This Hindi poem highlights the inner zeal of poetess in which she always wanted to get Her destiny for some good act but due to the odd circumstances she always got failed for the same. But one day an unknown stranger came in her life and helped her to touch the same.
मेरे हौसलों में बुलंदी थी ………. मेरे पंखों में एक आवाज़ थी ,
उस आवाज़ के शोर से ही ………. मुझे कुछ पाने की हरदम आस थी ।
मेरे हौसले बुलंद हुए ……… मैंने पंखों को थोड़ी हवा सी दी ,
वहाँ बादलों में एक शोर से ……… मेरी मंज़िलें और पास हुईं ।
मुझे खोज़ने इस गर्त में भी ………. एक सौदागर चला आया ,
मेरे हौसलों को टटोल उसने ………मेरी बुलंदी का एक रास्ता बताया ।
मैं गर्त में दबी हुई ……… तड़पती सी थोड़ा करीब आई ,
अपनी मंज़िल को पाने की खातिर ……… एक तूफ़ान संग धकेल लाई ।
मेरा साहस थोड़ा रंगीन हुआ ……… उसमे रंगों का एक निशां बना ,
मगर बहुत ही जल्द वो ………… निशां फिर वीरां हुआ ।
मैं नीरस आँखों से वहीँ खड़ी ……… उस आकाश को निहारती रही ,
अपनी बदकिस्मती को …………. अपने हाथों से ही दागती रही ।
वो सौदागर बहुत हसीन था ……… उसने फिर से मुझे एक हवा सी दी ,
मेरे हौसले परस्ती पर ………. मेरी निराशाओं को एक आस दी ।
मैं फिर उठी बढ़ाने को ………. कुछ और देखो दो कदम ,
वो हर कदम पर साथ चल ……… दिखाता मुझे दो और कदम ।
मैं धीरे-धीरे बढ़ने लगी ………. उसके बताए नक्श पर ,
अपनी मंज़िल को खोज़ने ……… जो गुम थी कहीं इस तख़्त पर ।
मेरे हौसले अब उड़ने लगे ………. मेरे पंखों में एक जोश आया ,
उस सौदागर की राह ~ए ~ कहानी से ……… मेरे दिल में एक सुकून छाया ।
मैं तेज़-तेज़ क़दमों से ……… तय करने लगी अपनी मंज़िल का रास्ता ,
उसे पाना ही था मुझे आज ……… चाहे खुदा भी दे अपना वास्ता ।
मैंने छू ली अपनी मंज़िल कुछ देर में ………. मेरे पंखों ने उड़ना सीख लिया ,
उस गर्त के अँधेरे से ……… एक किरण का नया जन्म देख लिया ।
गर हौसलों में बुलंदी हो ……… तो पंखों में खुद एक आवाज़ होगी ,
किसी के कानों तक पहुँचने ………. उस आवाज़ की एक तार होगी ।
ये कहानी नहीं एक हकीकत है ………. जिसमे एक सौदागर सचमुच था आया ,
मेरे टूटे हुए हौसलों को उसने ……… अपने संग बुलंदी तक ले जाने का वादा निभाया ॥
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