This Hindi poem describes the scene of foreplay in which both the lovers tried to intimate but due to some odd circumstances they had to leave in between.Though the Lover promised to complete the same on the very next coming day but the pain which Her beloved felt was very miserable on that moment.
असहाय सी नज़रों से ,
दिल की धड़कनो से ,
हम बुलाते रहे उसको ,
मगर वो नहीं आया ।
होठों पर प्यास लिए ,
सपनो की नई आस लिए ,
हम बुलाते रहे उसको ,
मगर वो नहीं आया ।
बेबसी के आलम में ,
तन्हाई के आँगन में ,
हम बुलाते रहे उसको ,
मगर वो नहीं आया ।
आँखों में अब उतरने लगे आँसू ,
उसके संग होकर हम बेकाबू ,
चीख -चीख कर हम बुला रहे थे उसको ,
मगर वो नहीं आया ।
अब दर्द चेहरे पर उतरने लगा ,
धड़कनों को धड़कने से बंद करना पड़ा ,
बेबस से होकर हम बुलाते रहे उसको ,
मगर वो नहीं आया ।
हम टूटने लगे ज़ार-ज़ार ,
जैसे टूट रहा था अन्दर कोई इकलौता तार ,
दर्द को महसूस कर हम बुलाते रहे उसको ,
मगर वो नहीं आया ।
पर उसके सीने में भी सुलग रही थी एक आग ,
तभी उसकी धड़कन ने छेड़ा एक मधुर राग ,
मजबूरी को महसूस कर वो बुलाता रहा अब हमको ,
मगर अब हमें चलना ना आया ।
उसने खतरों को गले लगाया ,
हमारी खातिर दुनिया को भी झुठलाया ,
बस एक झलक पाने को अब वो बुलाता रहा हमको ,
मगर अब हमें चलना ना आया ।
उसने अब नया एक साज़ बजाया ,
जितना हो सका उतना साथ निभाया ,
नई गहराईयों की राह पकड़ अब वो बुलाता रहा हमको ,
मगर अब हमें चलना ना आया ।
अब दिल को अफ़सोस सा होने लगा ,
कि क्यूँ उसके संग दिल इस तरह रोने लगा ?
हमने मिलने को उसे अब एकांत में कहीं बुलाया ,
मगर अब दोनों ने मिलने का वो दरवाज़ा ही बंद पाया ।
वो उधर से खड़ा शोर करने लगा ,
हम इधर से खड़े शब्द सुनने लगे ,
मगर बोलना ना ठीक से शायद आया उसको ,
और हमें ठीक से सुनना ना आया ।
उसने कहा कि जाओ अभी ,
इसमें ना तुम्हारा कोई कसूर है ,
इस बेबसी के आलम में देखो ,
हम दोनों ही मजबूर हैं ।
उन गर्म हवाओं को तुम ,
ठंडे पानी से रोक देना ,
गर ना रुकें तब भी वो ,
तो उनकी राहों में खुद को डुबोना ।
मैं कल आऊँगा तुमसे फिर से मिलने ,
तुम उदास बिलकुल मत होना ,
बस जब बुलाऊँगा तब आकर के ,
अपने अधरों को मेरे रस में भिगोना ।
असहाय सी नज़रों से ,
रोक धड़कनों के तारों को बजने से ,
हम समझाते रहे खुद को ,
कि क्यूँ वो प्यास बुझा नहीं पाया ?
होठों पर एक प्यास लिए ,
सपनो की नई आस लिए ,
हम बहलाते रहे खुद को ,
कि क्यूँ उसको हमारा दर्द समझना ना आया ???????
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