Two Hindi Poems
1.Ek Aas – Hindi Poem
पेड़ो से पूछा मैंने……
यू ही एक रोज़,
क्यों नहीं है तुम में अब वो पहले जैसा जोश?
क्यों नहीं बैठ कर तुम्हारे नीचे,
नहीं आती वो पहले जैसी बात?
जब शाम ढला करती थी ….
न जाने हो जाती थी कब रात?
क्यों नहीं अब कर पाती, मै फिर से तुमसे बात?
मस्ती भी अब छूट गयी,जब होती है बरसात |
डर लगता है अब चदते हुए ,कोई भी हो शाख…
घबरा कर दिल ये कहता है कि, हो जायूँगी मै राख |
अगर तुम्हे बनना ही था,ऐसा निर्दय कठोर….
तो अच्छा है अब चले जाओ तुम,इस Delhi को छोड़ |
तुमसे है परेशान यहाँ पर, भी सारे इंसान….
रहने कि जगह कम है, और तुम बन रहे हो भगवान् |
सुनकर मेरी व्यथा को मुझसे,पेड़ थोडा मुस्कुराया,
फिर प्यार से उसने हंसकर मुझपर, हवा का झोंका एक लहराया…..
बोला धीमे से मेरे कान में -सुनो मेरे बदलने का वो राज़,
जिसको सुनकर हंसेगा सारा, निर्दय मानव समाज |
जोश मेरा वो पहले जैसा खोया यंही है देखो …….
“प्रदूषण” के काले धुएँ से ,बिखरे रंग अनेको,
मै क्या करता धीरे-धीरे ,कच्ची हो गयी मेरी शाख,
नाम का पेड़ बनकर रह गया अब ,रखता हूँ “Museum ” में सजने कि एक आस ||
2. Parents – Hindi Poem
[कि आस – बच्चो की सोच के आगे सबसे ख़ास]
काश कभी ऐसा भी हो ,कि पेड बने एक कंप्यूटर,
जिसके नीचे बैठ कर मै, खेलूँ सारा दिन जी भर |
घर पर जब भी सिस्टम चलाता,माँ-पापा कि डांटे खाता,
Chatting करते पकड़ा जाता ,facebook पर मै दिन भर ||
कह दूंगा कि मै पढने गया था ,आज फिर से पार्क में ,,
oxygen कि कमी थी घर में,लेने गया था ठंडी सांस मै,
तुम भी तो जब हुआ….. करते थे बच्चे,जाते थे न पार्क में ?
पेड़ के नीचे बैठ कर,लव -लैटर लिखा करते थे साथ में ,
ज़माने के साथ चलो mummy -daddy , मत टोको मुझे यूँ हर बात में ,
बिजली के बिल कि हालत देखो ,में लगा हूँ उसे बचाने ……पेड के नीचे पार्क में,
बेचारे ये जान न पाते…. कि पेड नहीं, अब सिस्टम है मेरे हाथ में,
मेरी भोली सी सूरत पर ,होती उनको भी “एक आस “……… मेरी कही हर एक बात में ||
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