In this Hindi poem the Poetess agreeing that Her Lover is now becomes a habit of Her thoughts.It doesn’t matter whether they meet daily or not but being a habit He is always in Her thoughts.
तुम्हे याद करने की ……..अब आदत सी हो गई है ,
मैं भूलना भी चाहूँ तो ……कोई वजह तो हो ।
तुम्हे रात-दिन पढ़ने की ………अब आदत सी हो गई है ,
मैं मुँह फेरना भी चाहूँ तो ……कोई वजह तो हो ।
दिल खाली-खाली सा क्यूँ है ….तेरे इंतज़ार में ,
सुबह-शाम तकती है ये नज़र ……क्यूँ तेरे ही करार में ,
तुम्हे अपने दिल में बिठाने की ………अब आदत सी हो गई है ,
मैं दिल निकाल दूँ भी तो ……कोई वजह तो हो ।
जाने से पहले कहीं …..एक सन्देश तो भेजा होता ,
हम आदत को समझाते ……कि बदलो अब ज़रा तुम भी ,
तुम्हे हर सूरत में पाने की ………अब आदत सी हो गई है ,
मैं खुद खो भी जाऊँ तो ……कोई वजह तो हो ।
घंटों तेरा इंतज़ार करके ……रोज़ हम दिल को समझाते हैं ,
तू बेवफा नहीं ……बस किसी वजह का मोहताज़ है ,
तुम्हे अपने ख्यालों में शामिल करने की ………अब आदत सी हो गई है ,
मैं ख्यालों को खाली बनाऊँ भी तो ……कोई वजह तो हो ।
पागल कहते हैं लोग अब ….जो हमने तुमसे दिल लगाया ,
जिंदगी भर राह तकने का …..एक सिलसिला बनाया ,
तुम्हे उस सिलसिले की कड़ी बनाने की ………अब आदत सी हो गई है ,
मैं तोड़ना भी चाहूँ तो ……कोई वजह तो हो ।
बेचैनी सी क्यूँ होती है ……जब मेरे लबों पर तेरा नाम नहीं आता ,
मेरे पूछे गए सवालों का तुमसे …….कोई जवाब नहीं आता ,
तुम्हे ढेरों सवाल लिखने की ………अब आदत सी हो गई है ,
मैं सवालों को ना दोहराऊँ तो ……कोई वजह तो हो ।
तुम्हे याद करने की ……..अब आदत सी हो गई है ,
तुम आदत बन जाओ मेरी ……बस यही वजह एक हो ,
तुम्हे अपने संग पाने की ……..अब आदत सी हो गई है ,
तुम सुर में सुर मिलायो मेरे संग ……बस यही वजह एक हो ॥
For You Only-
तुम आदत ही सही …….रोज़ दिल~ओ~दिमाग पर आराम तो फरमाते हो ,
एक जगह तुम्हारी भी है यहाँ ……इसी सोच से हमें सर्दी में भी गर्माते हो॥