ये कैसा सरप्राइज!
” मम्मी!…गुलाब मौसी को हम गुलाब बुआ क्यों नहीं कहते?”…मैं जब छोटीसी बच्ची थी तब एक दिन मैंने अपनी मम्मी से प्रश्न किया!
” क्यों कि वह मौसी है…मौसी मतलब कि माँ की बहन; समझी? गुलाब मेरी बहन है और मैं …आप की मम्मी हूँ मिनी!…तो मेरी बहन आपकी मौसी ही तो हुई ना?” मम्मी ने मुझे समझाते हुए उत्तर दिया!
” ….और कल्पना बुआ जो हमारे घर में रहती है…..वह मेरे पापा की बहन है, इसलिए उसे बुआ कहते है?” मैंने और एक प्रश्न पूछा!
“…हाँ!..मिनी बिटिया! वह आपके पापा की बहन है,इसलिए उसे आप बुआ कहती है!”
“‘मम्मी!..गुलाब मौसी नानाजी के घर में क्यों रहती है”? आप की बहन है तो हमारे घर में क्यों नहीं रहती? मेरी बहन होगी, तो वह कहाँ रहेगी? ” मेरा बाल-मन सोच में पड गया था कि बुआ हमारे घर में रहती है तो मौसी नानाजी के घर में क्यों रहती है!
” अब चुप भी करो मिनी!…क्या मैं सारे काम छोड़ कर तुम्हारे साथ ही बतियाती रहूँ?…तुम बड़ी हो जाओगी तो यह सब समझ जाओगी…अब जाओ बाहर आँगन में जा कर खेलो और मुझे काम करने दो!” मैं आँगन में खेलने चली तो गई लेकिन मेरा बुआ और मौसी के बारे में सोचना जारी ही था!
…जब कुछ बड़ी हो गई तब मेरी समझ में आ गया कि नाना-नानी, मामाजी , मौसी ये सब मम्मी के मायके की तरफ के रिश्तेदार है; और दादा-दादी, ताउजी,चाचाजी और बुआ ये सब मम्मी के ससुराल की तरफ से है!…मम्मी ससुराल में रहती है और अब ससुराल में ही रहेगी! मेरा ध्यान अब सभी के चेहरे की तरफ जाता था!…गुलाब मौसी मुझे बहुत सुन्दर लगती थी! उसका गोरा रंग, काले लंबे बाल, बड़ी-बड़ी काली आँखें देख कर मुझे लगता था…मेरी शकल मौसी जैसी क्यों नहीं है? मौसी जब हँसती है तो उसके दांत कितने सुन्दर दिखते है और मेरे टेढ़े-मेढे क्यों है?…मैं अपनी बुआ जैसी क्यों दिखती हूँ?…मौसी जैसी क्यों नहीं?…कई तरह के सवाल मन में उठते थे!..कुछ का जबाब मम्मी दे भी देती थी और कुछ का जवाब जब उसके पास होता ही नहीं था तो मुझे डांट-डपट कर चुप करा देती थी!
…मैं बड़ी हो गई!..गुलाब मौसी ने बी.एस.सी.नर्सिंग का कोर्स किया था और वह नर्स बन गई थी!…अहमदाबाद के वाडीलाल साराभाई अस्पताल में वह नर्स थी!..नर्स की यूनिफार्म में तो अब वह बहुत ही सुन्दर लगती थी!…मेरी बुआ स्कूल में टीचर थी…जल्दी ही बुआ की शादी भी हो गई और वह ससुराल चली गई!…अब सभी को गुलाब मौसी की शादी का इंतज़ार था!… ‘इतनी सुन्दर मौसी का दूल्हा भी तो उतना ही हैंडसम होगा!’ मैं मन में सोचती थी! एक दिन पता चला कि गुलाब मौसी ने अपने लिए जीवन-साथी चुन लिया है!
