Funny and Hilarious Hindi conversation between a husband and his wife wherein wife complaints to her husband that he doesn’t sings any more romantic songs for her
पत्नी थोड़ी सी रुआंसी होकर पति से बोली की ,”ऐ जी ! शादी से पहले तो मेरे लिए बड़े ही रोमांटिक गाने गाते थे पर अब तो ना आप मेरी तारीफ करते हैं ना ही मेरे लिए कोई रोमांटिक गाने गाते हैं। क्या अब मैं आपको सुन्दर नहीं दिखती ?” बस फिर क्या था पति महाशय को भी मस्ती सूझने लगी। बोले की –
“अरे मेरी जाने बहार ,गुल-ए -गुलज़ार
मेरा रुई का गद्दा,मेरा गॉसिप का अड्डा
क्यूँ होती है तू बेवजह नाराज़
हम तो दौड़ें चले आएँगे
तू बस लगा दे एक आवाज़ ”
इतने में ही पत्नी फिर बोल पड़ी की ,”बस बस रहने दीजिये।तारीफ के रूप में किसी की बेज्ज़ती कैसे की जाए यह हुनर तो कोई आपसे सीखे। मैं रुई का गद्दा दिखती हूँ क्या आपको ? अरे आपको क्या मालूम आज भी जब बन-संवर कर बाहर जाती हूँ तो कितने के दिलों पर बिजलियाँ गिर जाती हैं।” बस श्रीमती जी के इतना बोलते ही मिस्टर गाने लगे की –
“बिजली की रानी यह हैं आयीं
कहते है इनको
मिसेज हलवाई मिसेज हलवाई”
यह सब सुनने के बाद भी श्रीमती जी ने उम्मीद नहीं छोड़ी।कहने लगीं की,”आप प्लीज मेरे लिए कोई रोमांटिक गाना गाइए ना।” पत्नी जी के बोलते ही पतिदेव उनका हुक्म बजाना शुरू हो गए पर इस बार तो उन्होंने बम ही फोड़ दिया। वे गा रहे थे की –
“पहले से ज्यादा तुम मोटी हो गयी हो
पहले से ज्यादा तुम सोने लगी हो
पहले से ज़्यादा तुम शौपिंग जाती हो
पहले से ज्यादा तुम चिल्लाने लगी हो ”
यह सुनते ही श्रीमती जी के कान और बाल दोनों ही खड़े हो गए। बोलीं की,”यह आप अपना प्यार जाता रहे हैं या घुमा फिराकर मेरे बड़े हुए वजन पर ताना मार रहे हैं। और रही सोने की बात तो हर इतवार को या फिर किसी भी छुट्टी वाले दिन बिस्तर तोड़ते हुए कौन मिलता है यह बात तो पूरी कॉलोनी जानती है।मेरी ज़बान बंद ही रहे तो आपके लिएअच्छा होगा।” लेकिन श्रीमती जी के चुप होते ही पतिदेव फिर गाने लगे की –
“सुबह होने ना दे
सन्डे खोने ना दे
यह मेरी डार्लिंग बीवी मुझे सोना ना दे
मैं इसका हीरो ओ ओ ओ ओ
मैं इसका हीरो ”
श्रीमती जी मेंडक जैसा चेहरा बना कर बोली ,”अजी छोड़ो काहे का हीरो। अक्सर लोग मुझे आपकी बेटी समझ लेते हैं। अब अगर स्वर सम्राज्ञ का गाना बजाना हो गया हो तो घर के कुछ काम निपटा लें।चलिए ज़रा बाहर बालकनी में रस्सी बांध दीजिए। कल आपने रस्सी ऐसे ही आधी अधूरी बांधी थी। और मिस्त्री को भी फ़ोन कर दीजिए की कल सुबह जल्दी आकर बालकनी में जो पेंट का काम अधूरा पड़ा है वो पूरा कर जाए। चलिए चलिए जल्दी कीजिये मुझे कपड़े सुखाने के लिए देर हो रही है।” पर आज तो पति महोदय गाने के पक्के मूड में थे। सब कुछ सुन कर बालकनी की ओर चले गए और फिर गाने लगे की –
“क्यूँ अधूरी है यह रस्सी
क्यूँ अधूरी है यह बालकनी
क्यूँ नहीं आया इसको पेंट करने
नालायक मिस्त्री
बैरिया मेरे रब्बा
क्यूँ हुआ मेरे रब्बा
क्यूँ पड़ी है क्यूँ पड़ी है
यूँ अधूरी मेरी बालकनी”
इधर पत्नी जी अपना सिर पीटने लगीं की ना जाने कौन सी घड़ी में उसने अपने पति के अन्दर का सोया हुआ गायक रुपी कुम्भकरण जगा दिया।खैर धुले हुए कपड़ों की बाल्टी लेकर श्रीमती जी भी बालकनी में जा पहुंची। अपनी मैडम को वहाँ देखते ही मिस्टर फिर शुरू हो गए और इस बार तो नाच भी रहे थे –
“आयी चिकनी चमेली छुप के अकेली
कपड़े सुखाने आयी
आयी चिकनी चमेली छुप के अकेली
कपड़े सुखाने आयी”
बस अब तो श्रीमती जी के सब्र का बाँध ही टूट गया। बोली की ,”बस बस मेरे विविध भारती। क्यूँ फ्री में गा गा कर अपना घोड़े जैसा गला सुख रहे हैं। और भगवान् के लिए नाचना बंद कीजिए।ऐसा लग रहा है की जैसे कोई बन्दर बिना मदारी की मदद लिए करतब दिखा रहा है। चलिए अन्दर जाकर खाना बनाने की तय्यारी कीजिए।आज खाना बनाने की बारी आपकी है।” पति महाशय अन्दर की ओर मुखातिब हुए पर उनका गाना बंद नहीं हुआ। और इस बार वे गा रहे थे की –
“ठन्डे ठन्डे पानी से नहाना चाहिए
ठन्डे ठन्डे पानी से नहाना चाहिए
खाया जाए या ना जाए
खाना बनाना चाहिए “