This Hindi poem highlights the social issue of “Rape” which is now a days on its peak and try to give a lesson to this man dominated society that He is the only one who can teach the lesson of Woman respect to others on this special International Woman’s Day.
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
रक्षक बनकर सब कुछ पा लेगा …… भक्षक बन कर पछताएगा ।
जिसकी पूजा देवता भी करते ………उसको क्यूँ तू बदनाम करे ?
अपने इस मानुष जीवन में ………. क्यूँ अधर्म का काम करे ?
आज उसी की पूजा करके ……तू भी देख तर जाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
नारी का है रूप सलोना ………. उस रूप की छाँह में तू विश्राम करे ,
गर उस छाँह से मुह मोड़ा तो ……… बंजर भूमि का तुझे वरदान मिले ।
ऐसे कुटिल -कँटीले वरदान से ……कैसे तू अपनी शान बढ़ाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
सोच समझ ए नादान बन्दे ………. ये नारी ही तो है बड़ी विशाल ,
जब-जब तू रह जाता अकेला ………. तब-तब ढक लेती तुझे आँचल के ताल ।
आज उसी आँचल को मैला करके …… बोल भला तू क्या पाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
तेरे कामुक मन को ………. अपने कामुक अंगों के रस से वो भरती है ,
तू जब भी उससे करता ठिठोली ……तो हर तृष्णा वो तेरी हरती है ।
फिर भला कैसे भक्षक बनने की ………. लालसा से तू गरमाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
स्त्री-पुरुष दो गाड़ी के पहिए ……जो साथ-साथ चला करते हैं ,
राह अनूठी ,रंग अनूठा ………. फिर भी एक-दूजे पे मरते हैं ।
फिर क्यूँ तू उस स्त्री के पहिए पर ……… अपने गाड़ी दौड़ाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
नारी को पाने की इच्छा ……… हर पुरुष के मन की एक आस बने ,
लेकिन जहां मर्ज़ी हो दोनों की …… वहीँ प्रेम का दीप जले ।
बिन मर्ज़ी उस आस पे बोल ……….भला तुझको कैसे आनंद आएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
नारी से घर में शोभा बढ़ती ………. बिस्तर पर फूल बिछ जाते हैं ,
ये नारी ही गर कुचली जाए ……तो फूल भी शूल बन चुभ जाते हैं ।
ऐसे शूल के हार पहन ……… तू कब तक जीता जाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
नारी को अपने नीचे रखकर ………. नारी का तू सम्मान गिराए ,
दोनों ही जब राज़ी ना हो ……तो क्यूँ तू उसपर अपना अधिकार जमाए ?
ऐसे पुरुषत्व के अधिकार को पाकर ……तू लज्जा से बाद में गड़ जाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
बंद करो ये ज़ोर-ज़बरदस्ती ……… बंद करो ये सीना-ज़ोरी ,
इससे कुछ हासिल ना होगा ……… सिर्फ दिखेगी तेरी कमज़ोरी ।
चंचल तितली को काबू करने ………चंचल भँवरा ही फूलों पर आएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
“बलात्कार” नारी का नहीं ………. “बलात्कार” तब होता है पुरुष के मन का ,
जब अपना सामर्थ्य सिद्ध करने को ……… कर बैठता है वो नादान चंचलता ।
फिर क्यूँ ऐसी चंचलता पर ………. तू काबू रख नहीं पाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
आज चलो इस Women ‘s Day पर ………याद तुम्हे करवाते हैं ,
कि नारी ही वह शक्ति है ……… जिसके आगे बलवान पुरुष भी हार जाते हैं ।
फिर ऐसी नादान नादानी करके ……तू आने वाली पीढ़ी को क्या सन्देश पहुँचाएगा ?
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
“बलात्कार” है सबसे घिनौना ………. मत इसमें खुद को लिप्त करो ,
पाना ही चाहते हो गर साथ किसी का ………. तो अपने दिल से उसपर हुक्म करो ।
दिल को केवल दिल की बातों से ही ………तू जीत पाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
युग बदले मानसिकता बदली ……पर अब भी कुछ मानसिक बीमारी बाकी है ,
कितना अच्छा होगा गर सब ये सोचें ……… कि नारी की कीमत केवल उसकी इज्जत ने ही आँकी है ।
तू ही वो एक ऐसा शख्स है जो ……… उस इज्जत का पाठ सबको पढ़ाएगा ,
रक्षक बन ,भक्षक ना बन ………भक्षक बन कर क्या पाएगा ?
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