This Hindi story is about an ordinary common man who dreams to be an ace writer of bollywood but what happened when he woke up?
“मेरा एक सपना है मैं देखूँ तुझे सपनों में”, यह गाना हमने गुनगुनाना शुरू ही किया था जनाब कि बस इतने में स्टेज पर खड़े खान साहब ने हमारा नाम पुकारा . अरे भई ! हमें साल का सवश्रेष्ठ स्क्रिप्ट राइटर घोषित किया गया है और स्टेज पर खान साहब हमारे नाम की ट्राफी लिए हमारा इंतज़ार कर रहे हैं। अब इससे पहले की हम बेहोश हो जाते हमारी बगल वाली कुर्सी पर बैठी मोहतरमा ने हमें गले से लगा लिया और बोलीं ,”मुबारक हो गुप्ता जी!”
हम बिजली के करंट की गति से अपनी कुर्सी से खड़े हो गए और मुस्कुराते हुए स्टेज की और चल दिए। क्या बताएँ हमें कैसा लग रहा था ! चारों तरफ से तालियों की गूँज और मुबारकबाद की झड़ी लग गई थी। मन ही मन हम गा रहे थे की ,” जिसका मुझे था इंतज़ार वो घड़ी आ गयी आ गयी। ”
अमा मियाँ कपूर साहब तो अपनी कुर्सी छोड़कर खुद हमसे हाथ मिलाने तक के लिए आ गए। और उस पर खान साहब खुद अपने हाथ से हमारा हाथ पकड़ कर हमें स्टेज पर ले गए। हमें गले से लगाया और बहुत होले से हमारे कान में फुसफुसाए कि,”गुप्ता जी ! कमाल की स्टोरी लिखी है आपने। अपनी अगली कहानी के लिए हमारा नाम अपने जेहन में रखें।” इतना कहकर हमारी ट्राफी हमारे हाथों में थमा दी।
उस ट्राफी को देखकर तो हमें उससे इश्क ही हो गया। ख़ुशी के मारे जबां पर ताला पड़ गया था। तभी के. साहब (जो की यह अवार्ड शो को होस्ट कर रहे थे) हमसे बोले की हम ज़रा जनता से दो शब्द कहें। हम भी यह मौका कहाँ छोड़ने वाले थे। ऊपरवाले से लेकर परिवार और प्रोडक्शन यूनिट तक के हर सदस्य को धन्यवाद बोल डाला। और फिर बड़ी ही शान से तालियों के शोर के बीच स्टेज से उतर गए।
स्टेज से उतर कर अपनी कुर्सी की तरफ जा ही रहे थे की रास्ते में कपूर साहब के सेक्रेटरी मिल गए और बोले ,”बधाई हो गुप्ता जी ! आपने तो कमाल ही कर दिया। आपने तो इंडस्ट्री में आग सी लगा दी है। अब तो जिसे देखो वो आपसे ही अपनी फिल्म के लिए कहानी लिखवाना चाहता है। ” बातों बातों में अपना मोबाइल नंबर उन्होंने मेरे फ़ोन में सेव कर दिया और बोले की ,”कल मुझे सुबह १० से ११ के दौरान कॉल कीजिएगा। आपसे कुछ बातें करनी हैं।”
इस एक ट्राफी ने तो हमारा नसीब ही बदल दिया था। जिसे देखो वो हमें मुबारकबाद दे रहा था और हमसे हाथ मिलाने के लिए बेताब था। मन तो जैसे हिलोरे ले ले कर झूम रहा था। हम होले से फिर गुनगुनाने लगे कि ,”झूम बराबर झूम बराबर झूम बराबर झूम।”
लेकिन अचानक अगले ही मिनट ऐसा लगा की जैसे भूकंप के झटके से भी ज्यादा तेज ताक़त ने हमें ज़मीन पर नीचे गिरा दिया हो। अरे यह क्या हुआ ? हम ज़मीन पर नीचे पड़े हुए क्या कर रहे थे और हमारी ट्राफी कहाँ गई ? वो शानदार जगमगाती रात और चमकते चेहरे कहाँ गए और उन सब की जगह ये फैली हुई किताबें और ज़मीन पर बिखरे हुए हमारे कपड़े क्यूँ नज़र आ रहे हैं।
हम फिर गुनगुनाने लगे ,”यह कहाँ आ गए हम” और इससे पहले की आगे की लाइन गा पाते हमें विनीत (हमारा दोस्त और रूममेट) की आवाज़ सुनाई दी। वो कह रहा था की ,”ओ शेखचिल्ली ! अगर बॉलीवुड के बेस्ट स्क्रिप्ट राइटर होने का अवार्ड ले लिया हो तो अब उठ जा और नहा ले नहीं तो ९ बजे के बाद पानी नहीं मिलेगा और फिर बाथरूम में खाली बाल्टी और मग के ऊपर अपनी स्क्रिप्ट लिख लियो।”
हैं तो क्या हम सपना देख रहे थे ? फटाफट उठकर चौकड़ी मार बैठ गए और आँखें को अच्छी तरह से खोल कर चारों और नज़र घुमाई तो हकीक़त का एहसास हुआ की वो तो सपना ही था। कितना सुन्दर सपना देख रहे थे हम और उसके बीच में पता नहीं यह नहाने का मुद्दा कहाँ से उठ गया।किसी तरह हमने अपने बेचैन मन को शांत किया और बाथरूम की और रुखसत हो गए। इतने में हमें विनीत की आवाज़ फिर से सुनाई दी जो हमसे जल्दी से तैयार होने के लिए कह रहा था।
इस बार हमारा मन विनीत के लिए गुनगुनाया,”दिलजलों का दिल जला के क्या मिलेगा दिलरुबा। ”
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