• Home
  • About Us
  • Contact Us
  • FAQ
  • Testimonials

Your Story Club

Read, Write & Publish Short Stories

  • Read All
  • Editor’s Choice
  • Story Archive
  • Discussion
You are here: Home / Hindi / Kab ke kismat me Mil Jaye koi

Kab ke kismat me Mil Jaye koi

Published by kalyani in category Hindi | Hindi Story | Love and Romance with tag girls | hospital | Mother | twins

कब के किस्मत में मिल जाये कोई: This Hindi story is about a one girl who has values in her life and dedication towards her work. Finally she found her prince charming also.

love-sign-ribbons

Hindi Love Story – Kab ke kismat me Mil Jaye koi
Photo credit: Ladyheart from morguefile.com

ये कहानी है उन दिनों कि जब मैं डॉटर शाक्षी अवस्थी शिमला के हॉस्पिटल जॉर्ज मॉर्टिन में काम करती थी बतौर चीफ मेडिकलहेड। एक नयी औरत अपनी जाँच करने आयी थी. जो अपने पति के साथ अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में टेस्ट करने आयी थी। मैंनेदेखा कि बहुत से मरीज है जो कि लाइन में बैठे है और अपनी अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे है क्यूंकि ये हॉस्पिटल है और सभीलोक किसी न किसी बीमारी को लेकर परेशान होते है।

मैंने वार्ड बॉय को पुकारा और बोला कि यह बस आखिरी मरीज है इसके बाद मैं लंच के लिए जाउंगी। उसने सर हिला दिया हांमें। उस मरीज का नाम पुष्पा शर्मा था, वो आई और बोली डॉ जी मैं कुछ दिनों से महसूस कर रही हूँ कि मेरे को जयादा दर्द होरहा है और मैं बहुत ही जयादा खाना खा रही हूँ, “क्या ये डीक है ? मैंने मुस्कुराहे हुए कहा कि, “हाँ , यह तो मामूली सी बात हैअछा खाना और अराम करना बच्चे और तुम्हारी सेहत की लिए ”

वैसे पुष्पा तुम्हारी तसली के लिए हम एक सोनोग्राफी करा लेते है। मैंने वार्ड बॉय को तुरंत बुलया और कहा कि इनको लेकेजाओ और लैब में दिखो। मैंने अपनी घडी कि तरफ देखा ताऊ २ बज गए थे।

मैं अपने डॉक्टेर के क्वार्टर कि तरफ चली गयी। खाना लगा दिया था माँ ने , बोली कमसे कम आज तुम कुसम वक्त पे खालो। मैंने कहा माँ इतने मरीज आते है और मैंने पढ़ाई इसिस्लिये कि है ताकि सबको अछी सेहत मिलये और आप को दुनियाभर कि खुशियाँ दूँ।

माँ ने मुस्कुराते हुए सर को हिला दिया। मैं अपने माँ के सात रहती हूँ। मेरा कोई और भाई या बहेन नहीं है मैं अकेली संतान हूँ। बाबा मेरे पिता जी दूसरे शहर में काम करते है। उनका काम है बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई करना कंस्ट्रक्शन लोगो को। शिमलाहिल एरिया है और जयादातर मकाने बहुत पुराणी है या फिर जिन का कोई देखबाल नहीं कर सकता वो लोग ने किस अमीरआदमी को बेच दिया। .

यहाँ पर इतना कोई काम नहीं ईसिस्लिये बाबा ने अपना कारोबार नयी दिल्ली में रखा है। साल में एक बार दीवाली या होली पेघर आते है . हम सब तब पूरी तरह से घूमने और रिश्तेदार से मिलने जाते है। वैसे तो मैं इतनी बिजी होती कुछ और करनेको वक्त नहीं मिलता है।

शाम को जब मैं वापिस हॉस्पिटल गयी तुरंत लैब को फ़ोन किया कि, “आज पुष्प जी का टेस्ट किया था उसकी रिपोर्ट मेरे भेजदो”
टेक्निशन ने कहा , “मैडम भेज देंगे ”

