Was he really Lucky ?? : This Hindi story is about a boy named ‘Lucky’ who win a condition kept by his brother to test his luck . But was he really Lucky ?
ये कहानी दो भाइयों की है , लक्की और रवि ।
रवि , एक बड़ी कंपनी में अच्छे औधे पे काम करता था , और लक्की कॉलेज जाया करता था । लक्की इंटेर में पढ़ता था, उसकी उम्र करीब सत्रह साल थी । रोज़ दोनों भाई घर से साथ निकलते थे , रवि अपनी कार में पहले लक्की को उसके कॉलेज छोड़ देता फिर आगे अपनी कंपनी निकल जाता । ये सिलसिला रोज़ चलता । लगभग हर दिन लक्की अपने बड़े भाई से एक बार खुद कार चलाने की ज़िद्द किया करता । वो कहता ” भैया ! सिर्फ एक बार चलाने दो न , अभी तोह रोड खाली है। ”
” नहीं लक्की ! अभी नहीं , तुम छोटे हो और तुम्हरा लाइसेंस भी नहीं बना हुआ है , जब तुम 18 साल के हो जाओ तब चलाना। “- रवि रोज़ ये ही केह कर बात को टाल जाता था ।
” क्या भैया ! आप हमेशा एक ही बात बोल कर मुझे मना करते रहते हो , मैं अब कोई बच्चा नहीं हूँ, मुझे पता है कि गाडी कैसे चलाते है “- लक्की ने थोडा गुस्से से कहा ।
” अच्छा बेटा ! वोह कैसे ? ज़रा हमें भी तो बताओ , मुझे तो गाडी चलानी आती ही नहीं। ” – रवि ने हस कर पुछा
” देखो , पहले चाबी से कार स्टार्ट करते है , उसके बाद क्लच दबाते है , फिर गियर बदलते है , और फिर धीरे धीरे एक्सेलरेटर छोड़ते है , बस चल पड़ी गाडी …” – लक्की ने तपाक से कहा।
ये सुन कर रवि सोच में पढ़ गया कि इसको तो पता है कि कार कैसे चलाते है , अब क्या करू ? ।
” बेटा ये तो थ्योरी है , कभी प्रैक्टिकल किया है ? …. बताने में और चलने में काफी फ़र्क़ होता है । ” – रवि बात सँभालते हुए बोला
” ठीक है भाई , अब आप अपनी बात पे रहना , अगर मैंने गाडी चलाना सीख लिया तो आप मुझे अपनी कार चलाने दोगे ? “- लक्की झुंझुलाटे हुए बोला
” अच्छा बाबा ठीक है , चलो अब कॉलेज आने वाला है … शाम को ठीक से घर चले जाना ” – रवि ने कहा
दस मिनट के बाद लकी का कॉलेज आ जाता है और वो रवि को बाय बोलकर चला जाता है|
3 – 4 दिन तक लक्की ने रवि से कुछ नहीं कहा , वो चुप चाप अपने कॉलेज जाने लगा , मगर एक दिन फिर उसने कार चलाने के लिए पुछा।
इससे पहले रवि उसको माना कर पाता , लकी ने तुरंत बोला कि “आप वो ही लाइन कहे उससे पहले मैं आपको बता दू कि अब मुझे प्रैक्टिकल भी पता है कि कार कैसे चलाई जाती है , तोह प्लीज् वो ही घिस्सी पिट्टी लाइन मत बोलना”
” अच्छा कहाँ पे सीखा चलाना ? ” – रवि ने पुछा
” मेरा एक दोस्त है कॉलेज में उससे, उसके पास मारुती 800 है , मैंने उससे कहाँ तो उसने मुझे थोडा प्रक्टिस करने दी।
” बेटा वोह मारुती थी , और ये हौंडा एकॉर्ड है , 22 लाख की गाडी है, अगर इसको चलना है तोह कुछ करना पड़ेगा तुम्हे ….” – रवि ने कहा
” अब क्या है ??…. नहीं देनी है तो मत दो , मगर ये रोज़ रोज़ के बहाने मत बनाओ आप… अब जब मैंने सीख ली है तोह , आप शर्त लगा रहे हो … ” – लकी ने गुस्से से कहा ।
2 मिनट के बाद.…
‘ अच्छा क्या करना होगा बताओ ? ” – लक्की ने पुछा ।
