This Hindi story is about a boy who treats every girl as chess-piece. One day he meets a girl and becomes her friend but her identity was a mystery.
यह कहानी है एक ऐसे लड़के की, जो अपने आपको बहुत शातिर समझता था .. उसका मानना था की लडकियां उसके लिए एक शतरंज के मोहरों की तरह है जिसे वो जब चाहे, जहाँ चाहे चल सकता है ..वो अपनी चुटकी बजाके बोलता था ..” बस इतने से टाइम में मैं लड़की को पहचान लेता हूँ …”..आखिरकार इसके जीवन में एक ऐसी लड़की आयी, जिसे वो पहचान नहीं पाया, उल्टा उसने इसकी सोच बदल दी .. आईए देखते है कैसे ?
कॉलेज के बस अब कुछ ही दिन बाकी थे.. मैंने अपनी पूरी कॉलेज लाइफ में कभी भी स्पोर्ट्स में रूचि नहीं दिखाई.. पर अब जाते- जाते मैं कुछ यादों को बटोरने की हसरत पालने लगा था..मुझे अब यह लगने लगा कि मेरे ये बचे हुए दिन ही मेरी 4 साल की इस विरक्ति को मिटा सकते है …अब मेरा प्लेसमेंट हो चूका था तो मेरा मन अब किताबों में भी नहीं लगता था ..मुझे अब पता चला की कॉलेज में एक स्विमिंग पूल भी है .. मैंने स्विमिंग स्टार्ट की .. बस 1 सप्ताह बीता होगा .. मैं अच्छा-खासा सीख गया था…मैंने कभी भी अपनी जिंदगी में शराब/वाइन को छुआ नहीं होगा..पर यह दोस्तों से बिछुड़ने का गम था ..या किसी परिवर्तन का अलार्म .. मैं नहीं समझ पाया ..और धीरे-धीरे बाहर खाने के साथ-साथ पीने भी लग गया..मुझे कोई गम नहीं था कि मैं अपने उसुलो से दगा कर रहा हूँ या अपना फ़युचर को अपन हाथो से अंधकार मे धेकल रहा हूँ ..मैं तो बस अपने जीवन की मस्ती में था ..
एक बार हम लोग किसी शाम को खाने गये .. सब थोडा-थोडा पी भी रहे थे .. पर मैं नया पक्षी था, तो मैं ज्यादा ही पीये जा रहा था .. कुछ ही मिनट बीते होंगे कि मैं “आउट ऑफ़ कण्ट्रोल” हो गया..मेरे सभी दोस्त वापिस चलने का बोल रहे थे ..पर मैं टस से मस नहीं हो रहा था ..मैंने बोल दिया ‘तुम लोग जाओ मैं आ जाऊंगा कुछ देर में’..वो लोग चले गये..
अब मुझे उल्टी आने लगी.. मैं रेस्टोरेंट से बाहर आया ..और उल्टी करने लगा और करके जैसे ही मुडके के देखा ..पास में एक लड़की खड़ी दिखाई दी ..एक नार्मल सी खूबसूरती वाली लड़की होगी ..मुझे कुछ अच्छे से नहीं दिखाई नही दे रहा था .. वो लड़की मेरे पास आती हुई लगी ..उसके हाथ में एक पानी की बोतल थी.. जिससे वो मुझे पानी दे रही थी ..अपना मुहं साफ़ करने के लिए ..मैं थोडा सा अचम्भे में था कि अनजान शहर में कोई आपकी मदद क्यूँ कर रहा है ? मैंने पानी पीया ..और उसे थैंक्स बोला ..वो शायद स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रही थी..मैंने बस एक कदम आगे रखा की धडाम सा नीचे गिर गया ..वो पास आयी और मुझे अपना हाथ दिया ..मैं उठा और उसे एक बार और थैंक्स बोला ..
वो बोली ..” आप कहाँ जाने वाले है ?”
मैं – बस पास में ही मेरा कॉलेज है .. वहीँ तक ..आप कहाँ तक जाओगी?
