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Hari ke Joote

Published by mousomi panda in category Childhood and Kids | Hindi | Hindi Story with tag Happiness | shoes

हरी के जूते

kids-shoes

Hindi Social Story – Hari ke Joote
Photo credit: earl53 from morguefile.com

रविवार का दिन था और गर्मी का मौसम। सुबह के दस बज रहे थे। अभी कुछ दिन पहले ही मेरे दसवी के परीक्षा समाप्त हुए थे। छुट्टीओ का आनंद लेते हुए देर से उठा करती थी। जैसे ही ब्रश करने के बाद रसोई की तरफ कदम बढ़ाये माँ और बाबा के खिटपिट की आवाज़ तेज गयी। रसोई में कदम रखते ही पापा ने गुसे से देखा और बोले “गुडमोर्निंग बोलू या आफ्टरनून ? ”

जैसे  ही चाय गरम करने के लिए गैस ओन की माँ चिल्लाने लगी “एक तो सीता भी आज गाओं जा रही है , पता नहीं कैसे होगा सब काम” .

मैंने गाओं का नाम सुनते ही चहक कर कहा’ अच्छा है ना माँ कोई तो जा रहा है’,

माँ ने कोई उत्तर नहीं दिया बस जवाब में कुछ बड़बड़ाई। चाय और अखबार लिए बालकनी की तरफ चली गयी। सीता का घर बिलकुल हमारे घर के सामने था। मैंने हरी को देखा और हरी के पैर में मेरे काले जूते। वो जुते किसी वक़्त मुझे बहुत प्यारे हुआ करते थे, इतने की में हर रोज़ उन्हें पोलिश किआ करती थी और जब वो चमकते तो ऐसा लगता मानो कोई मेडल चमक रहा हो। जब कोई मेरे उन जूतो पे पैर रख देता मन ही मन बहुत गुस्सा करती पर चेहरे पर झूठी मुस्कान लेकर कहती ” इट्स ओके “.

आज वो जूते हरी के पैर में थे। मेने हरी को आवाज़ दी और कहा “हरी गाओं जा रहे हो “?

हरी ने अपने जूतो की तरफ देख कर शरमाते हुए कहा हाँ”। मैंने हरी को पहले कभी जूते क्या चप्पल तक पहने नहीं देखा था। नाप में बड़े थे पर हरी को ज़रा भी ऐतराज़ ना था। आज पोलिश भी न थी पर फिर भी वो चमक रहे थे ,हरी की आँखों में।

मैने हरी से पूछा ‘हरी नए जूते है? कौन लाया ?’

हरी ने सर उठकर झट से उत्तर दिया ‘हाँ बिकुल नए है , माँ लायी है मेरे लिए।’

इतने में सीता एक पुराना सा बैग लेकर बहार आई और मुस्कुराकर बोली बहुत दिनों से हरी जूतो की ज़िद कर रहा था।

मैंने मुस्कुराकर कहा ‘अच्छे लग रहे है जूते।’

सीता ने हरी का हाथ थामा और चल पड़ी ,पर हरी की नज़र अब भी जूतो पर ही थी। आज पहली बार ना वो गली के बच्चो के साथ खेलने की ज़िद कर रहा था कर रहा था न कुछ दूर पर खड़ी आइसक्रीम की गाड़ी देख कर आइसक्रीम खाने की ज़िद। जूतो से ही संतुष्ट था और अपनी माँ का हाथ थामे चुपचाप चलता जा रहा था। आज वो शायद वही ख़ुशी महसूस कर रहा था जो मैंने उन जूतो को पहली बार पहनने पर महसूस की थी। दोनों अपने जूतो के ख़्यालो में गुम थे हरी अपने और मै अपने स्कूल के वक़्त के।

END

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