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Short Poems

Published by Renusinghal02 in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag Love | Memories | night | pain

1- वो पल

” अक्सर याद आते है वो पल ,
जब तेरे काँधे पे सर रखकर ,
तेरा दामन भिगोते थे हम ।
वो पल जब हर किसी ने मेरा
साथ छोड़ दिया ।
इक तू ही तो था जिसने ,
मेरा साथ दिया था ।
अक्सर याद आते है वो पल ………
मेरी हर ख़ुशी हर गम ,
जो तेरा भी था ।
तू मेरी जिंदगी के
कितने करीब था।
अक्सर याद आते है वो पल ………
किसी के दामन का सहारा ,
ही बहुत है ,
गमो को भुलाने के लिए ।
समेट लिया तूने हमे खुद मे ,
बिखरने से बचाने के लिये ।
अक्सर याद आते है वो पल । “…..…

मेरी कलम से ……..

 

2- “जब पुकारा तुमने”

“कौन हो तुम,
क्यूँ पुकारा तूने मुझको ।
जो इक अजनबी,
अंजान थे ।
फिर भी क्यूँ लगे अपने से ।
हम तो अपनी राह पे ,
यूं ही चले जा रहे थे ।
वो तुम्ही थे जो ,
हमें पुकार रहे थे ।
शायद प्यार की डोर से,
बांधे जा रहे थे ।
जो धागा प्रेम का ,
तेरे-मेरे बीच बँधा है ।
विश्वास तो कर लूं ,
पर मन डरता है ।
छुपा लो इस दुनिया से,
कही दूर हमें ।
कही इस जालिम दुनिया की ,
नज़र न हमको लग जाये ।।”

मेरी कलम से …….

 

3- परछाई

“देखा जो मैंने घूम कर ,
वो साथ मेरे चल रही थी।
पूछा मैंने रूक कर उससे ,
इक बात तो बताओ,
होती है जब भी रौशनी,
तो हर पल साथ निभाती हो,
होते ही अँधेरा क्यूँ ,
तुम गुम कही हो जाती हो।
खामोश रही वो कुछ पल,
बोली फिर मुस्करा कर ।
नादान हो तुम कितनी,
कुछ भी नहीं समझती ।
सुख के सभी है भागीदार ,
मगर दुःख के साथी न कोई ।
फिर मैं तो हूं बस इक साया ,
है नाम मेरा परछाई ।।”

मेरी कलम से …….

 

4- दर्द

यूँ पुराने जख्मों को ,
फिर से न कुरेदो ।
बड़ी मुश्किल से भरे थे ,
जो कभी अपनों ने दिये थे
जिन रिश्तों को निभाने के लिए ,
हम झुकते क्या चले गये ,
उन्ही अपनों ने इसे ,
मेरी औकात समझ ली ।
कमजोर समझ कर हरदम ,
अपनों ने ही मुझ पे वार किये ।
चलो अच्छा है देर से ही सही ,
दर्द जिन अपनों ने दिया हमें ,
उन रिश्तों को कहीं पीछे
छोड़ आये हैं हम ।।

मेरी कलम से …….

 

5- ‘है आज़ाद तू ‘

जब रात काली स्याह सी गहरी हो जाती है ,
बंद कमरे मे जहां दरार होती है ,
रोशनी वही से आती है।
मुश्किलों का दौर है, ये भी गुजर जायेगा ,
हिम्मत रख , विश्वास कर ,
मत कमजोर बन , आगे बढ़ ।
भड़कते है शोले तू और हवा दे उनको,
धधकती है ज्वाला तो जलने दे उसको ।
खुला है आसमां,हौसलों की उड़ान भर तू ,
तोड़ दे इन बंधनों को,कर मन आज़ाद तू
चाहे जो भी हो अंजाम,मत परवाह कर तू ,
जी ले तू आज जी भर ,
पूरे कर सभी ख्वाब तू अपने ।।

मेरी कलम से……

–END–

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