वो- आपका कॉलेज कौनसा है ?
मैं – TKC टेक्निकल कॉलेज ..
वो- मेरा घर भी इसी रास्ते पे है ..आज तो ये बस भी नहीं आएगी शायद .. 15 मिनट हो गये है ..इंतज़ार करते-करते .. अब तो लग रहा है… ऑटो ही लेना पड़ेगा .. (हँसते हुए )
मैं – हाँ ..चलो ऑटो आ गया.. चलते है ..
हम दोनों ऑटो में बैठ गये.. मैं बस सीधी गर्दन किये हुए बैठा था किसी रोबोट की तरह …तभी उसने मेरी ओर देखा और बोली ..आपसे तो मैंने नाम भी नहीं पूछा ..आपका नाम क्या है ?
मैं – जी राहुल वर्मा … आपका ?
वो – निशा अग्निहोत्री ..
मैं सब बातें जिस तरह के होश में किये जा रहा था ..उस तरह के होश वाले मरीज के साथ शायद डॉक्टर ऑपरेशन भी कर दे .. मुझे बहुत नींद आ रही थी .. वो सवाल पर सवाल पूछे जा रही थी ..और मैं क्या जवाब दे रहा था ,,ये तो शायद उसे और भगवान को पता होगा .. मैं बातें करते करते कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला..
जब सुबह उठा तो दिन के 2 बज चुके थे.. मैने अपने दोस्तों से पूछा कि मै कब आया यहाँ और कैसे ?
दोस्त – एक लड़की आई थी कल रात तुझे ऑटो में लेकर ..वो छोडकर गयी थी .. निशा नाम था उसका ..
मैं – वो यहाँ तक आ गयी.. यार मुझे तो चढ़ रखी’ थी रात में ..पता ही नहीं चला ..कुछ और बोला क्या उसने ? और कुछ कांटेक्ट अड्रेस/नंबर दिया ?
दोस्त – नहीं … कुछ नहीं ..
मैं – ठीक है ..
मेरे मन में उसे थैंक्स बोलने का बहुत मन हो रहा था …पर .मज़बूरी…
तभी रिंग बजी ..
मोबाइल स्क्रीन पर देखा तो निशा अग्निहोत्री नाम दिख रहा था … उस नाम को देखते ही मेरी आँखों में चमक आ गयी ..मैंने कॉल उठाया.. मैंने उसके ‘हेलो’ से पहले ‘थैंक्स’ बोला .. मैं थोड़े ज्यादा जोश में था ..और वो बिलकुल नार्मल ..थोड़ी देर बात की ..और उसने बाय’ बोल दिया ..
अब वो हर दिन एक या दो बार तो कॉल कर ही देती थी ..मैं भी आराम से बातें कर रहा था ..मैं शायद उसका आदी होता जा रहा था .. वो मुझसे मेरी कॉलेज लाइफ के बारे में ज्यादा पूछा करती थी ..मुझे कई बार लगता था कि कॉलेज के बारे में ही क्यूँ पूछती है आखिर यह ..?
तो मैंने भी पूछ लिया : “ तुम हमेशा मुझसे कॉलेज की ही बात क्यूँ करती हो ? मेरा मतलब कि हम और भी टॉपिक्स पर बात कर सकते है ..क्यूँ ?
वो कुछ देर चुप रही फिर बोली- “ तुम आशीष गुप्ता को जानते हो?”
मैं – हाँ …मेरे ही साथ का है ..मेरा दोस्त है बहुत अच्छा.
निशा- हाँ , मुझे पता है उसने मुझे कई बार बताया है तुम सबके बारे में ..
मैं – तू कैसे जानती है आशीष को ?
निशा – मेरा बॉयफ्रेंड है यार वो.. (हँसते हुए..)
मैं – ओह..पर उसने कभी बताया नहीं …
और हम फिर से बातें करना शुरु हो गये .. अब उसकी बातों का सिर्फ एक ही टॉपिक रहता था ..आशीष..मैं ना चाहते हुए भी अपने ही दोस्त को नापसंद करने लगा था ..वजह थी निशा ..
