This Hindi poem highlights the passive effect of alcohol in which the Beloved is so much habitual of His Lover drinking habit that when He discarded the same for some days then She wishes to get back Him in the same mood as He was earlier.
काश ………. तुम आज पी आते ,
थोड़ा अपने लिए भी जी आते ,
थोड़ा मेरे अरमान भी निकल जाते ,
क्योंकि तुम्हारे पीने से ही अब हम संभल पाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
थोड़ा सपनों की दुनिया में जी आते ,
थोड़े सपनों की तब हमें भी इज़ाज़त होती ,
तुम्हारे पीने से जो और भी निखर जाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
थोड़े मस्ती के आलम में तर जाते ,
थोड़ी शरारत तब हमें भी सूझ जाती ,
क्योंकि तुम्हारे पीने से ही तो ये अरमान अब निकल पाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
थोड़ी नशीली अँखियों से और करीब आते ,
थोड़ा नशा तब हमें भी होता ,
जिसमे ये जिस्म और जान सब पिघल जाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
थोड़ा हमारे मचलते ज़ज्बात तब समझ पाते ,
थोड़ी हम पर भी तब मेहरबानी होती ,
क्योंकि दोनों के दिल तब मिल जाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
तुम्हारे पीने की अदाओं को अब हम गले लगाते ,
थोड़ा बहका हुआ सा तब अफ़साना बनता ,
जिसमे जाम दो दिलों के तब टकराते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
अपने लिए ना सही पर हमारे लिए थोड़ा जी आते ,
जिस “नशे” के तलबगार थे कभी तुम ,
आज उसी “नशे” में अब हम अपनी खुशियाँ पाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
तो हमारी राहों के काँटे भी जल जाते ,
तब तुम्हे बना इन राहों का फूल ,
हम उस पर भँवरा बन मँडराते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
अपने अधरों को जाम से थोड़ा लगा आते ,
तब थोड़ी शायद हमें भी तो चढ़ती ,
जब तुम्हारे अधरों से अधर ये टकराते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
हमारे नैनों की भाषा तब समझ जाते ,
हम इशारे-इशारे में तब कहते सनम ,
नशा~ए~दिल की कहानी जो तुम सुन पाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
अपने पहले वाले रूप में तब वापस आते ,
जब चखने लगते थे रस यौवन का झट से ,
और उसमे भीग कर अक्सर हम थे डर जाते ।
काश ………. तुम आज पी आते ,
क्योंकि कभी-कभी पीने पर हम भी ना प्रतिबन्ध लगाते ,
ये मदिरा का भी खेल होता है बड़ा ही निराला ,
जिसके “नशे” में डूब अक्सर प्रेमी-युगल मचल जाते ॥
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