मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ,
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा मुझे तड़पाने की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
तुम धीरे-धीरे से , पहले दिल को टटोल ……. मेरे मन में बसते हो चितचोर ,
फिर धड़कनों पर राज़ करके …… देते हो कसमें उलझाने की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
तुम दिल में एक अरमान जगा …… हर कोशिश से अपनी मुझे बहला ,
जब कहते हो कि ,”चले आओ” ……… देकर कसमें मस्ती भरे तरानों की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
तुम बादल बनकर गरजने लगते ………. फिर बारिश कर मुझे गीला करते ,
चलाकर पुरवाई मस्ती की ………. देते कसमें मुझे और सताने की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
मैं सहमी-सहमी सी आगे बढ़ती …… एक चाहत से मन ही मन हँसती ,
तुम देख मेरी ख्वाइशें अधूरी …… देते कसमें मुझे मिट जाने की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
तुम भाँप कर मेरे मन की चोरी ……… करने लगते फिर सीनाजोरी ,
मैं टूट कर तुम्हारे आगे ………. भरती हामी तुम संग जल जाने की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
तुम्हारा बुलाना , मेरा जल जाना ………. कैसा होता वो अनोखा फ़साना ,
तुम ना बुलाते तो कैसे जगती …… मेरे अंदर वो आग अरमानों की ?
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
तुम यूँ ही बुलाना ……… और मुझे यूँ सताना ,
तुम्हारे बुलाने से ही तो ……. अब मैं बनी एक शोला तूफानों की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ………
हर कोई फ़िदा होता है , किसी ना किसी की ……… एक अदा पर सनम ,
मैं फ़िदा , तुम्हारे बुलाने की अदा पर …… तकती राह हरदम तुम्हारे बुलाने की ।
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा तुम्हारे बुलाने की ,
मुझे भाती है क्या , बताऊँ ………. अदा मुझे तड़पाने की ।।
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