[LOVE IS BLIND – Hindi Poem on Love]
LOVE IS BLIND —-KamleshKumar
मैंने देखा है,
लोगों को प्यार करते
नादाने दिल को फुशलाकर
इश्क के इजहार करते
कभी हँसी को समेट मुट्ठी में
नादान कलियाँ खिल जाती
कहीं गम के अँधेरे साए में
डूबकर फुल झर जाते
दिल टूटना तो आम बात है
इंसान को मिट्टी बन देखा है
ढेर हो जाते
बेचकर अपना जमीर
अपना स्वाभिमान
जिस्म का सौदा करते लोग
मैंने देखा है, उन्हे भी प्यार करते
नादाने दिल को फुशलाकर
इश्क के इजहार करते
——-
घंटो घुम्म्कड़ी से घूमते प्रेमी
गहरे नींद में तकिये को चुमते प्रेमी
बनाकर ख्वाबों का पुलाव
छानकर रस की मलाई
अमृत का स्वाद चखते प्रेमी
देखा है, उन्हें भी
समय को नष्ट करते
बाप की कमाई और माँ की मज़बूरी
को धुंधलाकर ऐश करते
नादाने दिल को फुशलाकर
इश्क के इजहार करते
मैंने देखा है,
लोगों को प्यार करते
——-
सच -झूटलाकर मन बहलाकर
दिल की ही सुनते हैं ये
भरे महफ़िल में लाखों की भीड़ है
जनाब तन्हा से रहते हैं ये
कभी पन्नो पर चुभोकर कलम
एक ही दिशाओ में गोल-गोल
कभी रातों के गहरे अंधेर में
उल्लू की भातीं आँखे खोल
भगवान जाने क्या करते हैं ये
मैंने देखा हैं, इन्हें भी
नींद में…….!
प्यार का पाठ पढ़ते
भोग की रासलीला रचते
नादाने दिल को फुशलाकर
इश्क के इजहार करते
मैंने देखा है,
लोगों को प्यार करते
——-
सुरक्षात्मक प्रमेय अपनाकर
इश्क से तौबा करते लोग
खिंचकर रेखा सीमावाली
माप-तौल के चलते लोग
देखकर मुरब्बा हुस्न का
दिल ही दिल ये ललचाते है
चखने का तो दिल करता…पर!
बंधन से ये घबराते हैं
मैंने देखा हैं, इन्हें भी
खोकर गहरे खाई में
हाथों से बाण चलाते
केवल छन भर में उब जाते
नादाने दिल को फुशलाकर
इश्क के इजहार करते
मैंने देखा है,
लोगों को प्यार करते
********