आज मेरा तलाक हुए चार साल हो चुके हैं। मेरे और तरुणा के बीच झगड़े इतने बढ चुके थे की हम दोनों का साथ रहना नामुमकिन हो गया था और इसलिए शादी के एक साल के बाद ही हम क़ानूनी रूप से अलग हो गए। मन तो हम दोनों के कभी मिलें ही नहीं और रही फिजिकल इंटिमेसी की बात तो इसको तो तरुणा अच्छा नहीं मानती थी। शादी के दूसरे दिन से ही उसने हर छोटी छोटी बात का बतंगड़ बनाना शुरू कर दिया था।
यह क्या है, वो क्या है,तुम लोगों की जिंदगी तो बस यह दकियानूसी रीती रिवाजों को निभाने में ही बीत जाएगी, तुम्हारा घर कितना छोटा है , तुम सब को रहने का कोई सलीका नहीं है,यह कैसे डिजाईन के कपड़े पहनते हो तुम लोग और ना जाने क्या क्या। उसे मुझसे और मेरे परिवार के हर सदस्य से हमेशा ही कोई ना कोई शिकायत रहती थी। मैंने और सबसे ज्यादा तो मेरे माता – पिता ने खुद को उसके हिसाब से ढालने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ।उल्टा उसकी बेलगाम जुबां ने और भी ज्यादा ज़हर उगलना शुरू कर दिया। और उस दिन तो उसने मर्यादा की सभी हदें पार कर दी जब वो माँ को बोली की,”मम्मी जी आप तो ना अपनी वही पुरानी फूल के प्रिंट वाली साड़ी पहना करें।इन नयी डिजाईन की साड़ियों में आपको देखकर ऐसा लगता है जैसे की,”बूड़ी घोड़ी लाल लगाम” और बेशर्मों की तरह मुस्कुराते हुए चली गयी।
मेरी माँ ने मेरे गृहस्थ जीवन की सुख-शान्ति बनाये रखने के लिए अपमान का यह घूँट भी पी लिया। जब मैंने उससे कहा की वो अपनी बत्तमीज़ी के लिए माँ से माफ़ी मांगे तो उसने बाहर बालकनी में जाकर जोर जोर से बोलना और रोना शुरू कर दिया। और उल्टा मुझे ही उससे माफ़ी मांगकर उसके सामने हाथ जोड़कर उसको शांत करना पड़ा।
तरुणा को पहली बार मेरी मौसी ने जयपुर में अपने किसी रिश्तेदार के लड़के की शादी में देखा था।उसके रूप-रंग से वे इतनी मोहित हो गयीं थी कि उसके बारे में उन्होंने सब खोज -खबर निकालने शुरू कर दी।सब जानकारी जुटाने के बाद उन्होंने मम्मी-पापा को फ़ोन पर सब बात बतायी। रिश्ता मौसी ने बताया था सो मम्मी-पापा ने ज़्यादा जाँच – पड़ताल नहीं की। बस फिर क्या था मेरी फोटो और जन्मपत्री जयपुर भेज दी गयी और तरुणा की फोटो और जन्मपत्री हमारे पास यहाँ दिल्ली आ गई।दो दिन बाद मौसी का फ़ोन फिर से आया और उन्होंने चहकते हुए बताया की मेरी और तरुणा की जन्मपत्री मिल गयी है। मैंने मम्मी से पूछा भी था की,”क्या लड़की को मेरी फोटो पसंद आई है? जन्मपत्री के मिलने से ज़्यादा उस लड़की की पसंद – नापसंद जानना ज़रूरी है।” इस पर मम्मी ने प्यार से झिड़कते हुए मुझे चुप करा दिया था।
इस सब के ठीक एक महीने बाद तरुणा और उसके मम्मी-पापा दिल्ली आए ताकि जो भी देखने-दिखाने की औपचारिकता है उसको पूरा कर लिया जाए और बात पक्की की जा सके।इतवार के दिन वे सब लोग हमारे घर आए। गुलाबी रंग के सूट में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।उसके रूप का नशा मुझ पर भी छा रहा था लेकिन जब मुझे उससे अकेले में बात करने का मौका मिला तो सारा नशा तभी झट से उतर भी गया। थोड़ी बहुत इधर-उधर की बातें करने के बाद मैंने उससे ऐसे ही पूछ लिया की,”आप यह जन्मपत्री वगैरह में यकीन हैं क्या ?” और वो तो जैसे जवाब के साथ तैयार ही बैठी थी।बड़े ही घमंड और एक तीखे व्यंग के साथ वो बोली,”बिलकुल करती हूँ।मेरी जन्मपत्री कहती है की मैं जिस भी घर में शादी करके जाऊँगी वहाँ राज करुँगी। मेरे आगे-पीछे नौकर घूमेंगे।अब तक ना जाने मैं कितने ही रिश्तों को ना बोल चुकी हूँ पर आपके लिए हाँ इसलिए बोला क्यूंकि आपके साथ ३२ गुणों का मिलान हुआ है और मुझे पक्का यकीन है की शादी के बाद आपके घर में मुझे कोई भी काम करने के ज़रूरत नहीं पड़ेगी।” उसका यह जवाब सुनकर मैं हैरान रह गया था लेकिन इस बात का अंदाज़ा नहीं लगा पाया पाया`था की वो मेरे मम्मी – पापा को और बहन को नौकर का दर्जा दे रही है।