बाकी के मरीज को देखने लगी। रात के ८ बज गए और मैंने हॉस्पिटल का राउंड लिया नर्स को हिदायत कि कोई भी इमरजेंसी करें। घर में माँ हमेशा अपने टीवी के प्रोग्राम देख रही थी बड़े दिलचस्प  से देख रही थी

मैंने पूछा कि ऐसा क्या देख रही है आप? माँ बोली कि टीवी प्रोग्राम है सांस और बहु के बारें में . मैंने कहा कि आप के नसीब मैंयह नहीं hai, कुछ और देखलिया Karen. माँ ने कहा कि हाँ वो तो है मगर देखने में क्या जाता है आज कल जाने क्या क्यादिखाते है
मैं जल्दी से फ्रेश होकर खाने के मेज पे पहुच गयी और अपना सारा ध्यान खाना खाने में लगाने लगी , वैसे ही आज कल मरीजइतने हो गए है कोई न कोई तकलीफ से परेशान है
मैंने पूछा माँ , आपने बाबा से बात किया कैसे है वो? माँ बोली अछे है थोडा काम से इधर उधर जाते है और बोला है के जल्दी सेतुम्हारी शादी के लिए कोई अछा सा लड़का देख ले.

मैंने बोला इन सभी के लिए अभी बहुत समय है मुझे बहुत कुछ करना है ठीक है .
मैंने बात को इधर हीख़तम करना सही समजा और सोने के लिए चली गयी दो चार रिपोर्ट्स के बारें में अपनी दायरे में नोट करकेसोने लगी

अगले दिन सुबह को सबसे पहले मुझे लैब को फ़ोन करना था पुष्पा के बारें में जल्दी से हॉस्पिटल सुबह पहुची और लैब कारिपोर्ट मेरे टेबल पे था मैं जाना चाहती थी कि क्या हुआ पुष्पा के रिपोर्ट में.

जैसे ही देखा तो आश्चर्य हुआ कि उसके गर्भ में दो बच्चे है वोह भी पांच महीने के है. वैसे तो सब कुछ अभी के लिए दीक ही लगरहा है. मैंने तुरंत श्रीमान कपिल शर्मा को फ़ोन किया और बोला कि , मैं डॉटर शाक्षी अवस्थी बोल रही हूँ पुष्पा के लिए और आपके लिये खुश खबरी है, गर्भ में दो बच्चे है अभी के लिए इतना ही कह सकती हूँ और बाकि बातें मैं अगले चेक उप में बता सकतीहूँ. फिलहाल उनको जयादा आराम और अच्छे से खान पान का धयान रखना होगा औरे समय समय से आयरन और जो भीटेबलेट्स दिया है उन्हें लेने को कहे ठीक है.

कपिल बोले, थैंक यू सो मच डॉटर मैं यह खबर अभी तुरंत पुष्पा को देता हूँ. अगले महीने हम दोनों फिरसे आयेगे चेक उप केलिए.
इसी तरह से डिलीवरी का समय भी आ गया कड़ाके कि ठण्ड दिसंबर का महीना था. मैं रात का खाना खा कर अपनी डेरी में नोटकर रही थी कि कल का क्या अपॉइंटमेंट है और सोने के लिए जा ही रही थी कि मेरे फ़ोन कि घंटी बजी और मैंने सोचा शायदहॉस्पिटल के किसी मरीज के बारें में नर्स पूछ रही होगी . मैंने फ़ोन उठा लिया और बोला,” हेल्लो, कौन बोल रहा है? उधर सेश्रीमान कपिल शर्मा कि आवाज़ आयी बोल्रे, डॉटर जी पुष्पा को लगता है कि लेबर पैन हो रहा है,

मैंने कहा कि कभी कभी फालसे पैन भी होते है थोड़ी डियर रुक कर देख ले और अगर पैन फिर भी होता है तो हॉस्पिटल में भर्तीकर ले और नर्स मुझे इन्फोर्म कर देगी और मैं पहुच जाउंगी ठीक है.

