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Maayeka

Published by manjusha7033522413@gmail.com in category Family | Hindi | Hindi Story with tag husband | parents

मायका का एक अलग ही अंदाज है। एक लड़की उर्मिला जब अपने मायका आई तो उसे खुशी का अंदाज़ समझ मे नही आया ।

वह सोची – मैं अपना ही घर छोड़ ससुराल चली गयी है भगवान मेरे वही बचपन लौटा दे मैं मायके की अपनी माँ अपने बाबूजी अपने भाई , बहन, अपनी सखी सहेली छोड़ कैसे ससुराल जाऊं । मुझे उस ससुराल मे नही जाना है मेरा तो मायके का घर ही अपना घर है। मैं अपने मैके मे ही रहूंगी । उन सखी सहेलियों को छोड़ कर जाना उनसे बिछड़ना मुझसे सहन नही हो पायेगा ।

उर्मिला कहती है की हे भगवान ये तुने कैसे दुनिया बनाई है जिसमे बेटियों को मायके छोड़ ससुराल जाना है । वह है पिया का घर, पर मेरा मायका मेरी माँ का घर है ये मुझे बहुत प्यारा लगता है। हे भगवान मैं मायका का स्नेह छोड़ ससुराल कैसे जाऊँ मुझे नही जाना वह घर।

जो पिया का घर है जो ससुराल है। वहाँ ससुर और सास है जो कांटे का शाशन है जिमेदारी है कैसे जाऊं पिया का घर। मैं मायका मे ही रहूंगी । जिन्होंने मुझे जन्म दिया है पालन पोषण किया है वह कहते हैं उर्मिला तुम ससुराल जाओ । तब उर्मिला कहती है की माँ तुम मुझे क्यों भगाने पर तुली हो ? क्यों मैं तुम्हारी बेटी नही हूँ? माँ तुम्हे मुझसे बेटी का प्यार नही है?

तब फिर उर्मिला कहती है ‘ मैंने क्यों जन्म लिया । बेटी को ससुराल जाना है ।’ उर्मिला को भी और भाभी भी कह रही हैं , वे बहुत समझा रहे हैं। उर्मिला आँसुओं के साथ फुट-फुट कर रो रही है।’उर्मिला तुम्हारा घर वही है चली जाओ तुम ससुराल ।’

‘तब उर्मिला कह रही है मैं क्यों जाऊँ मैं नही जाउंगी मेरा घर यही है। तुझे क्या है।’ उर्मिला भाभी से कहती है ‘ तुम मुझे भागने के लिए तैयार हो जाती हो। मैं तुम्हारा कुछ नही लूंगी। मुझे रहने दो मेरे माँ के घर में। मैं मायके में किसी तरह रह लूंगी । सीता जी अपने मायके में बालू फाक कर राह गई थी। तभी बहुत खुश थी। यह सीता जी की पुरानी कहावत है। लेकिन सीता जी को राम प्यारे थे इसलिए वो राम के साथ वनवास चली गयी परंतु मेरी माँ मुझे प्यारी है। माँ के साथ ही मेरी अर्थी जायेगी । पर मैं ससुराल नही जाउंगी ।’ मुझे मेरे माँ के घर मे रहने दो ।

फिर उर्मिला फफक फफक कर रोने लगी ।हे भगवान मैने क्या किया कि मेरी सहेलियां मुझे ससुराल भेज रही हैं। मैं वहां जा कर क्या करूँगी । ये दिन काटना जीवन के विचरण का आभास कैसे दूर करुँ माँ बता। माँ मैं तुम्हारी बेटी हूँ। माँ कहती है बेटी की डोली मायके से निकलती है और अर्थी ससुराल से।माँ के समझाने पर बेटी ससुराल जाने को तैयार हो जाती है । तब बेटी कहती है माँ तुम मुझे ससुराल भेज दो अब मैं कभी नही आउंगी । माँ मेरा मायका अब बेगाना हो गया है। मेरी अर्थी अब ससुराल से ही जाएगी।

उर्मिला ससुराल चली जाती है वहां जाते ही उसे दिल का दौरा पड़ता है। वह अब सारी दुनिया छोड़ अपने जीवन को समाप्त कर देती है। अन्त मे वह मायका – मायका कह प्राण त्याग देती है ।

–END–

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