मैंने सोच लिया कि अब मैं उससे बात नहीं करूँगा .. मैंने उसके मेसेजेज’ के रिप्लाई देना बंद कर दिया ..और कॉल को भी बंद ….पूरी तरह से मैं उससे दूर था ..
मैंने यह बात आशीष को नहीं बताई ..क्यूंकि मैं अपनी दोस्ती में कोई कड़वाहट नहीं घोलना चाहता था ..
मैं अब नार्मल था ..बिल्कुल मैंने सोचा की अब सिर्फ 2 महीने बचे है कॉलेज के ..क्यूँ ना जिम भी जा लिया जाये ..पर कॉलेज की जिम के लिए सिर्फ प्रोफेसर और स्टाफ को अनुमति थी ..तो मैंने बाहर के एक जिम पर जाने का सोचा .. मैं गया जिम ..और काफी पसीना बहाया.. मुझे जिम के बाद किसी युद्धमें जीतकर योद्धा के सामान आने का आनन्द मिलता था ..25 दिन बीत चुके थे .. मेरा शरीर मेरी मेहनत को दिखा रहा था… अब बस 5 दिन और बचे थे .. और मेरे जिम के इंस्ट्रक्टर को बाहर जाना था ..उन्होंने हमे बोला कि वो जा रहे है …पर जिम में उनकी जगह उनकी सिस्टर रहेगी . इसलिए आप जिम आते रहना….सर ने अपनी सिस्टर का कार्ड दिया ….और चले गये ..
कार्ड पर नाम था – ‘प्रतिभा कापसे’ … सर से मेरा काफी जुडाव था ..क्यूंकि एक तो वो मेरी ही आयु के थे और दूसरा उनका मिजाज ..हर समय खुश … वो चले गये तो मेरा भी मन नहीं हो रहा था जाने का ..क्यूंकि सिर्फ 5 दिन ही बचे थे.. तभी मोबाइल बजा.. एक message था … उसमे लिखा था –
“I will not be available in gym for next 3 days.. sorry for inconvenience “
मेरा मूड तो वैसे भी कम था और ऊपर से ये मेसेज ..अब तो सोने का मन कर रहा था ..और मैं सो गया…३ दिन हो चुके थे .. मेरा मन अब भी जाने का नहीं था , मैंने उसे इन्फॉर्म करना सही समझा ..मैंने उसका कार्ड लिया और नंबर डायल किया ..एक लड़की ने फ़ोन उठाया ..
मैं – हेलो
प्रतिभा – हेलो.. ‘ गोल्ड’स जिम ‘
मैं – ..मैडम …मैं आज नहीं आ पाऊंगा …
प्रतिभा – क्यूँ नहीं आ सकते तुम ? आप एक्स्पेक्ट बहुत ज्यादा करते तो जिम से… पर आने की बारी आये .. तब आप आते नहीं .. और बिना जिम आये आप पतले तो होंगे नहीं और ना ही .. आपकी बॉडी की शेप आएगी ..इसलिए आप आज आये..
मैं – मैडम ..मैं मोटा नहीं हूँ , जो मुझे पतला होने की जरुरत पड़े .. मेरी तबियत अच्छी नहीं है तो मैं नहीं आ रहा ..
प्रतिभा – मेरा क्या है ? मत आइए..
मैं – बाय ..
प्रतिभा-बाय.
मैं और ज्यादा बहस नहीं करना चाहता था ..इसलिए मैंने बाय बोलना उचित समझा.. ये थोड़ी अजीब तरह की लड़की थी .. बिल्कुल किसी बच्ची की तरह जो सिर्फ अपनी सुनती थी ..और किसी को राय देना अपना धर्म समझती थी .. मैं 30 मिनट तक इसके बारे में सोचता रहा और मुझे मस्ती सूझी..मैंने उसे एक मेसेज कर दिया .. मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी रिप्लाई आने की ..पर मुझे उत्तर मिला ..पर इस बार वो थोडा ज्यादा सलीके से लिखा हुआ था .. मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या ये लड़की वही है जो 30 मिनट पहले मुझसे अजीब बर्ताव कर रही थी ? और मैंने मेसेज का रिप्लाई किया ..
