There is a lady who has lost her lover but she feels her in the depth of her soul and her surroundings.Read Hindi love poem,
कौन कहता है कि
नहीँ हो आप पास मेरे
जिन्दा हो आज भी आप
रूहे-जिगर मेँ मेरे,
रहते हो दिल मेँ औ
ख्वाबोँ मेँ दिखते हो हर पल
मेरी साँसोँ को है
महकाया बस के रग-रग मेँ।
चाँद को रोज
तकती रहती हूँ रातोँ को मैँ
याद करती मेरी औ
आपकी बातोँ को मैँ;
फेरकर चेहरा अपने
मुँह को छुपा लेते थे आप
देखती टकटकी से
प्यार भरी आँखोँ को मैँ,
देखता चाँद मुझे
वैसे ही तकते हुए जब
बादलोँ मेँ अपना
मुँह वो छुपा लेता है तब;
चाँद की इस अदा मेँ
आपसे मैँ मिलती हूँ
प्यार दुनिया का सारा
मुझको मिल जाता है तब।
कौन कहता है कि
नहीँ हो आप पास मेरे
जिन्दा हो आज भी आप
रूहे-जिगर मेँ मेरे।
गगन मेँ बादलोँ का
इस तरह से घिर आना
याद करती हूँ तेरी
बांहोँ मेँ वो छुप जाना;
आप नाराज किसी
बात पे हो जाते थे जब
मान जाने पे
आसुओँ से मुझे नहलाना,
मेघ ने छाया से
हर मेरी तपन हर ली जब
करके बारिश उसने
मुझको भिगोया था तब;
मेघ की इस अदा मेँ
आपसे मैँ मिलती हूँ
प्यार दुनिया का सारा मुझको मिल जाता है तब।
कौन कहता है कि
नहीँ हो आप पास मेरे
जिन्दा हो आज भी आप
रूहे-जिगर मेँ मेरे।
आते हैँ जब हवा के
तेज वो ठंडे झोँके
याद करती हूँ वो
स्पर्श तेरे हाथोँ के;
हटा करके मेरे
चेहरे से उलझी वो लटेँ
गाल पे अनछुए
चुंबन वो तेरे होठोँ के,
हवा से बिखरी हुई
जुल्फेँ लगीँ उड़ने जब
छुआ गालोँ को मेरे
शीतल हाथोँ से तब;
हवा की इस अदा मेँ
आपसे मैँ मिलती हूँ
प्यार दुनिया का सारा
मुझको मिल जाता है तब।
कौन कहता है कि
नहीँ हो आप पास मेरे
जिन्दा हो आज भी आप
रूहे-जिगर मेँ मेरे।
दे-दे के साँत्वना
दिल को समझाया
मैँने इन बातोँ से
दिल को अपने फुसलाया;
पर ये जो दर्द है
कैसे भी जाता ही नहीँ
मैने कर-करके जतन
हर तरह से बहलाया,
आ भी जाओ तुम
एक बार कहीँ से अब तो
सीने पर रख सिर
जी भर के मैँ रो लूँगी तब;
कहूँगी ये जहाँ से
आपसे मैँ मिलती हूँ
प्यार दुनिया का सारा
मुझे फिर मिल जायेगा तब।
कौन कहता है कि
नहीँ हो आप पास मेरे
जिन्दा हो आज भी आप
रूहे-जिगर मेँ मेरे।
[समाप्त]