This is a poem inspired by a real life situation I have seen. A old mother after becoming widow was not only ill treated by his son but and also verbally abused time and again. This reality had shaken me in and out. Thru this poem I appeal to all the sons to look after their old parents to the best of their ability and they should remember that in this world if anybody can bestow self less love on you then it is your parents only. No other person , your friend or your relative can give you self less love. It is only the parents who do not want anything in return while giving you love, so we should take care of our aged parents. We should keep in mind that we are in a country ,a land of SHRAVAN KUMAR .we should try to emulate his deeds and make the society proud.
बूढ़ी माँ की व्यथा
जिस माँ ने तुझे जन्म दिया , पाल पोष कर बनाया नौजवान ,
उस माँ को तूने कहकर नागिन , किया उसका घोर अपमान ।
बन कर खड़ी रहती थी सदा वो तेरे लिए जैसे कोई छतरी ,
चाहे पड़ रही हो कडक धूप या छाई हो घनघोर बदरी ।
तेरे पड़ने पर बीमार वो जागती थी रात भर ,
उसका ही बड़े होकर जीना कर दिया तूने दुभर।
अरे ,जिस बेचारी के पति के कमाए पैसे पर ,तूने निखट्टू रहकर, अपने बच्चों का किया लालन पालन ,
उसी बूढ़ी माँ के बीमार होने पर तू , दवाई पर खर्च करने मे दिखाता है अनमनापन ।
अरे बेशर्म , माँ के दूध का कर्ज़ तो कोई हरगिज चुका नहीं है सकता,
दो टाइम रोटी तू उसे दे न दे ,एक टाइम दवाई तो दिला ही है सकता॥
उसके पति के जीते जी तो न पड़ी तेरी कभी ऐसी हिम्मत ,
दिवंगत होते ही उसके , दिखानी शुरू कर दी तूने अपनी बुरी नियत ।
पैसा सारा हड़प लिया , सारी जमीन जायदाद कर ली तूने अपने नाम,
घर से निकाल माँ को किया तूने अपनी नजर मे बड़ा “नेक काम”
इस उम्र मे भी क्या करेगा उसके साथ कोर्ट कचहरी ओर मुकदमा ,
पड़ी पड़ी खाँस रही है वो तो , हो गया है उसको दमा ।
तेरे करनी का फल तो अवश्य पड़ेगा तुझे भुगतना ,
बुढ़ापे मे तेरे, जब टूटेगा तेरे भी सपना ।
हे मतिभ्रम , यह तो है प्रकृति का गोल चक्कर,दिन एक ऐसा भी आयेगा ,
तेरा ही बेटा जब तुझे , अखबार पढ़ने के लिए चश्मे दिलाने को तरसाएगा ।
उसके बचे कुचे कुछ दिनो मे तो रख ले तू उसका मान,
उसकी ममता आज भी छिड़कती है तुझ पर जान।
माँ बाप की करना सेवा यही है भारत देश की संस्कृति ,
परंतु दिल मे तेरे न जाने कहाँ से पैदा हो गयी यह दुषप्रवर्ती
अपनी ओच्छी हरकतों से न कर तू इसे बदनाम ,
श्रवण कुमार जैसे पुत्रो पर है इस देश को अभिमान॥