मैंने कभी ऐसे किसी भी अनजान से ज्यादा बात नहीं की .. पर यह इस लड़की का बचपना था ..या दिन के इस समय का खालीपन ..मैं इससे बातें जा रहा था ..हमने 2 घंटे की बात की ..और लंच टाइम हो गया ..तो मैंने बाय बोला ..
लंच के बाद भी मेरी इच्छा थी की मैं उससे फिर से बात करूँ ..पर शायद उसको अच्छा न लगे ..यह सोचकर मैंने कोई बात नहीं की ..
मैं रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि मैं उसको शुभरात्रि का मेसेज भेज सकूँ .. पर मेरे भेजने से पहले ही मुझे उसका मिल गया .. थोड़ी देर बाद में उसका कॉल आया ..वो बता रही थी की वो 5 दिन में बाहर जा रही है … मेरे कारण पूछने पर जवाब नहीं दिया उसने बोला कि भैया भी वहीँ गये है और पापा भी ..मुझे जाना पड़ेगा ..
मैंने काफी देर समझाया उसको तो उसने बताया कि उसकी सिस्टर का तलाक होने वाला है तो उसे जाना है .. शायद सब बैठ के मसले को सुलझा सके ..मैंने कहा ठीक है ..हमने4 दिन तक काफी बात की ..लगभग हर टॉपिक पर ..मेरे विचार लड़कियों से कभी नहीं मिलते थे ..पर इस लड़की से मिलने लग गये थे ..खुदा जाने क्यूँ ?
आज पांचवा दिन था .. मैं थोडा- सा उदास था ..कारण था .,उसका जाना ..मैं उसे रोकना भी नहीं चाहता था ..और उसे जाने भी नहीं देना चाहता था … वो चली गयी एक वादे पर कि वो मुझसे वहां जाकर भी बात करेगी ..वो पहुंची वहां और मुझे कॉल किया ..
प्रतिभा – मुझे बहुत डर लग रहा है यार…, दीदी का तलाक होना निश्चित है .. :(
मैं – ओह! यार अब कुछ नहीं कर सकते है हम ..तेरे मम्मी पापा सब संभाल लेंगे .. तू अपना मूड सही कर ..
प्रतिभा – ठीक है .. मैं कोशिश करुँगी … अभी मम्मी आ गयी है और माहौल अच्छा नहीं है घर का … हम बाद में बात करते है ..
मैं – ठीक है .. बाय
प्रतिभा – बाय ..
मुझे प्रतिभा ने अपनी जिंदगी के बुरे और अच्छे दोनों के बारे में बताया.. मैं उसकी हर बात में हामी भरता रहता था ..मैंने भी अपनी जिंदगी के कुछ पलो के बारे में बताया ..हम लोग बहुत करीब आ रहे थे ..मैं अपने आप पर थोडा आश्चर्य कर रहा था की कैसे मैं किसी को देखे बिना उससे इतनी बातें कर रहा हूँ ,. और शायद उसके लिए थोडा विनम्र हृदय बन गया था .. मुझे उसका बचकाना-पन अब ज्यादा अच्छा लग रहा था …
मेरे दिल में उसके लिए थोड़ी जगह बननी शुरू हो गयी थी और इसी वजह से शायद मैं रातों को चाहकर भी नहीं सो पा रहा था.. मैं सुबह 12 बजे उठने लग गया था .. एक दिन सुबह उसने कॉल किया ..मैं नींद में था तो मैं कॉल रिसीव नहीं कर पाया ..तो मैं सोता रहा ..उसने अपने मोबाइल से 20 मिस्काल दिए होंगे ..और फिर नंबर बदल कर भी कोशिश की ..पर मुझ कुम्भकरण को कोई भी नहीं उठा सका …मैं उठा तो इतनी मिस्काल देखके दंग रह गया ..
