वो शाम फ़िर तन्हा ना होना था...मगर तन्हाई बोलकर थोड़े ही आती है
जब याद आती है तब ही तन्हा होता हूँ और जब भी तन्हा होता हूँ वो ही याद आती है
शाम के ५;३० बजे, नवंबर ११,२००८
ऐसा लगता है अब वो समझ चुकी है मेरे मन की बात....ना कुछ बोल रही है ना कुछ सुन रही है
ख़ामोशी अगर सब कुछ ना बयां करे नज़रें सब कुछ बोल देती हैं
चुप रहना काँटों की तरह चुभ रहा था, मगर बोल भी नहीं सका क्योंकि जुबान लड़खड़ा रहे थे
ना उसने कुछ कहा ना मैंने कुछ सुना, मगर दिल की आवाज़ सीधा दिल पे लगती है
आज ऐसा क्यों लग रहा था की सब कुछ झूठा था, प्यार तो झूठे थे ही जस्बात भी झूठे थे,
आरजू झूठी थी तमन्ना झूठी थी
ना उसने समझा मेरे जूनून को, ना मैंने जाना उसके शुकुन को
घंटों निकल गए मगर दो बोल ना बोल सके हम, सिसकियाँ निकलती रही और हमें छोड़ गए सनम
दोपहर ३ बजे....जुलाई १६,२०१६
कम्बख्त बारिश को भी अभी आना था....ना छाता ना छुपने की जगह....
एक तो पहले ही लेट हूँ ऊपर से बारिश
चलो थोड़ा दौड़कर ही सही, ये बस स्टॉप बचा लेगी मुझे
अरे मैडम क्या कर रही हैं....संभल के!
वो तो संभाल गयी मगर मैं नहीं संभाल सका खुद को....
सब कुछ निकल गया अतीत के पन्नों को टटोलकर बस एक घटके में
वो सहमी, देखा और फिर से सहम गयी....
मानो उसे करंट छूकर निकल गयी हो और फिर भी झटके हज़ार दे गयी हो
नज़रें हैरान थी, निगाहें परेशान थी....दिल कह रहा था पूछ लूँ सब कुछ....
खैरियत से रुख़्साने तक....तन्हाईयों से फ़साने तक....
भरोसा नहीं हो रहा था ये वही है जिसके साथ जिंदगी साथ गुजरने की कसमें खायीं थीं....
ऐसा लग रहा था जैसे कल की ही बात हो....
नहीं राहुल तुम कभी पैसे की अहमियत नहीं समझ पाए....मुझे उधार की जिंदगी नहीं चाहिए
प्यार तो मैं तुम्हे खुद से भी ज्यादा करती हूँ मगर सिर्फ प्यार से जिंदगी नहीं चलती न
मैं तुम्हारे साथ जिंदगी गुजार सकती हूँ मगर तुम ही बताओ बिना पैसे के जिंदगी कैसी?
मुझे पता है तुम मुझे खुश रखोगे मगर मुझे जिंदगी में और भी बहुत कुछ चाहिए राहुल....
एक ही जिंदगी है , मैं अभाव में नहीं बिताना चाहती....
दोपहर ३:१५ बजे....जुलाई १६,२०१६
मम्मा मैं आ गई...
अरे बेटा रुको, क्या कर रही हो, भींग जाओगी.....ऐसे नहीं बेटा!
मम्मा पप्पा कहाँ हैं....वो क्यों नहीं आये लेने?
पापा घर में वेट कर रहे....बारिश थी ना तो मैं खुद आ गयी लेने तुम्हे....
आ जा मेरा बेटा....चलो बेटा पप्पा की हेल्प करना घर जाके....
हाँ हेलो, मैं बस बारिश रुकने का वेट कर रही हूँ, आप प्लीज शांति अम्मा को रोक कर रखना....
इशिता को लेके आती हूँ बस....
आप बिस्तर पे ही रहना....
मैं आने के बाद सारी तैयारी कर लूंगी तुम्हारी बचपन की दोस्त के आने से पहले
आप आराम करो और अपना ख्याल रखो....
मम्मा क्या आज भी तुम पार्क लेके जाओगी मुझे....