उन सब के जाने के बाद मैंने यह सब बातें मम्मी-पापा को बतायीं तो उन्होंने मुझ से हँस कर कहा ,”अरे बेटा ! वो मजाक कर रही होगी। अभी थोड़ा सा बचपना है उसमे लेकिन हमें पूरा यकीन है की शादी के बाद वो ज़िम्मेदार बहु और बीवी बन जाएगी। तू हर छोटी छोटी बात को लेकर परेशां ना हुआ कर। इस लड़की की पत्री में किसी तरह की कोई अड़चन भी नहीं है।अब भला इतनी सुंदर शिक्षित लड़कियों के रिश्ते रोज़ रोज़ थोड़े ना आते हैं। ”
लेकिन मेरी परेशानी बेवजह नहीं थी।मैंने कहा,”लेकिन पापा कौन लड़की पहली बार मिलने पर इस तरह की उट-पटांग बातें करती है।मुझे इस रिश्ते के बारे में सोचने के लिए थोड़ा और वक़्त चाहिए। यह लड़की मुझे कुछ ठीक नहीं लगी।मेरा मन इस रिश्ते के लिए राज़ी नहीं है।जब इस लड़की के ये तेवर अभी हैं तो शादी के बाद क्या ख़ाक यह हमारे घर में एडजस्ट करेगी।”
तब इस पर पापा और मम्मी साथ-साथ बोले की,”बेटा इतने नखरे करना सही बात नहीं है।उस लड़की के ३२ गुण मिलें है तुझसे तो कोई तो ख़ास बात होगी ना उस लड़की में भी।इतना अच्छा रिश्ता कहाँ मिलेगा? और रही एडजस्ट होने की बात तो यह भी वो कर ही लेगी।” मम्मी-पापा मेरी कोई बात सुनने को और मेरे किसी भी तर्क को मानने के लिए तैयार ही नहीं थे।
परेशां होकर मैंने बड़े मामाजी को फ़ोन लगा कर सब बात उनसे कही।मामाजी को मम्मी-पापा बहुत मानते हैं तो मुझे लगा की वही सही व्यक्ति हैं जिनसे मैं अपना डर बाँट सकता हूँ।और उसी दिन देर रात को तरुणा के पापा ने फ़ोन करके यह खबर दी की उनकी तरफ से रिश्ता पक्का है और इधर से पापा ने भी मुझसे कोई और बातचीत किए बिना हाँ बोल दी।
अगले दिन जब मैं ऑफिस के लिए निकल रहा था तब मैंने देखा की मम्मी सब करीबी रिश्तेदारों को एक एक करके खबर देने में लगी हुई हैं और यह भी बता रही हैं की जन्मपत्री मिलने के बाद ही रिश्ता पक्का हुआ है। और जैसी की मुझे उम्मीद थी शाम को बड़े मामाजी घर आये।उन्होंने बहुत ही शान्ति और प्यार से मम्मी-पापा को यह समझाने का प्रयास किया की पत्री का मिलना वगरैह तो सब ठीक है लेकिन लड़की और उसके घर वालों के बारे में और दूसरी जानकारी भी लेनी जरुरी है जैसे की लड़की का नेचर कैसा है,मिलनसार है की नहीं,उसकी आदतें,उसके शौक क्या क्या हैं, उसका खानपान ,रहन -सहन इत्यादि।लेकिन मम्मी-पापा की आँखों पर जन्मपत्री के नाम की जो पट्टी बंधी थी उसको मामाजी भी उतार नहीं पाए। वे भी शायद आने वाले तूफ़ान को भाँप चुके थे और इसलिए चलते-चलते वे सिर्फ इतना ही मुझसे बोले की,”बेटा ! भोले-भंडारी तेरी रक्षा करें।मैं प्रार्थना करूँगा की तेरी शादी सफल रहे।”
अगले कुछ ही दिनों में सगाई और शादी की तारीख पक्की हो गई।घर में सब खुश थे।मैं भी खुश होना चाहता था लेकिन बार बार तरुणा द्वारा कही गई वो बातें दिमाग में हथोड़े की तरह बजती रहती थी। सगाई के बाद और शादी से पहले मुझे एक भी ऐसा मौका नहीं मिला की मैं तरुणा से और एक-दो बार मिलकर उसको और थोड़ा जान सकूँ। मैं कभी उसको फ़ोन भी करता तो कभी शॉपिंग का बहाना करके या घर के किसी काम में व्यस्त होने का बहाना करके फ़ोन काट देती।
खैर वक़्त बीतता गया और निर्धारित तारीख पर मेरी और तरुणा की शादी भी हो गई। शादी में भी मेरी मम्मी सब को यह बताने से नहीं चूकी की मेरी और तरुणा की जन्मपत्री में ३२ गुण मिले हैं।लेकिन जन्मपत्री के मिलने से ज्यादा दिलों का और विचारों का मिलना ज़रूरी है और इसी बारे में मेरे परिवार ने नहीं सोचा।और इस गलती का एहसास हमें तरुणा ने जल्द ही करवा दिया।
