गतांक से आगे – जादुई छड़ी: Magic Wand – 2(One boy met a ghost who gave a gift of magic wand to the boy. The young boy wants to solve all problems by that wand. Read Hindi ghost story for kids)
मैं जब शुबह घर पहुँचा तो खुशी का ठिकाना नहीं था. छोटे मामा जी के धारदार नजरों से मैं बच नहीं सका . वे सवाल कर दिए :
लल्ला ! बहुत चहक रहे हो , क्या बात है ?
मैं तो रोज ही चहकता हूँ , आज कोई नई बात थोड़े ही है .
कुछ छुपा रहे हो मुझसे . रहीम का दोहा है :
खैर , खून , खांसी , खुशी , बैर , प्रीत , मधुपान ,
रहिमन दाबे न दबे , जानत सकल जहान |
चाहे तुम जितनी भी कोशिश कर लो , अपनी खुशी नहीं छुपा सकते . यह मैं नहीं रहीम कवि जी कहते हैं.
एक हाथ से छड़ी को पीठ पीछे छुपा लिया और दूसरे हाथ को खोलकर दिखा दिया और बोला :
कुछ भी तो नहीं .
पीठ पीछे क्या रखे हो ?
यह एक छडी है .
फेंक दो . ऐसी छडी घर में बहुत हैं . हॉस्पिटल से लाने की क्या जरूरत थी ? मुझे दाल में कुछ काला लगता है . कहीं जादू की छडी तो नहीं ?
अब मेरा पोल खुल चूका था . इसलिए सच – सच सबकुछ बता दिया .
अब आप से छुपाने का वक़्त ख़त्म हो गया . जो छडी मेरे पास है , वह जादू की ही छड़ी है. इसकी खूबी …
मुझे इसकी खूबी बताने की जरूरत नहीं है. मैंने पी. सी. सरकार का जादू देखा है . उसमें जादू की छडी जादूगर के हाथ में रहता था और वह जो चाहता था , करता था. तुम कुछ करामत कर के दिखाओ .
यह जो कुत्ता काले रंग का है , उसे सफ़ेद करके दिखाता हूँ .
छडी को कुत्ते के बदन से सटा दिया और मंत्र पढ़ा : गिली – गिली गप्पा , कुत्ता का रंग सफ़ेद हो जा .
सफ़ेद हुआ ?
हाँ , हो गया .
और करामत देखेंगे क्या ?
इस टोकरी में आलू हैं , इन्हें टमाटर बना दो .
गिली – गिली गप्पा , सारे आलू टमाटर बन जाय .
टमाटर बने ?
बन गये .
यह तो छोटा सा नमूना था .
आप के जूते पुराने हो गये हैं , नये कर दूं ?
हाँ , कर दो .
गिली – गिली गप्पा , मामा जी के पुराने जूते नये हो जाय .
नये हुए ?
हाँ , हो गये .
अब स्नान – जलपान करने के बाद. अभी खेल ख़त्म .
मैं दौड़ कर घर के भीतर चला गया और अपने बक्शे में छडी को बंद कर दिया.
स्नान व जलपान करके मैं एक दोस्त का घर चला गया . बड़ा ही निर्धन था मेरा दोस्त . उसके पिता जी कूली का काम करते थे. दोस्त के चार भाई बहन थे. माँ गोबर चुनकर गोयठा बनाती थी और बेचती थी. एक तो गरीबी और दूसरा बड़ा परिवार . पेट भरने के लिए दिनभर मेहनत – मशक्कत करनी पड़ती थी. दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन करवा लिया जाता तो कुछ हद तक समस्या खुद व खुद हल हो जाती , लेकिन अशिक्षा के चलते यह सब न हो सका . नतीजा साल दर साल बच्चा होता चला गया.
मैंने दोस्त से स्कूल चलने के लिए कहा :
चलो स्कूल .
कपड़ा सुखा नहीं है .
दूसरा पहन कर चलो.
दूसरा नहीं है .
मैंने भीगे कपड़े पर छड़ी सटाई और बोला :
गिली – गिली गप्पा , कपड़े अविलम्ब सुख जाय.
कपड़े सुख गये तो लाकर अपने दोस्त को दे दिया . दोस्त ने कपड़े पहन लिए और हमलोग साथ – साथ स्कूल चले आये.
स्कूल के हाते में कई आम के पेड़ थे और उनमें आम लगे हुए थे , लेकिन अभी पके नहीं थे. टिफिन की घंटी बजी तो बच्चे सभी बाहर आ गये. टिफ़िन एक्का – दुक्का के पास ही था. आज़ादी मिलने के बाद गाँव के लोग गरीब से गरीबतर होते चले गये. सही माने में किसी ने सुधबुध नहीं ली. मैंने इन गरीब बच्चों को आम के पेड़ के नीचे इकट्ठा किया और जादुई छड़ी को पेड़ से सटाकर बोला : गिली – गिली गप्पा –
जितने आम पेड़ पर लगे हैं , आधे को पका दो और नीचे गिरा दो . कुछ ही सेकेंड में आम का गिरना शुरू हो गया . बच्चे सब खूब खाए और अपनी भूख मिटाई .