…गुलाब मौसी और डॉक्टर विकास की प्रेम कहानी जल्दी ही घर वालों के कानों तक पहुँच गई! एक दिन डॉक्टर विकास का परिचय गुलाब मौसी ने अपने परिजनों से करवाया! डॉक्टर विकास भी बहुत हैंडसम थे! नाना-नानी को इस शादी से कोई आपत्ति नहीं थी….लेकिन जल्दी ही पता चला कि डॉक्टर विकास के घरवालों की मोटे दहेज की डिमांड थी!.. लगभग दस से -पन्द्रह लाख रूपये का खर्चा था; जो वहन करना नाना-नानी के बस में नहीं था!…और क्या होना था!…शादी होते होते रह गई!..डॉक्टर विकास ने भी अपने पैरेंट्स के खिलाफ जाने से मना कर दिया और किसी और लड़की से शादी कर ली!…लेकिन गुलाब मौसी का दिल टूट गया! उसका शादी की संस्था पर से ही विश्वास उठ गया! वह जीवन भर कुंवारी रही!
…समय आगे खिसकता गया! .मेरी शादी हो गई,,मेरी छोटी बहन की भी हो गई और मेरे भाई की भी हो गई!…अब सभी के घर अलग अलग हो गए!..मामाजी. चाचाजी, ताउजी…कोई कहाँ रहता था तो कोई कहाँ रहता था! गुलाब मौसी अब अस्पताल में मैट्रन के पद पर कार्यरत थी! वह बहुत ही सख्त स्वभाव की थी! सभी से कट कर रह गई थी! न किसी के घर जाती थी और न किसी को अपने घर बुलाती थी! होली हो या दिवाली…उसके लिए सब दिन एक जैसे होते थे! किसीसे कोई सारोकार नहीं था! …लेकिन मैं हंमेशा उसकी खोज-खबर लेती रहती थी!..जब भी समय मिले उससे मिलने अस्पताल पहुँच जाया करती थी!..कई बार तो वह मिलने से इनकार भी कर देती थी, लेकिन मैं बुरा नहीं मानती थी…मैं उससे बहुत प्यार करती थी!…वह कंजूस भी बहुत थी! घर पर फोन तक लगवाया नहीं था!..शायद प्रेम में असफलता हाथ आने से उसके अंदर असुरक्षा की भावना पनप उठी थी! एक बार अस्पताल मैं उसे मिलने पहुँच गई तो मुझे पता चला कि गुलाब मौसी रिटायर हो चुकी है और अहमदाबाद के ही पालडी इलाके में एक फ्लोर ले कर रह रही है…मैंने उसका एड्रेस हासिल किया और उसके घर पहुँच गई!
…मुझे देख कर मौसी ज्यादा खुश हुई नहीं!…चाय के लिए मुझसे पूछा लेकिन मेरे मना करने पर बनाई भी नहीं!..कुछ इधर उधर की बातें हुई और मैंने उससे विदा लेना ही ठीक समझा!..लेकिन मैंने गुलाब मौसी पीछा नहीं छोड़ा!…कभी कभार उसके घर पर जाती ही रही!
” तुमने आज बहुत सुन्दर साड़ी पहनी है!..” मैं एक दिन गुलाब मौसी घर गई! वह आज खुश लग रही थी…जीवन में पहली बार उसने मेरी तारीफ़ की और मै खुश हो गई!…आश्चर्य भी हुआ!
” थैंक यू मौसी!…क्या बात है? आज मेरी साड़ी की तरफ आप का ध्यान कैसे गया?”…मैंने भी चुटकी ली!
“‘ मिनी!…मैंने सोच लिया!..अब मैं किसी से कट कर नहीं रहना चाहती!…अब तो बुढापा आ गया!..अपने सभी रिश्तेंदारों के साथ मेल-मिलाप बढ़ाना चाहती हूँ!…मुझे बहुत दु;ख हो रहा है कि इतने साल मैं सब से कट कर रही!…हट कर रही…दूर रही! मैं एक पार्टी देना चाहती हूँ! अपने घर पर सभी को आमंत्रित करना चाहती हूँ!…मिनी!..क्या इस काम में मेरी मदद करोगी?”