मन नहीं था मगर थोडा सा कमर सीधी करना भी जरुरी था और मैं सोने कि कोशिश करने लगी थोड़ी देर से फ़ोन फिरसे बजाऔर मुझे लगा कि अब पुष्पा के बारें में ही होगा और मैं ने बोला जी, कहिये उधर से नर्स सीमा कि आवाज़ आयी बोली कि मैडमजल्दी आ जायी क्यूंकि पुष्पा जी का लेबर पैन हो रहा है और मैंने उनको इंजेक्शन दिया है और उनको आप देख के ऑपरेशनथिएटर कि तरफ ले जाए .
मैंने कहा कि दीक है तुम ऑपरेशन थिएटर और अन्नेस्टिसिस्ट को भी कॉल कर दो आने के लिए सब कुछ रेडी रखो मैं बस पांचमिनट में पहुचती हूँ.
माँ को उठाना जरुरी न समजा क्यूंकि उनको मेरे बे टाइम जाना मालूम था, जल्दी से मैं हॉस्पिटल कि तरफ चल पड़ी.
देखा तो हॉल में ही श्रीमान कपिल शर्मा टहलते हुए नज़र आगये बोले काफी डियर से पैन था इसीलिए मैंने एडमिट कर दियापुष्पा को वैसे भी पहली बार है ना.
मैंने कहा कि सब दीक होगा आप आराम करे. अगर कुछ होगा तो मैं आपको बोल दूंगी.
नर्स सीमा मेरा इंतज़ार कर रही थी शीत के साथ कि क्या दिया गया है पुष्पा को, मैंने एक सरसरी से निगाह डाली और देख पुष्पाकि तरफ और बोली सब कुछ दीक है और जल्दी ही आप अपने बच्चे को देख लेंगी . पुष्पा ने हां में सर हिला दिया.
मैंने देखा कि अनेस्थीसित भी सामने थे मैंने डिसकस किया कि गर्भ में दो बच्चे है और हमें जल्दी से जल्दी यह प्रोसीजरकम्पलीट करना है , उन्होंने सर हिला दिया और अपनी डोसे के साथ तैयार हो गए.
एक दस मिनट में ही पुष्पा को एक बचे के डिलीवरी करी जो कि खूबसूरत सी लड़की थी और दूसरे बच्चे का इंतज़ार करने लगेमैंने पुष्पा को कहा कि जल्दी से पुश करे नर्स सीमा ने भी उसके सर कि तरफ खड़ी
हो कर उसको पुश करने के लिए कह रही थी, मगर बच्चे का सर ही नहीं दीख रहा था और मैं सोच रही थी क्या हो रहा है, इतने मेंसर दिखिए दिया और मैंने कहा कि जूर लगौ अभी थोडा बाकी है और देखा कि एक और खूबसूरत सी बच्ची थी.
मैंने उसकी तरफ देखा और कहा कि दो बच्ची ह्युई है और पुष्पा का चेहरा दर्द में भी मुस्कुरा रहा था और मैंने देखा कि एक बच्चीके रोने कि आवाज़ आ रही है और दूसरी का नहीं मैंने सोचा कि क्या करूं तुरंत मैंने हॉस्पिटल के स्पेशलिस्ट को बोलया और कहाकि एक ऐसे केस है जिस में कि एक बच्ची कि आवाज़ सुन रही हूँ और दूसरी कि नहीं, उन्होंने कहा कि थोड़ी देर रुक जाऊ औरफिर से देखो मैंने अगले १ मिनट रुकी और फिर भी आवाज़ ना आयी तो फिर फ़ोन किया और बोली अभी भी नहीं आ रही है,इतने में स्पेशलिस्ट डॉटर आ गए और उन्होंने उस बच्ची के जांच शुरू कर दिया और बोले कि अभी कुछ नहीं कह सकते थोडाऑब्जरवेशन में रकते है और सोचेंगे. मैंने पूछा कि इसके बारें में श्रीमान कपिल शर्मा और पुष्पा को बोलना ही पड़ेगा कि उन्कीएक बच्ची कि हालत ऐसे है . उन्होंने कहा कि हाँ बोल दो उनको मालूम होना ही चाहिए.
