This Hindi poem Highlights the main issue of Violence against woman and as a precautionary measures ,our society suggest the females to keep some self defense objects with them so that they can protect themselves at the time of need. But Here the poetess discard all these objects and try to give a lesson on the “International Women’s Day” that now a days females need to educate the males with the sex education instead of keeping the sharp objects with Her.
हमें जरूरत नहीं उन पर चाकू -छुरी चलाने की ,
हमें जरूरत है ,
उनकी मानसिकता को बदल …… उन्हें एक नेक इंसान बनाने की ।
हमें जरूरत नहीं उनका सर कलम करने की ,
हमें जरूरत है ,
तो उनके सर में …… एक नई सोच भरने की ।
क्या होगा …… ज़रा बताओ तो ,
खुद की आत्मरक्षा के वास्ते हथियार रखने से ?
क्या होगा …… ज़रा समझायो तो ,
कुश्ती के दाँव-पेंच सीख कर उनसे लड़ने से ?
हमें जरूरत है ,
उनकी मानसिकता को …… अपनी मानसिकता के साथ मिलाने की ।
हमें जरूरत है ,
उनकी हवस को मिटाने के लिए …… उन्हें एक सही रास्ता दिखाने की ।
क्यूँ भागते हैं हम डरके ,
इन पुरुष बनाम ठेकेदारों से ?
क्यूँ ताकते हैं हम डरके ,
इनके वहशीनुमा इरादों से ?
हमें जरूरत है ,
इनके सुरों में …… नए सुरों को मिलाने की ।
हमें जरूरत है ,
इनको इनकी ही चाल से …… क़त्ल कर समझाने की ।
ये समझेंगे जरूर ,
हमें विश्वास है इनके इरादों पर ,
बस इन्हें समझाने के लिए ,
अटल रहना होगा , हमें भी अपने वादों पर ।
गलती अगर इनकी होती है ,
तो हम भी , कहीं न कहीं ………. ज़िम्मेदार होते हैं उसके ।
बात अगर बिगड़ती है ,
तो हमारी भी कहीं हार , होती है उसमे ।
हमें जरूरत है ,
उस बात को …… बिगड़ने से बचाने की ।
हमें जरूरत है ,
उनको यौन-शिक्षा का …… सही पाठ पढ़ा कर समझाने की ।
आज हम रख भी लेंगे अगर ,
वो हथियार ………. जो क़त्ल कर देंगे उनको ।
तो कल वही हथियार ,
रँग देंगे खून में …… ऐसे ही सबको ।
कुछ हम बदलेंगे ……… कुछ वो बदलेंगे ,
तभी एक नए समाज की उत्पत्ति होगी ।
कुछ हम सोचेंगे ……… कुछ वो सोचेंगे ,
तभी नई सोच से एक नई राह सजेगी ।
हमें जरूरत है ,
इस “महिला दिवस” पर …… अपनी बात उन तक पहुँचाने की ।
उन्हें जरूरत है ,
हमारी बात को पढ़ कर …… अपने ज़हन में बसाने की ।
हमें जरूरत नहीं उन पर चाकू -छुरी चलाने की ,
हमें जरूरत है ,
उनकी मानसिकता को बदल …… उन्हें एक नेक इंसान बनाने की ।।
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