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Hai Ri Beeviyan

Published by BR Sunkara in category Funny and Hilarious | Hindi | Hindi Story with tag marriage | wife

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Hindi Funny Story – Hai Ri Beeviyan
Photo credit: beglib from morguefile.com
(Note: Image does not illustrate or has any resemblance with characters depicted in the story)

किसी जमाने में दो मित्र थे। राम और श्याम। दोनों एक ही दफ्तर में करते थे काम। उनकी कमाई थी बहुत अच्छी। वे थे बहुत खुश। राम गाने गुनगुनाता था। श्याम आराम से बंसी बजाता था। जिंदगी उनकी बिलकुल अपनी जैसी लगती थी। यानी, कोई कमी-कसर नहीं होती थी।

“अरे राम, मेरी शादी तय हुई !” श्याम ने एक दिन कहा।

“अरे श्याम, मेरी भी शादी तय हुई। अब हमारी शादियाँ हो जाएँगी, हमारी जिंदगी वाह रे वाह मिठाइयों की भरी टोकरी बन जाएगी !” राम ने कहा।

अब दोनों की शादी भी हो गई। राम और शाम कई दिन चुप थे। किसी के मुँह से कोई बात नहीं निकली।

कुछ महीने बीत गये। राम ने एक दिन श्याम से कहा, “अरे श्याम, मेरी बीवी रोज साडियों और गहनों के लिए मेरी जान खा रही है। आज साड़ी लाया तो कल कहती है, यह साडी अच्छी नहीं है, एक और साड़ी खरीदो। मैं उसके टार्चर से बहुत दुखी हूँ।”

श्याम ने कुछ नहीं कहा। वह भी कुछ दुखी था, मगर उसने मुँह नहीं खोला।

कुछ महीने बीत गये। एक दिन राम ने श्याम से कहा, “अरे श्याम, मेरी बीवी का टार्चर और बढ़ गया है। वह अब गहनों के लिए मुझे सता रही है। पिछले महीने ही मैं ने उसके लिए एक हीरों का हार खरीदा। अब उसकी छोटी बहन की शादी हो रही है, वह कहती है कि उसी प्रकार का हीरों को हार मैं उसकी बहन के लिए भी खरीद लूँ। अब मैं क्या करूँ रे?”

श्याम ने थोड़ी देर सोचकर कहा, “अरे राम तू तबला है, मैं तो ढोल बन गया रे। मैं किस से बताऊँ अपना यह दुखड़ा ?”

“अरे श्याम, तुम क्या बता रहे हो रे? तू तो सुखी हो ना?”

“अरे श्याम, मैं सही बता रहा हूँ। मैं भी सुखी नहीं हूँ रे। तुम अपनी बीवी के लिये यह वह खरीदने में फँस गये हो। मेरी बात अलग है। शादी के पहले महीने ही मेरी बीवी ने मेरा बैंक अकौंट उपने नाम पर लिखवा दिया। यानी हर महीने मेरे खाते का पैसा वही ले सकती है और मैं उस खाते का सिर्फ डिपोजिटर हूँ, विथड्रा नहीं कर सकता। वह अपनी मरजी से खर्च करती है। मेरी राम कहानी मैं किस से बताऊँ रे?”

“हाय री बीवियाँ, शादी के पहले हम कितने सुख-चैन से जिंदगी बिता रहा थे।”

दोनों यह सोचकर बहुत दुखी होते थे, बारम्बार।

इस तरह कुछ साल बीत गये।

दोनों दोस्तों की नौकरियाँ एकसाथ चली गईं। क्यों कि उनकी कंपनी दीवाला हो गई।

“अरे श्याम, अब कैसे चलाएँगे यह नैया रे?” राम ने कहा।

“हाय रे राम, अब कैसे चलाएँगे यह नैया रे?” श्याम ने कहा।

दोनों उदास होकर घर गये, उन्हों ने अपनी दुख कहानी अपनी–अपनी बीवी से कही। वे मंदहास करने लगीं।

“डोंट वरी मै हस्बंड, हमारे पास कई लाख है। आपकी ही कमाई है। आप कोई बिजिनेस शुरू कर सकते हैं।” राम की बीवी ने कहा।

“डूब जाने दीजिए उस कंपनी को। हमें फिक्र नहीं है। मैं ने आपकी लगभग सारी कमाई एफडी में रिजर्व कर दी। अब आप सोचिये कि कौन सा बिजिनेस शुरू करना हैं।” श्याम की बीवी ने धैर्य से कहा।

“हाय री बीवियाँ, शादी से हम कितने संपन्न हो गये थे।”

दोनों मित्र यह सोचकर बहुत प्रसन्न हो गये थे, बारम्बार अपनी बीवियों की बुद्धिमानी पर खुश होते हुये और उनकी प्रशंसा करते हुए।
_End_

 

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