अब मैं फ़ोन कर रहा था …और वो उठा नहीं रही थी ..मैंने 10-12 बार कोशिश की ..फिर छोड़ दिया ..1 घंटे बाद उसका फोन आया फिर से ..और वो रो रही थी ..मैं थोडा सा सहम गया …और फिर हिम्मत करके बोला ..- क्या हुआ ?
प्रतिभा- दीदी ने आत्महत्या कर ली ..और वो प्रेग्नेंट थी ..दीदी के साथ उनका होने वाला बच्चा भी मर गया .. L
मैं यह सुनके एक बार तो स्तब्ध रह गया … फिर उससे पूछा कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यूँ किया ? और उनका तलाक क्यूँ होने वाला था ? प्रतिभा ने मुझे बताया कि उसकी दीदी का पति उनके प्रति वफादार नहीं था ..इसीलिए तलाक होने वाला था ..और इसी वजह से मेरी दीदी की जान गयी ..और वो फिर से रोने लगी ..
मैं उसे चुप करवा रहा था ..पर वो रोये ही जा रही थी ..काफी मशक्कत के बाद वो चुप हुई ..
1 सप्ताह बीत चूका था उसकी दीदी की मृत्यु को ..अब उसके पिता- माता अभी भी वैसे ही थे ..पुत्रीक्षति के गम में .. पर वो थोडा उबर चुकी थी .. मुझे पता नहीं था की वो कितने दिनों में आएगी, तो मैंने घर का टिकेट बना लिया था ..मैं ट्रेन में था .और उसने मुझे बताया कि वो आ रही है ..और मुझे मिलने का बोल रही थी ..पर यह संभव नहीं था ..तो मैंने उसे बोला – मैं ट्रेन में हूँ यह नहीं हो सकता .. आकर मिलता हूँ..
प्रतिभा- नहीं यार प्लीज आजा ना मेरे लिए ..
वो बहुत बचकानी बातें कर रही थी ..तो मैंने बोला उसे कि वो अपनी पिक्चर भेजे मुझे और मैं अपनी ..और हम आअके मिलते है ..वो मान गयी ..मैंने अपनी फोटो भेज दी ..और उसने भी एक फोटो भेजी मुझे ..
ये फोटो जैसे ही मैंने देखी मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी ..यह उसी लड़की की फोटो थी जो मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड थी ..और जिससे मैंने बात करना बंद कर दी थी ..पर यह कहानी इतनी जल्दी ख़त्म नही होने वाली थी ..
उसका मेसेज मिलता है –‘ मैंने भेज दी है फोटो देख ले और बता मेरी दीदी कितनी सुन्दर थी ना…’
मैं – तू नहीं है क्या इस फोटो में ?
प्रतिभा – नहीं मेरी दीदी है ..
मैं – तेरी दीदी काफी सुन्दर है पर तू अपनी भेज ना..
प्रतिभा – नहीं थोडा इंतज़ार ..
उसके इतंजार शब्द ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ..मैंने बातों- बातों में उससे उसके पापा का नाम पूछा तो मैं और पागल हो गया ..
उसके पापा का नाम वही था .. जो निशा के पापा का नाम था ..बस सरनेम का फर्क था ..मुझे थोडा सा शक हो रहा था कि कहीं मैं गलत तो नहीं ..तो मैंने उसके उसदिन के सरे मिस्काल्स देखे और इन्टरनेट पर जब नाम ढूँढा कांटेक्ट नंबर से तो ..इस बार कुछ ज्यादा डरावना सच था मेरे सामने – और उस सच का नाम था- ‘मनोहर अग्निहोत्री ‘- उसके पापा का नाम ..जो की निशा के पापा से मिल रहा था … मैंने अपने दिमाग के सरे घोड़े दौड़ा लिये ..पर इस पहेली(निशा) का मेरे पास कोई जवाब नहीं था ..क्या है आपके पास ?
__END__