” ज़यादा कुछ नहीं , बस मैं देखना चाहता हूँ कि तू कितना लक्की है ? या सिर्फ नाम ही लक्की पड़ा हुआ है । – रवि बोला
” मतलब ? ” – लक्की ने पुछा
” मतलब ये कि तुझे कुछ सवालों के जवाब देने होंगे , अगर तू दे पाया तो कल गाडी चला सकता है ।” – रवि ने अपनी शर्त सामने रखी
” अकेले ? ” – लक्की ने तपाक से पुछा ।
” हाँ चल अकेले , तू जहाँ चाहे वहाँ तक ले जाना , मगर पूरी शर्त सुन्न ले “- रवि कहता है।
” हाँ चलो शर्त बताओ ,”- लक्की
” शर्त ये है कि तुझे मेरे 5 सवालो के जवाब देने होंगे , मैं पहले उनके सही जवाब लिख कर अपने पास रख लेता हूँ, फिर तेरे जवाब से उनको मैच करूँगा
अगर 5 में से तू 4 भी सही दे पाया तो तू शर्त जीत जायेगा , और गाडी कल चला सकेगा । मगर कही तू जवाब सही नहीं दे पाया तो आज के बाद कभी मुझे से कार नहीं मांगेगा , 18 साल होने तक , मंजूर ?” – रवि से पूरी शर्त बताई ।
” ठीक है मंजूर ” – लक्की
” तो मेरे 5 सवाल है ये :-
* मेरा पसंदीदा अभिनेता कौन है ?
* मेरा पसंदीदा गाना कौनसा है जो मैं अक्सर सुनता हूँ ?
* हंगरी की कैपिटल क्या है ?
* भारत के पहले राष्ट्रीपति कौन थे ?
* मैं रोज़ कितनी चाय पीटा हूँ पूरे दिन मैं ?
रवि इन सवालो के जवाब अलग से लिख कर रख पहले ही रख लेता है ।
लक्की काफी सोचता है और करीब 10 मिनट में इन सवालों के जवाब लिख कर बताता है।
रवि मुस्कुराते हुए लकी से उसका पपेर लेता है और जवाब मिलाने लगता है ।
” भाई कितने सही बैठे ? मैंने 1 – 2 तो तुक्के लगाई है , मुझे भी तो दिखओ , दोनों मिलकर चैक करते है। ” -लक्की कहता है।
1 मिनट के बाद रवि उसका कान मरोर कर हस्ते हुए कहता है , ” सच मैं तू नाम का ही किस्मत से भी लक्की है , 4 जवाब सही है , सिर्फ तुझे मेरा पसंदीदा गाना नहीं पता , चल ठीक है कल कार ले जाना , अब खुश ?”
इतना सुनते ही वो ख़ुशी से उछल जाता है , और अपने भाई को लपक के पकड़ता है ।
” वाओ , मैं इतना लक्की हूँ मुझे आज ही पता चला। कमाल हो गया ” – लक्की जोर से ख़ुशी में कहता है ।
सारी रात वो ख़ुशी से ठीक से सो भी नहीं पाता , बस उसको अगले दिन का इंतज़ार होता है, कि कब सुबह हो और वोह अपने भाई की कार ले जाए ।
सुबह होती है ….
लक्की बिना किसी को बताये कार लेकर अकेले ही एक लम्बी ड्राइव पे निकल जाता है। काफी देर हो जाती है , अब तक सब सो कर उठ चुके होते है । थोड़ी देर बाद…..
फ़ोन रिंग होता है …. कॉल करने वाला अपने को पुलिस इंस्पेक्टर बताता है.… उसके बाद जो वो खबर सुनाता है उस पर मुझे आज तक यकीं नहीं होता। लक्की का एक्सीडेंट एक ट्रक से हो गया था, और उसकी मौके पे ही मौत हो गयी थी।
मैं आज तक सोचता हूँ कि क्या वोह सच मैं लक्की था ? कुछ सवाल दिन-ब-दिन मेरे जेहन को चुबते रहते है। मैंने अपने प्यारे बेटे को हमेशा के लिए खो दिया।
एक खेल जिसको उसने अपनी लक से जीता , मगर अंजाम उसकी मौत बन गया
रवि आज भी अपने को कोसता है कि , क्यूँ उसने इतना अपने छोटे भाई को सताया ? क्यूँ उसने लक्की को अकेले चलाने की जिद्द पे हाँ भरी ?
आज हम बाप – बेटे अपने लक्की को याद करके रो लेते है.…..।
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