पप्पा कब ठीक होंगे? सबके पप्पा आते हैं सिर्फ मेरे नहीं....
तुम भगवान जी से बोलके पप्पा को जल्दी ठीक करा दो न प्लीज.....
बेचारी पता नहीं क्या हुआ है, इतनी परेशान क्यों है, क्या हुआ है इसके पति को....
इसकी हालत देखके लगता है ये दुखी है
क्या पूछूं कैसे पूछूं....पता नहीं बुरा मन जाये शायद
अगर वो बात करेगी तो बात करूँगा....उसने कसम दी थी मुझे कभी भी बात न करने की....
मैं भला कसम कैसे तोड़ सकता हूँ?
चलो बेटा बारिश रुक गयी है....अभी रास्ते में कोई जिद मत करना
एक पल मुड़के देख लो फिर से रेखा....तुम्हे दुखी देखकर मैं परेशान हो गया हूँ....
काश मैं तुम्हारी कोई हेल्प कर सकूँ!
अचानक ऐसा लगा जिंदगी वापस आ गयी हो जब वो एकदम से सामने आ गयी मेरे
हेलो राहुल मैं यहीं रहती हूँ बैंगलोर में....अच्छा लगा तुम्हे इतने दिनों के बाद देखकर....
रोक नहीं पायी खुद को....माफ़ करना!
मैं आज भी फेसबुक यूज़ करती हूँ....मुझे अनब्लॉक कर देना....अपना ख्याल रखो!
बस देखता ही रहा, मुँह से "कैसी हो" ये भी न निकाल पाया
ये क्या हुआ....मैं न उस दिन कुछ बोल पाया और न ही आज
ये जिंदगी भी क्या क्या खेल दिखाती है....
जिसे कभी न मिलने की कसम खायी थी वो आज हज़ारों किलोमीटर दूर फिर से सामने आ गयी....
भगवान जाने क्या लिखा है!
हेलो राहुल, ३:३० बज गए, फिर रुक गए क्या अपने दोस्तों के साथ....
हेलो राधा, सॉरी फिर लेट हो गया, बारिश में फसा हुआ था, अगली बस से निकल रहा हूँ....
आज आधे घण्टे का रास्ता इतना लम्बा क्यों लग रहा है....
घर जाके फेसबुक जो खोलना है....८ साल हो गए
दोपहर ४:१५ बजे....जुलाई १६,२०१६
ट्रिंग ट्रिंग...
आ गए आप....कब से वेट कर रही थी तैयार होके....
आप हाथ मुँह धोके तैयार हो जाओ, टैक्सी बुलाई है आती ही होगी
मन तो बेचैन था फेसबुक में वापस उसको ऐड करने के लिए....मगर राधा को नाराज़ कैसे कर देता....
आखिर उसके पुराने दोस्त से जो मिलने जाना था....चलो रात को ऐड कर लूंगा
सुनो मैंने कुछ किताबें रख ली हैं, सुनील के लिए....बेचारा बिस्तर पे बैठे बैठे बोर हो जाता होगा
पता है मुझे सुनील से अच्छा दोस्त कभी नहीं मिला....
उसने मुझे और पप्पा की हमेशा मदद की, कभी भी भाई की कमी महसूस नहीं होने दी
पता नहीं इतने अच्छे लोगों की किस्मत इतनी ख़राब क्यों बना देते हैं भगवान....
बैंगलोर आते ही बेचारे की किस्मत ख़राब हो गयी....सच कहूं तो पुलिस की नौकरी ही ख़राब है....
न पुलिस में होता न मुठभेड़ होती और ना ही गोली लगती....
एक टांग में कितनी तकलीफ होती होगी ना!
दोपहर ५:30 बजे....जुलाई १६,२०१६
ट्रिंग ट्रिंग...
आपलोग आइये....दीदी जी भैया के पैरों की मालिश कर रही है....मैं अभी बुलाती हूँ उनको
हेलो अंकल, हेलो ऑन्टी, अंकल जी आप बस स्टॉप में भी मिले थे ना मम्मी से!
