I would not count on love ever but she taught me to love those big eyes. Then fell in love and we loved each other very much but never told not to each other. We lost our love because of failed attempts.
ईश्वर में असीम आस्था होने पर मैं हर रोज मंदिर जाता था और आज तो उठने में ही लेट हो गई तो भागते हुए मंदिर पहुंचा. भगवान् के सामने हाथ जोड़ कर आँखें बंद कर प्रार्थना कर ही रहा था कि किसी ने मेरे कंधे पर थपथपा कर हटने के लिए बोला. मैंने आँख खोल कर देखा तो बस देखता ही रह गया. वो बड़ी बड़ी आँखें वो गुलाबी होंठ.उफ्फ ! उन बड़ी बड़ी आँखों में न जाने क्या कशिश थी कि मैं मंत्रमुग्ध सा अपलक उसे ही निहारे जा रहा था. अचानक उस लड़की ने मुझे फिर से टोंका. मैं हट तो गया वहाँ से पर मेरी आँखें अब भी उसी पर टिकी रही. वो पूजा कर के चली तो गई लेकिन मुझे बेचैन कर गई. उसके बाद मुझे पता नही क्या हो गया दिन रात वो ही आँखें मेरी नज़रों के सामने हर पल नाचती रहती. पहली नज़र के प्यार पर मुझे कभी यकीन ही नही था लेकिन आज मुझे यकीन हो चला था क्योंकि मुझे प्यार हो गया था पहली नज़र का प्यार !
अब मै हर जगह उसे पागलों की तरह ढूंढने लगा लेकिन वो कहीं नही मिली मंदिर में भी नही. दो दिन बाद जब मैं कॉलेज गया और क्लास अटेंड करने के बाद क्लास रुम से जैसे ही बाहर निकला अचानक मैं चौंक गया. वो लड़की मेरे क्लास रुम के ठीक सामने वाले रुम में पढ़ती थी. मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा मेरे मन की मुराद जो पूरी हुई थी. अब मैंने क्लास बंक करना छोड़ दिया और उसको देखने के लिए कॉलेज रेगुलर आने लगा. उसकी बस एक झलक पाने के लिए मैं उसका पीछा करने लग गया. वो जहा भी जाती मैं भी उसके पीछे चला जाता. वो मेरी इन हरकतों की वजह से मुझे अवॉयड करने लगी.
ऐसे ही एक महीना हो गया और अब वो धीरे धीरे मेरी फीलिंग्स समझने लगी थी इसलिए मेरे पीछे आने से उसे अब ऐतराज़ नही था लेकिन तब भी हमारे बीच कोई बात चीत नही हुई. वो कहते हैं न कि इश्क और मुष्क छुपाए नही छुपता. पूरा कॉलेज जानने लगा था कि हमारे बीच कुछ तो चल रहा हैं और ये ख़बर न जाने उसके भाई तक कैसे पहुँच गई और एक दिन उसके भाई अमन ने मुझे बुलाकर वार्निंग दी कि मैं उसकी बहन रानी का पीछा करना छोड़ दूँ लेकिन उसकी बातों का मुझपर कोई असर नही हुआ और उसका पीछा करना जारी रहा. मैं अब भी रानी का बेधड़क पीछा करता.
रानी के प्रति मेरी दीवानगी दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी. उसके भाई ने घर पे हमारे बारे में बता दिया और रानी का कॉलेज आना कम हो गया या कहूँ कि लगभग बंद ही हो गया. उसके न आने से मैं बेहद उदास हो गया. मैं नही जानता था कि उसके दिल में मेरे लिए क्या हैं और मैं खुद भी अपने दिल की बात उसे कभी बोल ही नही पाया इसलिए भी ज्यादा परेशान सा रहने लगा. पढ़ाई पूरी होने के एक साल बाद आगे पढ़ाई ज़ारी रखने के लिए मैं बरोडा आ गया. एक दिन पता चला कि रानी कॉलेज फिरसे वापिस आने लगी हैं और मैं वहां से भागता हुआ उससे मिलने अंजार आ पहुंचा. उसे देख कर लगा जैसे वो मेरा ही इंतजार कर रही थी. पता नही उसे देखते ही मुझे न जाने क्या हुआ. मुझे वो सही वक़्त सही मौका लगा और मैंने सबके सामने उसे प्रपोज कर डाला.
