I have written below a few motivational poems on our national festivals like dussera, diwali and the independence day i.e. 15th august. The themes of the poems are that while we should take full pride in celebrating these events, however a message should go especially to the future generation of this country that our traditional festivals have got a hidden message like “victory of good over the evil” in case of dussera. whereas Diwali should be played safely . In case of independence day I have tried to send a message that definition of freedom has gone beyond the geographical boundaries and no doubt that to save nation from the enemy is of foremost importance but the issues like environment protection cannot be forgotten in the euphoria. the idea is that the message among the children travels faster thru rhythmic poems and they remember it for long.
दशहरा
बड़े धूम धाम से मनाया जाता दीवाली और दशहरा ।
इन सब त्योहारों से लगाव है हमारा बहुत गहरा ।।
स्रुपणखा की नाक कटी जान से मारे गए खर – दूषण ।
क्रोध से आग बबूला हुआ रावण, समझा न पाया उसे विभीषण ।।
बुद्धि हुई भ्रष्ट, कर बैठा सीता जी का हरण ।
नासमझ को तो लेलेनी चाहिए थी प्रभु की शरण ।।
अशोक वाटिका मे मिलने आए जब हनुमान ।
देवलोक मे तो तभी होगया था ये एलान ।।
घमंडी है , नहीं छोड़ेगा अपना जिद्दीपन ।
प्रभु राम के ही हाथों गवाएंगा अपना जीवन ।।
ज्ञानी था , बलशाली था, था वेदों का ज्ञाता ।
अपनी ही जिद पर अड़ा , समझ बैठा खुद को विधाता ।।
ऐसे पापी का तो होना था यही अंत,
अवतार बन कर जन्म लेते हैं इसीलिए महापुरुष संत ।।
मंदोदरी ने दी थी उसे सीख अति उतम ,
नहीं कोई साधारण पुरुष , ये तो हैं मर्यादा पुरषोतम ।।
नहीं माना अहंकारी , विद्धान होकर भी नहीं थी विज़डम ।
समझ नहीं सका लीला राम की , छोड़ी उन्होने जब किंगडम ।।
दूरदर्शी गर होता तो समझ जाता, टूटा था जब शिव धनुष ।
धरती पर अवतरित हो चुके हैं , श्री राम महापुरुष ।।
अहंकार की भावना कभी न मन मे लाना ,
सदा आदर भाव से प्रभु के आगे शीश झुकाना ।।
प्रतीक स्वरूप है इस तरह रावण को जलाना ।
असली मकसद तो है , भावी पीढी का चरित्र निर्माण कराना ।।
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दीपावली
पिता दशरथ को दिया वचन पूरा निभाया , 14 वर्ष का वनवास बिताया ।
श्री राम के वापस आगमन पर , पूरा अयोध्या प्रकाश से नहाया ।।
घर घर मे जलती हैं बल्बों की लड़ियाँ ,
छोटे बड़ो , सब के हाथों मे अति सुंदर लगती हैं फुलझड़ियाँ ।।
हर घर में दिखती है देखो कैसी खुशहाली,
सम्पूर्ण भारत में मनाई जाती जब दिवाली ।।
आतिश बाजी से जब सरोबर हो जाता है आकाश ,
सारे शहर को रोमांचित कर देता है दीपावली का प्रकाश ।।
घर -घर में छुटाये जाते हैं पटाखे और जलते हैं अनार ,
देखो कितना उज्जवल लगता है दीपावली का त्योहार ।।
बच्चों की टोली छूटा रही है अटम बम ,
एक दूजे से कह रहा है मेरा पटाखा नहीं तुझ से कम ।।
बाजार में डिस्काउंट की आ गयी बहार,
ढेर सारी ख़रीदारी कर लो यह मौका नहीं आता बार बार ।।
सावधानी से खेलना इतनी है हमारी अपेक्षा,
दीवाली enjoy करते वक़्त , सर्वोपरि है अपनी सुरक्षा ।।
पटाखे अवश्य छुटाना और दिवाली को करना पूरा enjoy,
क्योंकि इस त्योहार को मनाने में ही है love and joy.
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15 अगस्त-स्वतन्त्रता दिवस
1857 में रानी झाँसी ने जब खींची थी अपनी तलवार ,
Declare हो गयी थी भारत की आज़ादी की पहली WAR॰ .
ईस्ट इंडिया कंपनी की , नीव गयी थी हिल ,
ठुक जो चुकी थी उसमे , आज़ादी की पहली कील ॥
भगत सिंह , राजगुरु , आज़ाद जैसे शहीदों ने दिया अपना बलिदान ,
ऐसे वीरों की कुर्बानी से ही बना है अपना देश महान।
अगस्त 1942 में गांधी जी ने दिया था देश को नया नारा ,
अंग्रेज़ो भारत छोडो की गूंज से जग गया था देश सारा ।
15 अगस्त 1947 को तिरंगे ने जब शोभित किया लालकिला,
अपना देश आज़ाद हुआ की लहर से , गुलशन गुलशन फूल खिला ।
आजादी तो मिल गयी ,पर छोटी छोटी रियासतों में बिखरा पड़ा थे देश।
सरदार पटेल ने मुहिम चलायी, दिया सभी राजाओं को आदेश,
Union of India में मिल जाओ , सब मिलकर आगे बढ़ाएँगे देश ।
नहीं तो military भेज कर काबू करेंगे, जो भी करेगा कलेश,
एकीकृत होकर विकास करेंगे , बिना किसी राग द्धेष।।
Political freedom तो मिली , पानी थी अभी आर्थिक freedom,
पाँच वर्षीय योजनाओं द्वारा भरा गया इस उधेश्य में दम।
देश ने की तरक्की और बढ़ते गए सब के कदम ,
भारत के engineers और डॉक्टरों ने लहराया विदेश मे परचम ॥
कैसा है यह संयोग , विदेशों में भी फैला भारत का योग,
पर अभी करना है हमें ,अपने natural resources का सदुपयोग ।
धीरे धीरे घटता जा रहा है हमारे देश का green cover,
पेड़ पोधों को नहीं बचाया तो future generations करेंगी suffer.
प्रदूषण से सांस लेना होता जा रहा है दुभर,
दिन प्रतिदिन नष्ट होती जा रही है ozone layer.
हमें अपने सामाजिक दायितवों को भी है निभाना,
इसके लिए हम करेंगे नहीं कोई बहाना ।
देश की आर्थिक प्रगति को भी है आगे बढ़ाना ,
पर सर्वोपरि है देश को दुश्मन की तिरछी नजर से बचाना ॥
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