बात बात पर मुझे और मम्मी-पापा को नीचा दिखाना,चीख-चीख कर बात करना,हर बात पर अपने पापा के पैसे की धौंस देना उसकी आदत हो गई थी।एक दिन बहुत दुखी होकर मम्मी ने उसके घर फ़ोन करके उसके मम्मी-पापा से सब बात कही और आग्रह किया की वे तरुणा से बात करें।तो उल्टा उसके मम्मी-पापा मेरी मम्मी पर बरसते हुए बोले की,”एक तो हीरे जैसी लड़की दी है हमने आपको और उस पर आप हमारी बेटी में ही कमियाँ निकाल रही हैं।अरे एक से बढ कर एक रिश्ते थे मेरी तरुणा के लिए लेकिन हमने आपके बेटे को इसलिए अपनी बेटी के लिए चुना क्यूंकि मेरी तरुणा के और आपके बेटे के ३६ में से ३२ गुण मिले थे।अगर इतनी ही खटकती है हमारी लड़की आपको तो वापिस ले जायेंगे हम उसको जयपुर।” यह कहकर उन्होंने फ़ोन काट दिया।
यह सब सुनने के बाद तो मम्मी के पैरों के नीचे से जैसे जमीन ही निकल गई।अगले दो-चार दिनों में तरुणा मम्मी – पापा की सब मान – मुनहार को अनसुना कर अपने घर जयपुर वापिस लौट गयी।उसके जाने के ठीक १५ दिन के बाद मुझे उसकी तरफ से तलाक का नोटिस मिला।सारे घर में हंगामा सा मच गया।तरुणा और उसके माँ-बाप कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे।मम्मी ने हार कर मौसी से बात की और बोलीं की वे तरुणा और उसके घर वालों से बात करने की कोशिश करें तो वे भी पीछे हट गयीं और बोलीं की,” आप मुझे इस मामले में ना ही घसीटो तो अच्छा होगा। वैसे भी गलती आप लोगों की ही है।मैंने तो सिर्फ रिश्ता बताया था पर बाकि की छानबीन करना तो आप लोगों की ज़िम्मेदारी थी।” और यह कहकर मौसी ने फ़ोन रख दिया।
मम्मी-पापा,सुचेता और मैं बहुत परेशान हो गए।और इस मुश्किल घड़ी में भी बड़े मामाजी ही हमारी मदद के लिए आगे आये।उन्होंने तरुणा और उसके घर वालों से बात करके उनको समझाने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ।इसके बाद उन्होंने अपने एक दोस्त के वकील बेटे की मदद ली जिसने मेरा तलाक का केस लड़ा। और कुछ ही महीनों में मैं और तरुणा हमेशा के लिए अलग हो गए।
मैंने तो चैन की सांस ली लेकिन मम्मी पापा को यह चिंता सता रही थी की तलाकशुदा होने का जो धब्बा मेरे ऊपर लग गया है उसके चलते अब मेरी शादी दोबारा कैसे होगी। और उस पर मम्मी बोली की,”इस बार तो मैं हर एक लड़की की पत्री बनारस वाले चौबे जी को ही दिखाउंगी।”
यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने कहा,”बस कीजिये मम्मी! अभी हम सब लोग एक मुश्किल दौर से गुज़रे हैं और आपने फिर यह जन्मपत्री वाला राग अलापना शुरू कर दिया। मैंने तरुणा के समय भी आपसे यही बात कही थी की जन्मपत्री के मिलने से ज्यादा दिल और विचारों का मिलना ज़रूरी है।पर तब आप दोनों ने मेरी बात नहीं सुनी और उसका नतीजा आज हम सब ने भुगता है।अब मेरी एक बात आप अच्छी तरह समझ लें की मैं उसी लड़की से शादी करूंगा जो मुझे समझेगी , आप लोगों की इज्ज़त करेगी और इस घर को बांधे रखने में मेरा साथ देगी वर्ना मुझे कुँवारा रहना मंज़ूर है।”
पिछले चार साल में काफी रिश्ते आए और गए पर अभी तक मुझे वैसी लड़की नहीं मिली जिसको मिलकर मुझे लगे की हाँ यह मुझे समझेगी और जीवन भर मेरा साथ निभाएगी।पर मैं निराश नहीं हुआ हूँ और मुझे उम्मीद है की भगवान ने जिसे मेरे लिए बनाया है वे जल्द ही मुझे उससे मिलवा भी देंगे।
हाँ लेकिन मेरी मम्मी ने जन्मपत्री मिलवाना नहीं छोड़ा है!!
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