शाम का वक़्त हो गया था और राज अभी तक नहीं आया था,चिंता के कारण अनन्या का सर चकराया जा रह था।बार-बार उसके दिमाग़ में कल वाली बात आ रही थी,कहीं राज भैया अंश के साथ कुछ कर…………
नहीं-नहीं मैं एसा कैसे सोच सकती हुँ,नहीं एसा कुछ नहीं होगा एसा सोचकर वह अपने आप को यक़ीन दिलाना चाहती थी की उसका भाई अंश के साथ कुछ नही करेगा।कल वह अपने कॉलेज के एक दोस्त के साथ रस्टोरेंट में बैठी थी तभी वहाँ उसका भाई आ धमका और बहुत बड़ी ग़लत फ़हमी की शुरुआत हो गयी।तभी अनन्या ने कहा भैया हम सिर्फ़ फ़्रेंड(मित्र) है लेकिन मामला तब गरम हो गया जब राज के दोस्तों ने आग में घी डालने का काम किया और राज ने अंश को मारने की धमकी दे दी ।लेकिन राज ने तब अंश को हाथ तक नही लगाया लेकिन बाहर मिलने की धमकी दी थी।
अनन्या क्या हुआ बेटा क्या सोच रही हो,सहसा एक आवाज अनन्या के कान में पड़ी और वह अपने आप को सम्भालती हुई बोली ……कहाँ कुछ हुआ है कुछ भी तो नहीं,
तो तु इतना गहन चिंतन किस बात का कर रही है माँ ने कहा।ये राज कहा रह गया कितनी बार कहा है इस लड़के को समय पर घर आ जाया कर लेकिन नही मेरी सुनता कौन है इस घर में फ़ोन लगा उसको कहाँ है,
हाँ… माँ लगाती हूँ अनन्या ने कहा।फ़ोन लगाते ही वह हक़बाका रही थी भ… भै… भैया कहाँ हो माँ पुछ रही है,
राज ने जवाब दिया हाँ मैं घर आ ही रहा हुँ दस मिनट में,
ठीक है भैया कहके अनन्या ने फ़ोन काट दिया।अब अनन्या को चिंता सता रही थी की कही भैया घर पे मम्मी पापा को ना बता दे जो उन्होंने देखा था कल रेस्टोरेंट में।भैया ने तो कल ही बता दिया होता वो तो अच्छा हुआ कल भैया दोस्त के घर पे सोए,अनन्या सोचने लगी।तभी घर के बाहर गाड़ी के आने की आवाज़ आइ अनन्या समझ गई की भैया आ गए है।
आ गए साहबजादे कितनी बार कहा है दोस्तों के साथ गप्पें लड़ाते-लड़ाते घड़ी भी देख लिया करो,
घड़ी नहीं माँ गाड़ी कहो माँ इसका तो आज टायर(पहिया) पंक्चर हो गया इसलिए लेट(विलंब) हो गया।
हर चीज़ का बहाना तैयार रहता है इसके पास माँ ने अनन्या की तरफ़ देखते हुआ कहा,पर अनन्या ने कोई जवाब नहीं दिया और सोचने लगी की या तो भैया भूल गए है या पापा के आने का इंतज़ार कर रहे है।अनन्या के पिताजी एक पुलिस अफ़सर है।पापा भी आ गए सबने खाना भी खाया पर जिस बात के बारे में वह सोच रही थी उस बात पर तो बिलकुल भी चर्चा ही नहीं हुई।खाना-खाने के बाद सब अपने कमरे में चले गए,पर अनन्या अभी तक राज के मस्तिष्क को समझ नही पाई थी।
अनन्या अपने कमरे में बैठके अपना कॉलेज का काम निपटा रही थी तभी राज वहाँ आया और कहा मैं कोई मदद कर दूँ छोटी,राज की आवाज़ सुनके अनन्या चौंक गई और हड़बड़ाते हुए कहा न…न .. नही भैया मैं कर लूँगी ,
