प्रेम के फूल
मेरे स्थानांतर से घर के सभी लोग बहुत नाराज़ थे , जैसे की इसमें भी मेरी ही गलती है . मेरे पास कुछ घंटे ही थे तैयारी के लिए , कागजात और जरूरत की साड़ी चीजें बिना भूले रखनी थी . मगर माजी को मेरे देवर , जो की बैंगलोर में रहते हैं , उनके लिए ढेरों सामान पैक करना ज्यादा जरूरी था. मेरे पास समय नहीं था और मैं उनकी इस में कुछ मदद नहीं कर पा रही थी. इस वजह से उन्होंने मुझे एक दो बार खरी खोटी भी सुना दी. ऐसा नहीं है की वह सारी चीजें वहां नहीं मिलती मगर माँ का प्यार क्या न कराये. शादी के पहले जब कभी मुझे यूँ जाना होता था, तो मेरी माँ भी मुझे कितनी सारी चीजें देती थी..
कहते हैं की शादी के बाद एक लड़की का ससुराल ही उसका घर होता है, और सास ससुर माँ-बाप… मगर सच तो यह है की शादी के बाद लड़की अनाथ हो जाती है. आज इतने बड़े पद पर होने के बावजूद मुझसे जिस तरह का बर्ताव किया जाता है, कभी कभी विश्वास होने लगता है की लड़की बन कर जन्म लेना अपने आप में एक अभिशाप ही तो है.
चेन्नई पहुँचने के बाद नए दफ्तर में १० दिन तो बस काम में ही निकल गए. जब फुर्सत मिली तब देखा, मेरे सरकारी घर के ड्राइंग रूम में कुछ गमले रखे थे, जिनमे न जाने कौन कौन से सूखे पौधे थे. शहर में पले –बढे होने की वजह से वैसे भी मुझे पौधों की पहचान नहीं थी . उनकी हालत देख कर बड़ा दुःख हुआ की इनको सींचने के लिए समय न निकल पायी …
उसके बाद से प्रतिदिन मैं सारे पौधों को नियम से सींचती .
एक दिन यूँ ही मेरे पति और मेरी सास, दोनों ने मुझे फ़ोन पर बहुत खरी खोटी सुनाई थी. ऑफिस में ऑडिट चल रहा था ,और मैं व्यस्तता की वजह से उन्हें फ़ोन नहीं कर सकी, इसलिए उन्हें लगा की मैं उनको नीचे दिखाना चाहती हूँ . उस वक़्त ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं कितनी भी कोशिशें कर लूँ , मगर ये रिश्ते कभी खिल नहीं पाएंगे . मन इतना उदास हो गया की उस दिन कुछ भी करने का मन नहीं किया. यहाँ तक की पौधों में पानी देना तक भूल गयी . अगले दिन जब याद आया तो फिर सुबह-सुबह फटाफट पानी डालने पहुँच गयी. वहां देखा की उनमे से एक पौधे में दो गुलाब के फूल खिले थे. मन ख़ुशी से नाच उठा . लगा जैसे धैर्य और विश्वास के साथ बिना किसी आशा के अगर रिश्तों को भी सींचते रहूं , तो शायद एक दिन उनमे भी प्रेम के फूल खिल उठेंगे.
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