पेड़ पर बैठी चिड़िया की देखो सिर्फ आँख ,और लगा दो निशाना
सब्जी की दुकान पर देखो सिर्फ प्याज , और लूट लो खजाना ,
होम लोन पर बढ़ गया ब्याज , घर मे खत्म हो गया प्याज।
आज के दशरथ ने जीत कर युद्ध कहा, केकयी, मांग लो वरदान,
केकयी बोली सोच लो स्वामी , मना करके मत करना मेरा अपमान,
मैं भी छत्राणी हूँ मेरे अंदर भी है , कुछ अरमान ,
पर डर लगता है , टूट न जाए रघुवंशियों का स्वाभिमान,
बोले दशरथ, हूँ मैं रघुवंशी नहीं तोड़ूँगा, दिया हुआ वचन ,
केकयी बोली महाराज मुझे तो चलानी है अपनी kitchen,
सुनो , घर मे खत्म हो गया प्याज, रख लो मेरी लाज ,
अब तुम ही पर टिकी है मेरी आस, ला दो मेरे लिए एक किलो प्याज,
होम लोन पर बढ़ गया ब्याज , घर मे खत्म हो गया प्याज।
दशरथ जो केकयी के प्यार मे थे मदहोश ,
प्याज की डिमांड सुन कर हो गए खामोश ,
देख कर दशरथ को खामोश , केकयी बोली क्यों हो गए तुम silent,
क्या मैंने तुम्हारी इज्ज़त पर लगा दिया कोई dent,
दशरथ को तो जैसे काट गया हो कोई serpent,
करने लगा वो अपने दिये हुए वरदान पर repent.
बोला ,प्याज अगर ला सकता तो भर देता सारे Godown,
तुम्हारे समक्ष होती नहीं मेरी इज्ज़त down,
नहीं संभाल पा रहा हूँ अभी तो मैं coal gate,
न मांगो ऐसा वरदान जिससे बन जाए onion gate.
केकयी बोली महाराज gate पर gate ही है आपका fate,
इसलिए जल्दी लेकर आओ प्याज , मत करो late.
दशरथ बोला, रानी तुम तो हो बड़ी innocent,
तुम्हें नहीं मालूम प्याज पर media मे आ रहे है रोज कितने comment,
प्याज अगर ला सकता तो हो जाते वारे न्यारे ,
प्याज ने तो न जाने गिरा दी है कितनी सरकारें ,
होम लोन पर बढ़ गया ब्याज , घर मे खत्म हो गया प्याज।
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