In this Hindi Story, writer tells about how children can play computer ,video games happily and pay attention to their study properly. The children ought to be good,
प्यारे बच्चों ! मैं सत्तर साल का हो गया हूँ | मेरे बच्चे ( पुत्र और पुत्रियां ) बचपन में जो खेल खेलते थे , मेरे नाती – पोते वे खेल नहीं खेलते | वे उन खेलों से वाकिफ भी नहीं हैं | इसके दो कारण हैं :
१ : अब वे खेल न खेले जाने से विपुप्त से हो गए हैं | मैं उन खेलों के नाम से आप को परिचित करा देना चाहता हूँ , शायद आप न खेलते हों , लेकिन आप के दादा – दादी , नाना – नानी खेल्तो हों , एकबार पूछ कर देखना और मुझे मेल से या फोन करके सूचित कर देना | मैं विशेष कर अपनी कहानी के नीचे आप के लिए , सिर्फ आप के लिए अपना मोब नंबर दे देता हूँ| जैसे गुल्ली – डंडा , कबड्डी , कंडील – कौड़ी , लुक्का – चोरी , पहाड़ – पानी , चोर – सिपाही , रूमाल चोर , आँख मिचौली , डलपत्ती , छुआ – छुई , आँखपट्टी , कितकित ( विशेषकर लड़कियों का खेल ) , म्यूजिकल चेयर , पतंगबाजी , तैराकी , गुड्डा – गुड्डी का विवाह , खीर घाटो – खीर घाटो , उंगली पकड़ना , बेलापार , गबौअल , लट्टू इत्यादि | आज इन खेलों का अस्तित्व खत्म स हो गया है |
२ : विज्ञान में अतिसय प्रगति होने से , कम्पूटर युग आ जाने से , शहरीकरण हो जाने से , रुची में बदलाव हो जाने से , प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साधन सहजता से उपलब्ध हो जाने से , इंसान के कार्य शैली एवं जीवन – शैली में बदलाव होने से नए – नए खेल का ईजाद हुआ है |
प्यारे बच्चों ! बीच – बीच में हमें मजे ले लें तो मेरी और आपके संबाद रूचीकर हो सकते हैं | इसलये थोड़ा जायका बदल दे रहा हूँ | मैंने एक कहानी में बता दिया है कि मैंने १९९६ में पीसी और प्रिंटर खरीद लिया था जब इसकी कीमत कम हो गई थी | २७ हजार रुपये में मुझे दोनों मिल गए थे | मेरे बच्चे बच्चियों की उम्र सात साल से इक्कीस साल थे | सबसे छोटा पांच साल का था | मैं नैनीताल टूर में गया तो बच्चों ने १३ सौ रुपये में कंप्यूटर गेम खेलने के लिए एक जोयस्टीक खरीद लिया | मुझे सच पूछो तो कंप्यूटर और गेम से नफरत थी | मैं सोचता था कि ये सब जिंदगी को बर्बाद करनेवाले होते हैं | मेरी यह सोच बदलने में पन्द्रह साल लग गए | मैं २०११ से जब मेरे बड़े पुत्र ने मुझे कॉफी खरी – खोते सुना दी कि मैं प्रबंधक होकर कम्पूटर ज्ञान में बाबा जी हूँ | मुझे गहरा सदमा पहुँचा और विगत तीन वर्षों में काम चलाऊ ज्ञान हासिल कर लिया |
मेरे बच्चे जब नैनीताल से लौट कर घर आ गए तो कम्पूटर गेम पर टूट पड़े | दिनरात वही गेम पर व्यस्त , न खाने की सुध न पीने की सुध | उसकी माँ नाश्ते , भोजन के लिए बुलाते – बुलाते थक जाती थी | बस एक ही जबाव – “ आ रहे हैं | ” मैं बच्चों से मुहं नहीं लगाता था |