राज ने कहा ठीक है।राज का व्यवहार एकदम सामान्य(नॉर्मल) था जैसे उसे कोई बात याद ही ना हो, और वह अपने मोबाइल में स्क्रीन को उपर-नीचे करने में व्यस्त हो गया।अब अनन्या अभी तक समझ नही पा रही थी की स्थिति को कैसे सम्भाला जाए ,अगर भैया भूल गए है तो क्यूँ याद दिलाया जाए।पर उसका मन नही मान रहा था आख़िरकार उसने हिम्मत करके डरते-डरते पुछ ही लिया भैया कल जो भी हुआ था वो आपने घर पे किसी को भी क्यूँ नहीं बताया।
ये सुनके राज ने कहा कौनसी बात अच्छा वो रेस्टोरेंट वाली बात,
अरे! उस बात में घर पे बताने जैसा क्या है।
नही भैया कल रेस्टोरेंट में तो आप इतना ग़ुस्सा हो गए थे।
तब राज ने कहा तु बहुत भोली है छोटी,वो तो सिर्फ़ मैंने अपने दोस्तों को दिखाने के लिए किया था बस और कुछ नही।राज ने कुछ सोचकर कहा वो उस लड़के का क्या नाम था,
भैया अंश-अनन्या ने जवाब दिया।
राज ने कहा वो डर तो नहीं गया उसको मेरी तरफ़ से सॉरी कहना।
यह सुनकर अनन्या ख़ुश हुई और चिंतामुक्त भी और उसने अब भैया से खुलकर एक सवाल और पुछ ही लिया,भैया आपके दोस्तों ने इतना भड़काया लेकिन आपने उनकी बातों पर विश्वास नहीं किया।
तब राज ने बड़ी समझदारी से जवाब दिया छोटी वो मेरे सिर्फ़ दोस्त है वो आज है ,कल नहीं,हो सकता है और नए भी बने।लेकिन मुझे अपनी छोटी पर भरोसा है तु तो हमेशा छोटी ही रहेगी ना मेरी प्यारी छोटी बहन,तु मुझे हर साल राखी बाँधती है और मेरा फ़र्ज़ ये है की मैं तेरी रक्षा करू ना की इन छोटे-मोटे बिना हाथ-पैर की बातों को मुद्दा बनाकर तुझे परेशान करूँ,मुझे और पूरे परिवार को तुम पर भरोसा है की तु कोई भी एसा काम नहीं करेगी जिससे हमारी बदनामी हो और दोस्त बनाना कोई ग़लत बात नहीं है आख़िर हम २१वीं सदी में जी रहे है,और हँसते हुए कहा लेकिन दोस्ती से आगे बढ़ो तो दस बार हमसे पूछ लेना और हमारे बारे में सोच लेना।मैं या कोई भी तुम्हें सीमा में बाँधके नहीं रखना चाहता हम तुम पर भरोसा करते है यही सबसे बड़ी सीमा है जो तुम्हें कभी कुछ भी ग़लत क़दम उठाने नहीं देगी।
अनन्या अब कुछ बोल नहीं रही पा रही थी गला भर आया था उसका और आँखों से आँसु छलकने लग गए और कहने लगी भैया मुझे माफ़ करना मैंने आपके बारे में ना जाने क्या-क्या सोच लिया था और भैया की गोद में अपना सर रखकर रोने लगी और उसे एहसास हो गया था की हर भाई ख़राब नही होता।और राज के इन कथनो ने एक भाई-बहन के रिश्तों को प्रगाढ़(मज़बुत) बना दिया जिसमें कोई बाहरी व्यक्ति आकर इस रिश्ते को कभी भी नहीं तोड़ सकता।
एक लेखक होने के नाते में निवेदन करता हुँ की इस कहानी को सिर्फ़ पढ़े नहीं कुछ सिखने का प्रयास करे।
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