This is a funny Hindi story where a poet participates in a competition but his plastered teeth made him the subject of laughter & fun.
हमारे एक परम मित्र को शायरी करने का बहुत शौक है। और इतना ही नहीं उनको तो कुछ ऐसा लगता है की मिर्ज़ा ग़ालिब के बाद अगर किसी शायर को दुनिया याद रखेगी तो बस वो नाम उन्ही का होगा।
लेकिन ऐसा लगता है की ऊपर वाला भी इनकी खतरनाक शायरी से इतना डर गया की उनके दाँतों पर वज्रपात कर दिया। वे अभी सिर्फ ४० साल के हैं और उनके दाँतों को कीड़ों ने अपना भोजन बना लिया। और इसी वजह से उनको नकली जबड़ों का उपयोग करना पड़ता है।वैसे नकली जबड़े के भी अपने ही फायदे हैं।जबड़े निकालकर अच्छी तरह से ब्रश से साफ़ कर लो और उसके बाद उनको दोबारा लगाकर अपनी चमचमाती बत्तीसी से लोगों का मन मोह लो।
और मियाँ क्या बताएँ हमारे यह शायर मित्र तो अपने जबड़ों की प्रदर्शनी कुछ इस तरह करते हैं की मानो ओरल-बी वाले माधुरी दीक्षित को बाहर कर इन्ही को अपने विज्ञापन में लेने वाले हैं। और ऐसे ही एक दिन यह जनाब अपने इन नकली जबड़ों के साथ एक शायरी की महफ़िल में हिस्सा लेने पहुँच गए।
महफ़िल में एक से बढकर एक शायर था।खूब रंग जमा था। एक एक करके हर शायर अपनी शायरी से लोगों का दिल जीत रहा था।और बस थोड़ी ही देर में हमारे मित्र की भी बारी आई अपना हुनर दिखाने की।तालियों की गडगडाहट के बीच जनाब स्टेज तक पहुँचे। मूछों को ताव देते हुए जनाब ने माइक हाथ में लिया।लेकिन शेर सुनाने के लिए जैसे ही अपना मुख खोला वैसे ही उनका ऊपर वाला जबड़ा नीचे आ गिरा।उन्होंने बिना कोई देरी किए फट से अपना जबड़ा उठाया और लगा लिया।फिर दोबारा जैसे ही अपना शेर फरमाने की एक और कोशिश की तो नीचे वाला जबड़ा हाथ में आ गिरा। इस बार भी उन्होंने बिना कोई देर किए जबड़ा झट से वापिस लगा लिया।
कहते हैं की ,”किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान” लेकिन दुर्भाग्यवश उस दिन हमारे इस गधे पर उसकी किस्मत मेहरबान नहीं थी। तक़रीबन पाँच से सात मिनट तक यही तमाशा लगा रहा।मुख खोलते ही कभी ऊपर वाला जबड़ा तो कभी नीचे वाला जबड़ा गिर जाता।
यह सब देखकर महफ़िल में बैठे बाकि लोगों को झुन्झुलाहट सी होने लगी।कोई हमारे मित्र पर हँस रहा था तो कोई गुस्से में खीज रहा था। और इसी बीच एक शायर खीजता हुआ अचानक उठ खड़ा हुआ और बोला की ,”जनाब आप शेर भी सुनाएँगे या फिर कैसेट ही बदलते रहेंगे।” हमारे मित्र पर क्या बीती होगी वो तो शब्दों में बयां करना मुश्किल है और एक मित्र होने के नाते हमें उनसे सहानुभूति भी दिखानी चाहिए थी किन्तु क्या करें ,”दिल तो बच्चा है जी।” यह कैसेट वाली बात सुनकर तो हम खुद को हँसी से लोटपोट होने से रोक ही ना सके।
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