हर रूप को परखा …… हर रूप में पाया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
पहले पिता बन के ……… इसने अधूरा फ़र्ज़ निभाया ,
इसके अंश होने का ………. बार-बार हिसाब था चुकाया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
भाई के रूप में ……… इसने बचपन में बहकाया ,
और जब बाँटनी पड़ी दौलत ………. तब इसने ही मुँह था चुराया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
एक दोस्त बन के ये ……… जब यौवन में संग आया ,
धीरे-धीरे इसने अपनी ………. दोस्ती की कीमत का मोल लगाया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
जीवन-संग बंध के इसने ……… वासना को था पाया ,
कभी तन पे तो कभी मन पे ……… लगी थी ग्रहण की छाया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
ससुर के रूप में ……… हरदम लाभ था इसमें समाया ,
कभी बहाने से तो कभी लाचारी से …….. अपना जीवन था कटवाया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
देवर बन के जब ……… ये अनोखे रूप में आया ,
अपने घर में रहने के रौब से ……. इसका पौरुष था गरमाया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
जीजा के रूप का ……… बयाँ अजीब है यारा ,
दीदी के संग इसने ……. आधा अधिकार था जमाया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
अंतकाल में पुत्र रूप पा ……… सोचा था जीवन है सफल पाया ,
यहाँ भी इसके लालच ने ……. छीन ली बची-कुची माया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
इस संसार में मर्दों को ……… आज भी मिलता है कोटा सारा ,
औरत चले गर उसके संग ……. तो उन्हें होता नहीं गँवारा ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।
मैंने जब भी मर्दों को ……… किसी भी रूप में परखा तो पाया ,
कि इस “मर्द” बनाम शब्द से ……. एक ज़लज़ला अक्सर है आया ,
ये मर्द मतलबी ……… इसकी है बुरी माया ।।
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