In this romantic Hindi poem the poetess is explaining that How Her Timorous Glare Made upon a full trust on Her Lover which ended By Her complete surrender In His Charming Arms.
वो मेरी सहमी-सहमी सी नज़र ………उससे इकरार कर बैठी ,
वो मुझे अपना और मैं उसे अपना दिल …….यूँही दे बैठी ।
वो मेरी धीमी-धीमी सी ग़ज़ल …..उसके और करीब कर बैठी ,
वो मुझे अपनी और मैं उसे अपनी ……..बाँहों में भर बैठी ।
वो मेरी गहरी-गहरी सी ज़ुल्फ़ें …….उसे और संगीन कर बैठीं ,
वो मुझे अपने और मैं उसे अपने ख्यालों में ……..रंगीन कर बैठी ।
वो मेरी मस्त-मस्त सी चाल ………उसे मतवाला कर बैठी ,
वो मुझे अपनी और मैं उसे अपनी कशिश की …….गर्मी दे बैठी ।
वो मेरी मंद-मंद सी मुस्कान …..उसे कातिल बना बैठी ,
वो मुझे अपने और मैं उसे अपने दिल की ……..मुरीद कर बैठी ।
वो मेरी चंचल-चंचल सी शोख अदाएँ …….उसे दीवाना कर बैठीं ,
वो मुझे अपनी और मैं उसे अपनी चाहत की ……..कसमें दे बैठी ।
वो मेरी तेज़-तेज़ चलती सी साँसें ………उसे मदहोश कर बैठी ,
वो मुझे अपनी और मैं उसे अपने तन-बदन की …….खुशबू दे बैठी ।
वो मेरे सहमे-सहमे से कँपकपाते हाथ …..उसे मेरा हाल ~ए~दिल सुना बैठे ,
वो मुझे अपने और मैं उसे अपने हाथों में थामे ……..ख्यालों में कहीं खो बैठी ।
वो मेरे भीगे-भीगे से लब …….उसमे एक प्यास जगा बैठे ,
वो मुझे अपनी और मैं उसे तृप्त करने की ……..एक होड़ लगा बैठी ।
वो मेरा छनता -छनता सा बदन ………उसमे एक अगन लगा बैठा ,
वो मुझे अपनी और मैं उसे अपनी अगन को बुझाने की …….उम्मीद बना बैठी ।
वो मेरा मस्त-मस्त सा इशारा …..उसमे एक ताप चढ़ा बैठा ,
वो मुझे अपने और मैं उसे अपने ताप को उतारने की ……..एक तरकीब दे बैठी ।
वो मेरा गिरता-गिरता सा आत्म समर्पण …….उसे एक जीत दे बैठा ,
वो मुझे अपने और मैं उसे अपने जिस्म का ……..रखवाला कर बैठी ।
वो मेरी सहमी-सहमी सी नज़र ……उसपे ऐतबार कर बैठी ,
मैं इश्क़ में देखो यारों उसके ……धीरे-धीरे से निखर बैठी ॥
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