…मै हैरान थी!…खुश भी हो रही थी कि मौसी में कितना अच्छा बदलाव आ गया!…मौसी ने मेरे से सभी रिश्तेदारों के एड्रेस ले लिए और कहा कि वह निमंत्रण-पत्र छपवाकर, एक निश्चित दिन तय करके सभी को आमंत्रित करेगी!…निमंत्रण-पत्र सभी को पोस्ट द्वारा भेजेगी!…मौसी ने ये भी कहा कि वह सब को सरप्राइज देना चाहती है!
” मिनी..किसी को कुछ मत बताना!…जब निमंत्रण पत्र सभी के हाथ में पडेंगे, तभी सभी को पता चलना चाहिए!…मैं सरप्राइज देना चाहती हूँ!” इस पर मैंने भी खुशी खुशी हामी भर दी और गुलाब मौसी से वादा किया कि किसी को नहीं बताउंगी!…यहाँ तक कि मैं भी निमंत्रण-पत्र मिलने के बाद ही यहाँ पार्टी में आउंगी!..पहले नहीं आउंगी!”
….निमंत्रण-पत्र की राह देख रही थी मैं…. कि अचानक सुबह दस बजे मेरे मोबाइल पर एक कॉल आ गई!
” आप मिनी धनराज बोल रही है?” कोई पुरुष बोल रहा था!
” जी…आप कौन”‘
” मैं इन्स्पेक्टर चौहान बोल रहा हूँ….क्या मैट्रन गुलाब देसाई को आप जानती है?…उन्होंने आत्महत्या कर ली है!””
….मैं अंदर तक काँप उठी! सभी रिश्तेदारों को फोन कर दिए और गुलाब मौसी के घर जा पहुँची!…वहाँ पता चला कि पार्टी की पूरी तैयारी थी!…पचीस-तीस लोगों के लिए अच्छे रेस्तोरां से बढिया सा खाना भी मंगवाके रखा हुआ था!..बडासा केक भी टेबल पर सजा हुआ था!…घर में भी बढिया सजावट की हुई थी!….लेकिन बेडरूम से गुलाब मौसी का मृत देह ही मिला!..एक स्यूसाइड नोट भी मिला!…सुबह मेहरी ने बार बार घंटी बजाने बाद भी दरवाजा न खुलने पर पड़ोसियों को सूचित किया…और पडोसियो ने पुलिस को बुला कर दरवाजा खुलवाया था!
….छान-बिन करने पर पुलिस को मौसी की कपड़ों की अलमारी में, कपड़ों की तह के नीचे रखे हुए निमंत्रण पत्र मिले!..उस पर सभी रिश्तेदारों के नाम-पते लिखे हुए थे…पोस्टल स्टैम्प्स भी लगी हुई थी!…पुलिस को एक पर्ची मिली थी जिस पर मेरा नाम और मोबाइल नंबर लिखा हुआ था…सो पुलिस ने मुझे फोन किया था!
…अब सारा भेद खुल गया!…दरअसल मौसी निमंत्रण-पत्रों को पोस्ट करना ही भूल गई थी!..वह सोच रही थी कि सभी रिश्तेदारों को निमंत्रण-पत्र वह भेज चुकी है लेकिन सभी उससे बहुत नाराज है इसलिए कोई नहीं आया! मौसी के स्यूसाइड नोट में उसने यही लिखा था!
” मैं बहुत बुरी हूँ…जीवन भर सब से कट कर रही, सभी को बहुत दु;ख पहुंचाया! …अपनी भूल सुधारना चाहती थी!…सभी को मेरे घर आने के लिए निमंत्रण-पत्र भी भेजें…लेकिन कोई नहीं आया!…मुझे किसीने माफ नहीं किया!..मैं शायद इस लायक नहीं हूँ!….मुझे चाहिए कि अपने आप को सजा दूं…इसलिए नींद कि गोलियाँ खा कर आत्महत्या कर रही हूँ!
-गुलाब, जो किसी की न हो सकी!”
…सभी रिश्तेदार मौजूद थे और सभी की आँखों से आंसू छलक रहे थे!…सब कुछ खत्म हो गया था!…मुझे रह रह कर लग रहा था कि ‘काश! मौसी का कहा न माना होता और सभी रिश्तेदारों को पहले ही बता दिया होता कि मौसी क्या सरप्राइज देने वाली है!’
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