अरे ये क्या, ये किस्मत ने आज किस मोड़ पे खड़ा कर दिया है....क्या ये बच्ची सुनील और रेखा की बेटी है?
इससे पहले की कुछ सोच या बोल पाता....
हेलो राधा, हाउ आर यू....मैं रेखा हूँ, सुनील की पत्नी
मानो सबकुछ रुक गया हो.....
उसने मुझे देखा, मैंने उसे देखा, ठिठक के बोली....
हेलो राहुल.....वेलकम टू माय हाउस!
पता है राधा, मैं और राहुल एक ही मोहल्ले में रहते थे बनारस में....
किस्मत देखो आज सालों बाद मैं राहुल से बस स्टॉप में मिली और पता भी नहीं था वो तुम्हारे पति हैं.....
राधा को कुछ समझ नहीं आ रहा था मगर थोड़ा झिझक के बोली....
अरे राहुल ने कभी नहीं बताया
चलो कोई नहीं बचपन के दोस्त आज फिर मिल रहे हैं....
चलो सुनील के पास ले चलो हमें
आओ राधा कैसी हो....हेलो राहुल....नाइस टू मीट यू
हमलोग पहली बार मिल रहे हैं....मैं तुम्हारी और राधा की शादी में नहीं आ सका....
आसाम में पोस्टिंग थी....छुट्टी नहीं ले सका....
वैसे मेरी बीवी रेखा भी बनारस की है!
अरे सुनील, ये दोनों एक दूसरे को जानते हैं....
क्या अजब संजोग है, हम दोनों का ससुराल एक ही जगह है मगर हम दोनों ही एक दूसरे की शादी में नहीं आ सके....
चलो ख़ुशी है की हमलोग फिर से मिल सके....मगर तुम्हे ऐसे देखकर दुःख हो रहा है
पापा से मेरी बात नहीं हुई है, उन्हें पता चलेगा तो बहुत दुःख होगा, तुम्हे हमेशा याद करते हैं....
मम्मा पप्पा मुझे भी इंट्रोडूस कराओ अंकल ऑन्टी से....
चलो मैं खुद ही बताती हूँ अपने बारे में....
माय नाम इस इशिता, आइ ऍम ६ इयर्स ओल्ड एंड आइ लव माय मप्पा पप्पा....
हेलो बेटा, सो स्वीट....आ जाओ ऑन्टी के पास....
स्कूल जाती हो बेटा?
हाँ मैं चिल्ड्रेन्स हाउस में पढ़ती हूँ, आज मम्मा जब मुझे लेने बस स्टॉप आयी थी तो अंकल भी आये थे.....
हैं ना अंकल?
समझ नहीं आया क्या बोलूं....मानो सफाई देनी पड़ेगी राधा को
रेखा को देखा, खुद को संभालकर बोला....हाँ बेटा बारिश ने हम लोगों को मिला दिया!
अरे बातें तो होती रहेंगी, मैं कुछ लेके आती हूँ....
शाम ७:३० बजे....जुलाई १६,२०१६
सुनील मैं भगवान से प्रार्थना करुँगी तुम जल्द ही ठीक हो जाओ और फिर से चलने फिरने लगो....
आज तुम सबसे मिलके और साथ समय बिताकर बहुत अच्छा लगा....
ये कुछ किताबें हैं तुम्हारे लिए....उम्मीद है तुम्हारी किताबें पढ़ने की आदत वैसे ही होगी
अब हमें इज़ाज़त दो....अगली बार तुम हमारे घर आओ रेखा और इशिता को लेकर
सोचा नहीं था जिंदगी कभी ऐसे मोड़ पे लेकर कड़ी कर देगी....
अब चाहकर भी दूर जाने का मन नहीं कर रहा था
लग रहा था काश थोड़ी देर बात कर लेता सबसे दूर जाके.....
उसकी नज़रें कुछ और कह रही थी,मानो वो खुश नहीं हो
गाडी, घर, नौकर सब दिख रहे थे....
मगर उसको आँखों में कमी नज़र आ रही थी....
आखिर यही सब चाहिए था ना उसको जिंदगी में
शायद अतीत का परिंदा फिर वापस आ गया था कुछ सौगात लिए!