प्रकृति भी अनोखी है। यह हमारे जीवन , हर वक़्त में हमारा साथ देती ह आई और हमें अपनी ओर आकर्षित करती है। सुख हो या दुःख जीवन हो या मरण, यह हमें हर दिन अपना नया रूप दिखाती है , अलग अलग ऋतुएँ इसे और मोहकता और सुन्दरता प्रदान करती हैं।
बसंत ऋतू उनमे से एक है जिसमें हर जगह बहार छाई रहती है। कोयल का चेहेकना, फूलों का खिलना और बगीचों में हरियाली छा जाती है। इस बहार से मेरे जीवन का एक अटूट रिश्ता बन गया। आज आप एक ऐसी छोटी और सुन्दर कहानी को पढने जा रहे हैं जिससे शायद आप कोई शिक्षा ग्रहण करेंगे या नहीं यह तो अमिन नहीं कह सकती पर यह आपके दिल को जरूर छुए गी।
मैं और मेरा परिवार, जिसमे मेरी माँ , मेरे पिता मेरा छोटा भाई और मेरे दादाजी हैं। हम सभी एक समय में एक छोटे से शहर में रहते थे। हम सभी अपने अपने कामों में लगे रहते थे। हम सभी तो थोडा देर से उठते थे पर घर में सिर्फ मेरे दादाजी थे जो सबसे जल्दी उठते थे। और भोर में ही टहलने जाते थे फिर आकर पेपर पढ़ते थे। मुझे जब भी टाइम मिलता मैं उनके साथ शाम को चाय पीने बैठती तो मैंने हमेशा एक चीज गौर की थी की उनकी बातों में राजकुमार ज़रूर आता था। मैंने पुछा की यह राजकुमार कौन है? उन्होंने बताया की “अरे भाई तुम लोग तो देर से जागते हो!! यह हमारा पेपर वाला है, तुम लोगों को नहीं पता, जिससे मैं रोज़ सुबह बात करता हूँ। बोहोत ही अच और संस्कारी लड़का है। मेरा उससे एक गहरा रिश्ता बन गया है और वो भी मुझसे मिले बिना कभी नहीं जाता।
कुछ दिनों बाद ……..
कुछ दिनों से मैंने गौर किया की दादाजी बोहोत शांत हो गए थे और गुमसुम दिखाई देने लगे थे। एक दिन मैंने भोर में जग कर उनकी उदासी का पता लगाने के बारे में सोचा। वो पहले तो पास वाले पार्क में जाते और वहां लोगों से कुछ पूछताछ कर रहे थे पर मैं उनकी बात नहीं सुन पाई। फिर आते वक़्त एक आदमी ने उन्हें एक चिट्ठी पकड़ा दी और उन्होंने जब वह चिट्ठी खोल कर पढ़ी तो उनके माथे पर अजीब सी शिकन आ गयी और आँखों से आंसू निकलने लगे। बाद में मैंने उनसे उस पत्र के बारे में पुछा तब उन्होंने सिर्फ वह पत्र सामने रखे टेबल पर रख दिया और अन्दर चले गए। फिर मैंने वह चिट्ठी उठा कर पढ़ी। चिट्ठी में कुछ इस प्रकार लिखा था–
आदरणीय दादाजी ,
आपको यह बताते हुए खेद हो रहा है की आपका मुंह बोला पोता और आपका पेपर वाला राजकुमार जो आपके बोहोत करीब था उसकी अकस्मात् ही एक रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी है।
भवदीय
राजकुमार का रिश्तेदार
मुझे यह पत्र पढ़कर बोहोत धक्का लगा फिर खबर मिली की हमें दुसरे शहर लखनऊ जाना पड़ेगा मेरे पिताजी का ट्रान्सफर हो गया था। हम जल्द ही लखनऊ आ गए पर मेरे दादाजी उस सदमे से निकल नहीं प़ा रहे थे। अब मैंने रोज़ भोर में उठने का निर्णय किया। अब से मैं रोज़ दादाजी के साथ सैर पर जाया करूंगी ताकि उनका मूड सही हो सके। फिर क्या था लगातार मैं और दादाजी आपस में ज्यादा वक़्त बिताने लगे। रोज़ की भोर का मौसम और उसमे बहार का मौसम इतना सुन्दर लगने लगा था फिर भी कहीं एक कोने में दादाजी राजकुमार को भुला नहीं पाए थे। पर अभी तक हमने पेपर वाले को नहीं रखा था जो हमारे यहाँ पेपर दाल दे ताकि इसी बहाने दादाजी का मूड सही हो सके।
फिर एक सुनहरा दिन निकला , हर तरफ बहार छाई हुई थी, और मैं अपनी बालकनी में आकर खड़ी हुई तभी मैंने देखा की एक आदमी साइकिल पर बैठकर अगल बगल के घरो में पेपर दाल रहा था। हमें भी पेपर लगवाना था अपने लिए तो म आइने उसे आवाज़ दी —- ओ भैया!!! सुनो जरा हमारे घर में भी पेपर दाल दिया करो हम लोग यहाँ नए आये हैं तो वह साइकिल चलाते चलाते ही बोला “ठीक है मैं आज का भी डाल देता हूँ!
अब आप इस कहानी के उस क्षण को महसूस करेंगे जो इसकी सबसे बरी सुन्दरता है ……. पेपर वाले की आवाज़ सुनकर दादाजी जल्दी से गेट के बाहर निकले और जोर से आवाज़ लगाई “राजकुमार ….” आवाज सुनते ही पेपर वाले ने साइकिल छोड़ी और जोर से दादाजी की तरफ दौड़ा और फिर दोनों ने एक दुसरे को गले से लगा लिया। मैं यह क्षण बालकनी में खड़े होकर देख रही थी। फिर मैं जल्दी से नीचे ई और मेरे दिमाग में एक ही बात आई, तो मैंने पूछ ही लिया “अरे भैया आप ” तो …. मैं इतना बोलती की उन्होंने खुद ही पूरी बात बताई- “दादाजी मेरा बोहोत ही खतरनाक एक्सीडेंट हुआ था और डॉक्टरों ने तो मुझे मृत घोषित कर दिया था तभी वह पत्र आप तक पहुंचा, पर आप का आशीर्वाद था की भगवान् ने मुझे बचा लिया और मुझे मृत्यु के दर से खीच लाये पर जो भी हुआ आज इस मिलन के बाद मुझे विश्वास हो गया है की भगवान ने मुझे और आपको एक साथ रखने का ही सोचा है तभी तो देखिये इतनी दूर वो सब हो जाने के बाद भी हम लोग लखनऊ में आकर फिर मिल गए। दादाजी और राजकुमार की आँखों से आंसू निकलने लगे, सच में यह दिन मुझे हमेशा याद रहेगा। और इसी लिए बहार के इस मौसम में सच में मेरे दादाजी के जीवन में फिर से बहार आ गयी।
कुछ ऐसे किस्से होते हैं जो जीवन भर याद रहते हैं और वही किस्से कभी ऐसी खूबसूरत कहानी का रूप ले लेते हैं।
-इलिका