जन – जन में रसधार बहा दो…
माँ, अपने अमृत – कणों से,
जन – जन में रसधार बहा दो।
माँ, तुम कितनी प्रेममयी हो!
कृपा तुम्हारी सब पर है,
कुछ बच्चे जो ठिठुर रहे है,
आसमान ही छत है उनका,
घुटने मोड़े किकुर रहे हैं।
उनका भी उद्धार करा दो,
जन – जन में रसधार बहा दो…
माँ, तुम कितनी ममतामयी हो!
वात्सल्य तुम्हारा सब पर है,
जिनका घर ध्वस्त हो गया,
धरती काँपी सब बिखर गया।
उनके टूटे सपनों को,
फिर से इक आकार दिला दो।
जन – जन में रसधार बहा दो…
माँ, तुम कितनी करुणामयी हो!
लाचारों, बेबसों, शोषितों को,
पीड़ित, ब्यथित, थकित, बंचितों को।
जीवन के संघर्षों में से,
रोशनी का उपहार दिला दो।
जन – जन में रसधार बहा दो…
माँ, तुम कितनी शौर्यमयी हो!
सीमा पर जो डटे प्रहरी हैं,
गोली की बौछारों में जो,
आंधी, बर्फीली, तूफानों में जो,
साँसों और संहारों में जो,
सीना ताने खड़े सजग हैं।
देश नमन करता है उनको,
माँ, उनके अंतस्थल में भी,
शक्ति, वीरत्व, अपार दिला दो।
जन – जन में रसधार बहा दो…
माँ, तुम कितनी विवेकमयी हो!
भटक गए जो सत्य शपथ से,
गिर पड़े जो रश्मि रथ से,
प्रज्ञापुत्र, जो जन्म लिए हैं,
मुंह मोड़ खड़े जो सत्य शपथ से,
उनके मन का विकार मिटा दो।
जन – जन में रसधार बहा दो…
माँ, तुम कितनी आनंदमयी हो!
ध्यान हमें ये सदा रहे,
तेरे चरणों में सिर झुका रहे,
ज्योति – पुँज अंतर में फैले,
तमस हमारा मिटा करे।
मन में स्पंदन हो सुविचारों का,
माँ, ऐसा अहसास करा दो।
जन – जन में रसधार बहा दो…
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माँ, तुम्हीं मेरा सम्बल हो
पड़ी रहीं जो पगडंडी पर,
पाँव तले हैं कुचली जाती।
मिट्टी टूटकर धूल बनी पर,
पथिक पाँव को वे सहलाती.
माँ, मेरा जीवन भी सार्थक,
काम आये उनके जो विकल हों,
माँ, तुम्हीं मेरा सम्बल हो।
मेरा चढ़ना, गिरना, उठना,
चल देना तूफानों में,
नीरव वन में, फुंकारों में,
सन्नाटों में, और दहानों में.
पार करूँ मैं उनको हरदम,
साहस मेरा अडिग, अटल हो।
माँ, तुम्हीं मेरा सम्बल हो!
साधन बना मैं, स्वारथ – हित का,
मैं तो ठहरा सीधा- साधा।
लोगों ने रक्खी बंदूकें,
मेरे काँधे पर से साधा।
बचा लिया तूने माँ, मुझको,
तुम्ही बनी मेरा सतबल हो।
माँ, तुम्हीं मेरा सम्बल हो!
मैं चल रहा उन राहों पर,
जहां हैं पंक और फिसलन।
जो गिर पडूँ, उठाना माँ तुम,
सुलझा देना मेरी उलझन।
तुम्हीं मेरे प्राणों में बहती,
धार निरंतर, गंगाजल हो।
माँ, तुम्हीं मेरा सम्बल हो!
***
–ब्रजेंद्र नाथ मिश्र
जमशेदपुर, तिथि: 16-10-2015.