ये देखो ………… मेरे खाली हाथ ………. क्या है इनमे ………. कुछ भी नहीं ,
क्या लाई थी मैं ……… जो होगा इनमे ……… जो कुछ है ……. बस यहीं से कहीं ।
जाना है दूर ………… जब लम्बे सफर पर ………. फिर क्यूँ बाँधे ………. अपने संग बोरिया बिस्तर ,
बस कर्मों का लेखा-जोखा ……… चलेगा वहाँ पर ……… दौलत का होगा ……. नहीं कोई सफर ।
खाली हाथों से अक्सर ………… नफरत करते हैं लोग ………. बताओ भला क्यूँ हैं ………. इनसे इतना डर ,
जब पैदा हुए थे ……… तो यही थे अकेले ……… जो लिखवा लाए थे ……. अपना नया मुक़द्दर ।
मैं जब भी ………… अकेले में पाती हूँ अपने ………. इन खाली हाथों की ………. लकीरों को यहाँ ,
तो अजब सा खेल ……… लगता है मुझे ……… ये सोच कि इनमे भी छिपा है ……. एक नया सा खज़ाना ।
अपने इन हाथों को ………… कर्मठ बनाकर ……… करते चलो तुम ………. पुण्य करम ,
वही पहचान देंगे ……… तुम्हारे होने की ……… वही भर देंगे ……. तुम्हारे अच्छे सत्कर्म ।
खाली हाथ ………… आया मनुष्य ……… खाली ही हाथ ………. उसको जाना पड़ेगा ,
जोड़ ले चाहे ……… जितनी भी दौलत ……… फिर भी एक नई योनि को ……. पाना ही होगा ।
खाली हाथ ………… बहुत मतवाले ……… मिलते हैं जिसको ………. वो होते किस्मतवाले ,
भरे हाथों में अक्सर ……… लालच समाया ……… खाली हाथों से ज्यादा ……. उसका दिल था दहलाया ।
खाली हाथ ………… मारे मन की अभिलाषा …….. भरे हाथों में होती ………. वासनाओं की परिभाषा ,
खाली हाथ ……… जीवन सँवारे ………तृष्णाओं से परे ……. ये प्रभु नाम उचारे ।
इसलिए मत सोचो ………… कि क्या है मिला ……… और क्या है मिलेगा ………. हमें इस जनम ,
बस यही सोचो ……… कि जो भी मिला है ……… उससे ही भरे हैं ……. अपने ये कर्मठ से कर ।
ये देखो ………… मेरे खाली हाथ ………. क्या है इनमे ………. सब कुछ तो है ,
कुछ लाई नहीं थी ……… फिर भी ना जाने ……… जाते-जाते लग गई इनमें ……. कर्मों की गिरह ॥
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