चापाकल पर पानी पीने बच्चे गये तो देखा कल ख़राब पडी है. मैं ये सब देख रहा था . मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ . मैं चापाकल के पास गया और बोला :
गिली – गिली गप्पा , चापाकल को ठीक कर दो.
जो बच्चे निराश होकर वगैर पानी पिए लौट गये थे , उन्हें मैंने बुलाया और बोला :
चापाकल ठीक हो गया है , अब पानी पीने के लिए आ जाओ.
पानी पीकर सभी अपने क्लास में चले गये . चार बजे के लगभग छुट्टी हो गयी.
घर जब आया तो साढ़े पांच बज रहा था . बड़े मामा जी बेसब्री से मेरा इन्तजार कर रहे थे .
मैं झट हाथ – पैर धोकर तैयार हो गया . हम कूली गाड़ी पकड़ने स्टेशन की ओर चल दिए .
मामा जी ने कहा : भलाई के कितने काम किये और कितने छुट गये ?
मामा जी ! देश के चारो तरफ गरीबी , अभाव , अशिक्षा व बेरोजगारी विगत छियासठ वर्षों में इतनी बढ़ गयी है कि ऐसे हजारों जादुई छड़ी कम पड़ेंगी इन्हें दूर करने के लिए . मैंने बड़ी उम्मीद से इस जादुई छड़ी को प्राप्त किया था भूत मामा से कि जन – समस्याओं को कुछ हद तक दूर कर दूंगा , लेकिन सब व्यर्थ.
भगिना ! ऐसा क्यों ?
एक का समाधान करता हूँ तो दूसरा सामने आ जाता है और अनवरत आते ही जाता है एक के बाद दूसरा …
आज़ादी मिलने के बाद तो हमने एक ही काम किया है .
वो क्या ?
समस्याओं को सुलझाने की जगह उलझाते ही चले गये हम .
मामा जी ! अब तो इस जादुई छड़ी को लौटा देने ही में भलाई है.
हम आठ बजे तक अस्पताल पहुँच गये . माँ नित्य की भांति हमारी प्रतीक्षा कर रही थी . बुआ माँ के लिए दूध गर्म कर रही थी.बुआ के जाने के बाद मामा जी बीड़ी सुलगाकर पीने लगे . मैं अपने ख्यालों में खोया रहा और सोचता रहा कि मैंने जादुई छड़ी का उपयोग ठीक से नहीं कर सका .अब खेद के साथ लौटाने के सिवा कोई रास्ता नहीं है.
रात के बारह बज गये . हवा तेज बहने लगी . परदे हिलने लगे. कैबिन की बत्तियां बूझ गईं. शनैः शनैः कैबिन में रोशनी होने लगी . गुलाब फूल की खुशबू कैबिन में फैलनी लगी . हम समझ गये कि अब भूत मामा का प्रवेश होनेवाला है. भूत मामा आते ही पूछे :
मेरा चार मीनार सिगरेट ?
ये रहे . मैंने दो पाकिट निकाल कर उनके हाथ पर धर दी .
मामा जी को एक सिगरेट जलाने के लिए दे दी भूत मामा ने .मामा जी ने सिगरेट सुलगाई और भूत मामा को थमा दी .
दो चार कश लेने के बाद भूत मामा मेरी तरफ मुखातिब हुए और बोले :
भगिना ! जादुई छड़ी ?
मैं पहले से ही लौटाने के लिए तैयार था -भूत मामा मैं एक बार इसका प्रयोग करूंगा और फिर लौटा दूंगा .
अच्छा कर लो . आदेश है . मुझे खुशी है कि अबतक तुमने इसका दुर्पयोग नहीं किया है.
मैंने छडी को अपने हाथ का बाला से सटाया और बोला :
गिली – गिली गप्पा – मेरा बाला चाँदी का हो जाय .
शीघ्र मेरा सोना का बाला चाँदी का हो गया .
भूत मामा मेरे चेहरे पर मायूसी देख कर बोले :
भगिना ! आज तुम्हें क्या हो गया है ?
भूत मामा ! कुछ दर्द ऐसे होते हैं जो व्यक्त किये नहीं जा सकते , सिर्फ अनुभव किये जा सकते .
मैंने जादुई छड़ी भूत मामा को सादर वापिस कर दी . जादुई छड़ी लौटाते वक़्त मेरी आँखें छलछला गईं . भूत मामा इतने मर्माहत हो गये मेरे आँसुओं को बहते हुए देखकर कि वे छड़ी को आँसुओं में सटाकर बोले :
गिली – गिली गप्पा , ये आँसू मोती में बदल जाय . भूत मामा इन मोतियों को समेट कर मेरे हाथ में देते हुए बोले :
भगिना ! ये उपहार स्वरुप रख लो भूत मामा की ओर से . जब – जब इन्हें देखोगे और मुझे दिल से याद करोगे , मैं हाजिर हो जाऊँगा .
इतना कहकर भूत मामा नित्य की भांति अंतर्ध्यान हो गये .
लेखक : दुर्गा प्रसाद , गोबिंदपुर , धनबाद , दिनांक : २८ मई २०१३ , दिन : मंगलवार |
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