This Hindi Poem highlights the feelings of an incomplete Love in which the Lover likes to be love His Beloved in a demanding state and the Beloved still wants to be knowingly indulged with Him .
अधूरे हम अच्छे लगे उसे ………. पूरा करना उसे आता नहीं ,
अधूरे साथ से ही उसके देखो ना ……… ये दिल अब घबराता कहीं ।
तमन्नाएँ तो हम भी दबाते ………. उसके मचल जाने के साथ ,
तन्हाई में खुद को फिर समझाते ……… उसके चले जाने के बाद ।
कि अधूरे हम अगर रह गए तो क्या ……… वो खुद तो पूरा सा हुआ ,
क्या हुआ जो इस दिल का यही ……… उसके साथ एक सौदा सा हुआ ।
अधूरे हम अच्छे लगे उसे ………. पूरा करना उसे आता नहीं ,
अधूरे साथ से ही उसके देखो ना ……… ये दिल अब घबराता कहीं ।
अधूरा छोड़ कर चले जाना हमें ………. बन गया अब उसकी फितरत सनम ,
अधूरे साथ के भी सँभल जाना कहीं ……… बन गया अब हमारी भी फितरत इस जनम ।
फ़ितरतों के बीच उलझ कर ……… ये इश्क़ रहा अधूरा सनम ,
अधूरे से मिलन की आस में फिर भी ……… तड़पे ये दिल दिन-रात , तेरी कसम ।
अधूरे हम अच्छे लगे उसे ………. पूरा करना उसे आता नहीं ,
अधूरे साथ से ही उसके देखो ना ……… ये दिल अब घबराता कहीं ।
ये कैसे मिलन की चाह है हमें ………. जिसमे अधूरे से हों कुछ कदम ,
कभी तुम मचलो , कभी हम मचलें ……… कभी मचले ये ज़मीं और गगन ।
ऐसे अधूरे इश्क़ की भी ……… कहानियाँ फिर भी बनती तो हैं ,
ऐसी खामोश मोहब्बत की ………जवानियाँ फिर भी खिलती तो हैं ।
अधूरे हम अच्छे लगे उसे ………. पूरा करना उसे आता नहीं ,
अधूरे साथ से ही उसके देखो ना ……… ये दिल अब घबराता कहीं ।
बात यहाँ गर सोचें तो ………. अधूरेपन के ही तो ये सारे खेल हैं ,
तभी तो इस दिल का देखो ……… तेरे दिल से एक अनोखा सा मेल है ।
ख्वाइश नहीं अब पूरा होने की ……… तेरा अधूरा साथ ही गँवारा है हमें ,
इस बची हुई बाकी ज़िंदगी में ……… इस अधूरेपन का ही एक सहारा है अब हमें ।।
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