This Hindi poem highlights the Love of two Lovers in which the beloved was asking about an offer of her long wait from Her Lover and a support of all those nights that she spent with Him.
आज रात मुझे मेरे इंतज़ार का नज़राना दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
तेरे बिन जाग-जाग के गुज़ारी कई रातें मैंने ,
हर इंतज़ार में दबाई अपनी साँसें मैंने ,
बड़ी मुश्किल से अब इस रात का फ़साना दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
तूने छुआ तो मैं पत्थर से बन गई सोना ,
अपने हर अंग को खिला के बनाया ये रूप सलोना ,
चल इस सलोने से रूप का एक तराना दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
तेरा इंतज़ार मुझे पड़ता है बहुत ही महँगा ,
जिसमे बन के मैं दुल्हन पहनूँ तेरे नाम का लहँगा ,
मुझे उस लहँगे को पहनने का एक बहाना दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
तू जब आता है तो ये जिस्म भी हो जाता जवाँ ,
तू जब जाता है तो लगी हुई आग में उठता है धुआँ ,
हर धुएँ में छिपी रात का ठिकाना दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
मैं कब से इंतज़ार में तेरे आग लगाए बैठी ,
उस दबी सी चिंगारी को दिल में जलाए बैठी ,
उसी चिंगारी को शोला बनाने का एक अँगारा दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
तेरा वादा था कि भूलेगा नहीं तू मुझे कभी भी ,
मेरे बुलाने पर जलेगा मेरे संग खुद भी ,
चल जल-जल कर मेरे संग मुझे इशारा दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
मेरा सतरँगी सा मन रोज़ करता तेरी सतरँगी बातें ,
अपनी मुलाक़ातों की वो संग बिताईं मीठी रातें ,
मुझे फिर से उन्ही रातों का वो गुज़रा ज़माना दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
आज रात मुझे मेरे इंतज़ार का नज़राना दे दे ,
तमाम बीती हुई रातों का फिर से सहारा दे दे ।
***