” रानी ! आय लव यू. मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ. बस एक बार बोल दो कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो ! ”
मैं इंतज़ार करता रहा उसके जवाब का मेरे कान उसके मुंह से वो लफ्ज़ सुनने के लिए बेकरार हो रहे थे लेकिन रानी बिना कुछ बोले ही वहा से चली गई. अमन भी वही पर था क्योंकि रानी अब उसी के साथ कॉलेज आने जाने लगी थी. फिर मैं भी वहा से चला आया. मैं ये सोचकर बेहद डरा हुआ था कि कहिं रानी मेरी इस हरकत की वजह से मुझसे दूर तो नही हो जाएगी न! ‘
इस वाकिये के बाद मैं वापिस चला गया. सब कुछ बदल चुका था हमारे रास्ते अलग हो चुके थे लेकिन मैं उसे भूल नही पाया. अजीब रिश्ता था हमारा. कभी हमारी बात चीत नही हुई फिर भी मैं उसे बेहद चाहता था लेकिन उसके दिल की बात कभी जान ही नही सका. तीन महीने बाद मुझे पता चला कि उसकी शादी फिक्स हो गई हैं. इस ख़बर ने मुझे ऊपर से नीचे तक हिलाकर रख दिया. उससे जल्द मिलने के लिए मैं पागल हो रहा था और उसी समय मेरे एग्जाम शुरु हो चुके थे. कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ एक तरफ़ रानी और दूसरी तरफ़ ये एग्जाम था. फिर एग्जाम ही बीच में छोड़ कर उससे मिलने भागा और उसी चक्कर में मेरा एक्सीडेंट हो गया और अगले ही पल खुद को हॉस्पिटल में पाया. यहाँ मैं हॉस्पिटल में एडमिट था और वहाँ रानी की शादी हो रही थी. अपनी बेबसी पर मैं बहुत रोया फिर मुझे लगा कि वो मुझे भूल गई होगी और ये सोच कर खुद को ढांढस बांधने लगा कि लड़का रिच हैं तो उसे वो सारी खुशियाँ देगा जो वो खुद नही दे सकता और वो अच्छी लाइफ जियेगी खुश रहेगी. ठीक होते ही मैं वापिस बरोडा आ गया और अपनी पुरानी लाइफ में व्यस्त हो गया.
एक महीने बाद रानी की सहेली भी बरोडा पढ़ने के लिए आयी और मेरा एड्रेस ढूंढ कर मुझसे मिलने आ पहुंची.
” तुम कैसे हो निर्मल ?”
” ठीक हूँ और…रानी..वो कैसी हैं? ”
” वो ठीक नही हैं निर्मल ! वो तुमसे प्यार करती हैं लेकिन कभी कह नही पाई. ”
क्या??? सच में रानी… ”
” हा निर्मल ! उसे ये एहसास तब हुआ जब तुम जा चुके थे और जब उसे पता चला तुम उससे मिलने आये हो वो बहुत ख़ुशी हुई और तुमसे मिलने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके घरवालों को पता चल गया और फिर उसे शादी के दो दिन तक घर से निकलने ही नही दिया. वो बहुत रोई. वो तो ये शादी ही नही करना चाहती थी बल्कि तुमसे शादी करना चाहती थी लेकिन मजबूरन उसे करना पड़ा. ”
सारी बात जानने के बाद मैं बच्चों की तरह बिलख बिलख कर रोने लगा. मेरे अंदर ज़ज्बातों का शैलाब घुमड़ रहा था वो आँखों से अश्रु बन फूट फूट कर बाहर निकलने लगे. इन सारी बातों से मैं अंजान उसके बारे में मैं कुछ और ही सोचता रहा और उसके दिल की बात मुझे तब पता चली जब सब ख़त्म हो चुका था. मैं अंदर ही अंदर टूट गया खुद को कोसने लगा. मेरे सपने मेरी खुशियाँ सब जल कर ख़ाक हो चुके थे. मैं खुद को माफ़ नही कर पा रहा था मेरी रानी मुझसे बहुत दूर चली गई थी.
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