मारियो गेम के पीछे सभी बच्चे दीवाने थे | जब देखिए तब मारियो गेम चल रहा है | मेरी भी उत्सुकता बढ़ी | देखा बच्चे क्या कर रहे हैं , केवल बाधाएं पार कर रहे हैं और आनंदित हो रहे हैं | मैंने बच्चों को कभी न टोका न रोका क्योंकि मैं जानता था कि मेरा बोलने का कोई असर नहीं होनेवाला है |
प्यारे बच्चों ! अपनी बात एवं अपने घर की बात कहने का तात्पर्य आप समझ गए होंगे |
तो अब बच्चे घर की चहार दीवारी के अंदर , सायबर कैफ में , स्कूल – कोलेज में कंप्यूटर गेम , वीडियो गेम खेलते रहते हैं | एमिनेसन की दुनिया में तरह – तरह की कहानियाँ मन को आकर्षित कर रही हैं | लाखों नहीं , करोडो बच्चे रोज विभिन्न प्रकार के गेम खेलते रहते हैं | शहर , नगर एवं ग्रामों में भी – हर मोहल्ले , हर नुक्कड़ पर वीडियो गेम पार्लर खुल गए हैं | रोजगार फल फूल रहे हैं | बच्चों जिनके घर में यह सुविधा नहीं हैं , वे इनसे बहुत सस्ते पैसों में लाभ उठा रहे हैं और ज्ञान अर्जित कर रहे हैं |
वो कहते हैं न कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है , विज्ञान में आशातीत प्रगति हुयी है |
प्यारे बच्चों ! आप आज के इस वैज्ञानिक युग में जब नित्य दिन नए – नए आविष्कार हो रहे हैं, जी रहे हैं और नए – नए कंप्यूटर एवं वीडियो गेम से वाकिफ हो रहे हैं और आनंद उठा रहे हैं | आप अनवरत आनंद उठाते रहें , लेकिन इस बात का ख्याल रहे , ध्यान रहे कि आप अपनी पढाई – लिखाई की जिम्मेदारी से विमुख न हो जाएँ | आप अपने कर्तव्य से विमुख न हो जाएँ| आप अपने स्वास्थ्य पर , पढाई – लिखाई पर , खेल – कूद पर , घर के काम – धाम पर समुचित ध्यान देते रहे और माता – पिता और गुरुजनों की आशा – अपेक्षाओं को पूरा करें |
प्यारे बच्चों ! आपका जीवन अमूल्य है | अपने सद्कर्मों से , अपने सदव्यवहारों से एक आदर्श नागरिक बनकर अपने और अपने माता – पिता का नाम रौशन करें |
किसी ने आप के लिए बड़ी प्रेरक बात कही है :
“ खेलोगे – कूदोगे तो होगे खराब |
पढोगे – लिखोगे तो होगे नबाब ||
यहाँ यह समझने की भूल मत करना कि लेखक ने आपके खेलने – कूदने पर बंदीश लगा दी है | कहने का तात्पर्य यह है कि खेल – कूद में अनावश्यक रूप से इतने मदमस्त ( तल्लीन ) न हो जाओ कि पढाई – लिखाई से ही चूक जाओ और अपना जीवन , परिवार का जीवन कष्टमय हो जाए |
हमारे सामने दुर्गा पूजा , दशहरा , दीपावली , छठ पर्व – त्यौहार है | स्कूलों एवं कालेजों में छुटियाँ है | इन पूजाओं का आनंद तभी सार्थक होगा जब आप नियमितरूप से अपनी पढाई – लिखाई भी करेंगे |
प्यारे बच्चों !
नवरात्री के इस पावन पर्व पर आपसब को स्नेहाशीष !
May Goddess Durga guide U, teach U and assist U in what U do !
माँ दुर्गा आप का मार्गदर्शन करे , आपको पढाए और आप की सहयता करे आप जो भी काम करें |
आपका दादू ,
दुर्गा प्रसाद ,
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बीच बाज़ार , जीटी रोड , पोस्ट – गोबिन्दपुर , जिला – धनबाद ( झारखण्ड )
पिन – ८२८१०९ ,
दिनांक : ३० सेप्टेम्बर , दिन : मंगलवार , समय : १०.२५ ए.एम्.
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