बधाई हो ! बधाई हो ! बधाई हो !
इस लेख को पढ़ना प्रारम्भ करने के लिये माननीय महेश बक्शी की ओर से आपको बधाई हो. साथ ही हमारे अपने नरेश शर्मा उर्फ़ नन्नू भैया को उनकी तीसरी शादी और पांचवे बच्चे के एक ही दिन होने के अत्यंत शुभ संयोग पर बंटी,गुल्लू ,सौरभ ,यश ,विक्की और हमारी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं .
अब हमारा तो काम ही यही हैं ,शुभकामनाएं देना और बधाइयां बाँटना ,”फ्लेक्स “ छापने का काम जो करते हैं हम .
बड़ा ही अच्छा धंदा हैं ,लोगों में खुशिया बांटो ,दुवायें दो और पैसे का पैसा कमाओ .अभी कल ही एक नेताजी का फ्लेक्स बदला हैं हमने ,तीन दिन से परेशान थे बेचारे ! दरअसल फ्लेक्स पर चमचमाते उनके चाँद से मुखड़े पर एक मुर्ख कबूतर दाग लगा गया था .इस अमानवीय घटना पर नेताजी और उनके समर्थक इतने क्रोधित हो गए की उन्होंने कबूतरो को देश द्रोही घोषित कर दिया .इस पर विपक्षी पार्टी के नेताओ ने भी हमारे नेताजी पर असहिष्णुता का आरोप लगा दिया .साथ ही कबूतरों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की .
खेर ! यह नेता लोग अपना काम जाने ,हमारा काम था फ्लेक्स बदलना वो हमने कर दिया .वैसे कुछ लोग तो हमारे पास आते ही सिर्फ इसलिए हैं की उनके ‘बाट’ के जूतों से कोमल चेहरे पर ‘चेरी ब्लोसम ’ से घिस घिस कर की गयी ‘पोलिश ’ से आई चमचमाती चमक और आधे घंटे तक टूथपेस्ट से माँजे गये दांतो की सफेदी से मोहित हो ,कोई लड़की वाले उनके लिये रिश्ता ही ले आयें .
और इन फ्लेक्स पर छपने वाली भाषा की सुंदरता तथा शब्दो की मिठास का तो कहना ही क्या ! ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं हम ,पर फ्लेक्स पर छपे संदेशो की सुन्दर भावनाओ को पढ़ कर एक अनुपम शांति सी मिलती हैं मन को .
यही तो खासियत हैं फ्लेक्स की , सीधी सच्ची और प्रेममयी दुनिया भावनाओ को दुनिया के सामने रखना .भैय्या कौन कहता हैं की ज़माना फेसबुक ,व्हाट्सएप्प और इन्टरनेट का हैं ,हमारे यहाँ तो कल भी ज़माना फ्लेक्स का था और आज भी ज़माना फ्लेक्स का ही हैं .वैसे भी भावनायें व्यक्त करना कोई इंटरकास्ट मैरिज तो हैं नहीं ,जो छुप छुप कर चुनिंदा लोगों के बीच की जायें,हमारा तो अधिकार हैं भावनायें व्यक्त करना और वो हम खुल कर करेंगें ,चौराहो पर ,खम्बो पर ,मकानों -दुकानों पर ,पुलो पर और जहाँ जहाँ जगह मिले हर उस जगह पर .वैसे भी फ्लेक्स देसी तरीका हैं भावनायें व्यक्त करने का और इन्टरनेट वगेरह सब विदेसी ,और अभी तो ज़माना भी देसी का ही चल रहा हैं .अब तिलांजली का नया शुद्ध -स्वास्थवर्धक गुटखा ही देख लो ,जिसके दाने दाने को आधा कर दो तो उसमे भी हैं काजू ,बादाम ,पिस्ता ,अंजीर ,अखरोट और शुद्ध देसी घी का दम .
अब ओर अधिक क्या महिमा मंडन किया जायें इन फ्लेक्स की अनूठी दुनिया का .जन्मदिन हो ,शादी हो ,कोई त्यौहार हो या किसी कार्यक्रम का आयोजन हो ,जब तक उसकी छाप किसी फ्लेक्स पर नहीं लग जाती कुछ अधूरा सा ही लगता हैं .दुःख बस इस बात का हैं की पुण्यथितियों के फ्लेक्स नहीं छपते ,वरना हम खुशियो के साथ साथ लोगों के गम भी बाँट सकते .कितना अच्छा होता अगर हम बड़े बड़े फ्लेक्स पर गहरी संवेदनाओ के साथ छापते-“हमारे अपने प्रिय पार्षद नागेश भैय्या के पिताजी तथा पूर्व पार्षद गेंदाप्रसाद जी की लोगों के द्धारा जूतों से मार मार कर की गयी निर्दय घटना के द्धारा हुई मृत्यु की दसवीं पुण्यतिथि के दुखद अवसर पर पिंटू मित्रमंडल की ओर से गहन शोक तथा श्रद्धान्जलि.”
उम्मीद करते हैं ऐसा वक़्त भी जल्द ही आएगा ,जब हम गली गली ,चौराहो -चौराहो और खम्बे खम्बे पर खुशियो की ही तरह लोगों के गम में भी शरीक हो सकेंगें और आशा करते हैं की फ्लेक्स की यह दुनिया ऐसे ही फलती फूलती रहे जिससे एक दिन दुनिया के हर कोने में यह सुन्दर सुन्दर फ्लेक्स अपनी अनुपम छटा का जलवा बिखेरे !
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