In this Hindi poem the poetess highlights the trait “Simplicity” of Her Lover and clarifies the same by giving examples.
वो बहकाता है अपनी बातों से हमको ,
ना-ना
वो बहकाता तो उसको कब का छोड़ दिया होता हमने ।
वो फुसलाता है अपनी दौलत से हमको ,
ना-ना
वो फुसलाता तो उसको कब का छोड़ दिया होता हमने ।
वो लुभाता है अपनी मर्दानगी से हमको ,
ना-ना
वो लुभाता तो उसको कब का छोड़ दिया होता हमने ।
फिर क्या है ऐसा उसमे …..जो मैं उसको अपने साथ जोड़ लाती हूँ ,
बिना कुछ उससे मिले ही …..उसके रंग में रँगी जाती हूँ ।
वो पिलाता है अपने नैनो से मदिरा हमको ,
ना-ना
वो पिलाता तो उसको कब का छोड़ दिया होता हमने ।
वो गर्माता है अपनी बाहों से हमको ,
ना-ना
वो गर्माता तो उसको कब का छोड़ दिया होता हमने ।
वो चूम जाता है अपने अधरों से हमको ,
ना-ना
वो चूमता तो उसको कब का छोड़ दिया होता हमने ।
फिर क्या है ऐसा उसमे …..जो मैं उससे रोज़ मिलने आती हूँ ,
बिना कुछ उससे मिले ही …..उसके संग गीत गुनगुनाती हूँ ।
वो दिखलाता है सच और झूठ का आईना हमको ,
हाँ -हाँ
इसलिए उसके संग रोज़ दिल से दिल मिलाया हमने ।
वो दिलाता है एहसास जिंदगी के तरन्नुम का हमको ,
हाँ -हाँ
इसलिए उसके संग रोज़ खुद को खतरों में धकेला हमने ।
वो बिठाता है अपने दिल के बहुत करीब हमको ,
हाँ -हाँ
इसलिए उसके संग रोज़ अपने ख़्वाबों को रंगीन बनाया हमने ।
वो रखता है अपने नैनो में बंद करके हमको ,
हाँ -हाँ
इसलिए उसके संग रोज़ अपने नैनो से नैनो को मिलाया हमने ।
वो है इतना सीधा …….इतना सरल ……इतना स्पष्ट ,
कि दिल उसका …..एक शीशे की तरह साफ़ है ।
औरों से करता हो गर बेईमानी वो ……तो करे शौक से ,
पर मेरे लिए तो हर जज़्बात उसका ……होता बहुत ही ख़ास है ।
वो झूठ-फरेब की दुनिया से …….है बहुत ही परे ,
इसलिए उसकी इसी “सादगी” पर …….हाँ -हाँ ,
हम भी सदा के लिए मर-मिटे ॥
***