मैंने पहले तो श्रीमान कपिल शर्मा और उनके परिवार को बधाई दी कहा कि दो बच्ची हुयी है माँ और बच्चे दीक है सिर्फ एकप्रोबल्म है,
वो थोडा डरे से बोले क्या हुआ होई सीरियस बात तो नहीं, मैंने कहा कि जी है,
एक बच्ची बिलकुल नॉर्मल है और दूसरी अभी कुछ भी बोल नहीं रही है, जैसे कि पैदा होते ही बच्चे रोते है एक नहीं रो रही है औरहमें ऑब्जरवेशन में रखना हो गा
अजीब सा मंज़र था वो बच्ची के लिए खुश भी थे और दुखी भी
मैं उनको थोड़ी देर कि लिए रुकने को कह के चली गयी अपने सपशलिस्ट से मशवरा करनेमुझे कुछ और सोचने का दिल नहीं कर रहा था ये बड़ी ही दुःख कि बात थी कि इतनी पायरी सी बच्ची क्यूँ आवाज़ नहीं निकल पा रही है. मन में तरह तरह के ख्याल आ रहे थे
करीब तीन घंटे के बाद ये मालूम पड़ा कि ये बच्ची कभी बोल या सुन नहीं सकेगी और मैं इस असमंजस में कि कैसे उनको यहखबर दूंगी न जाने कैसे वो दोनों रियेक्ट करे इस बात से.
लेकिन कहना तो पड़ेगा ही.
मैं अपने केबिन में बैठ कर नर्स सीमा को कहा कि, जाके श्रीमान कपिल शर्मा को बुलाऊ”
उसने पूछा कि मैडम क्या हुआ है उस बच्ची को मैंने कहा कि वो बोल नहीं सकती है न ही सुन सकती है. सीमा को भी बुरा लगामगर हम अपने काम से इस तरह से उलझे रहते है कि कड़वी से कड़वी सच को भी बोलना कि पड़ता है.
मैंने इंतज़ार किया यह पल जैसे कि सदियों से लम्बे लग रहे थे. मैंने कहा कि, तो कपिल जी कैसा लग रहा है बच्ची को देख कर”
वो मुस्कुरा कर बोले अछा लग रहा है मगर दूसरी बच्ची का क्या हुआ वोह जान्ने के लिए उत्सुक हूँ. मैं जानती थी कि जो मैंबोलने वाली हूँ वो सुनके उनका क्या हाल होगा.
मैंने कहा कि कुछ टेस्ट करके यह मालूम पड़ा है कि वो बच्ची न कभी बोल सकगी न ही सुन सकेगी.
और मैं चुप हो गयी
कपिल शर्मा एक दम सकते में आ गए और बोले ऐसे कैसे हो सकता है. आपको यह पहले से क्यूँ नहीं मालूम हुआ मैं पुष्पा कोकैसे यह बताऊंगा कपिल के लिए यह बहुत ही मुश्किल घडी है और कैसे वो पुष्पा को और घर के अन्य सदस्यों को कैसे समजायेगा . बड़े ही भुजे दिल से वो अपनी माँ और बाऊजी कि तरफ बड़ा बोला, “माँ , बाउजी अपनी दो बच्ची के सवस्थ के बारें में कहना है .” एक बच्ची को कभी भी बोलने या सुनने नहीं मिलेगा.”
माँ और बाऊजी बोले, “लेकिन बेटा कैसे यह हो गया सब कुछ तो दीक था ना ? कपिल बोला कभी कभी एसा होता है जुड़वे बच्चों में. ”
हमें यह बात पुष्पा को बड़ी ही सावधानी से समझाना होगा जानते है कि बहुत ही दुखी होगी इस बात को लेके मगर बोलना तो पड़ेगा .
पुष्पा की आँखे खुली और सबसे पहला सवाल भरी नज़रों से उसने नर्स सीमा की तरफ देखा और बोली, ” नर्स मैंने सुनता कीमेरी दो बेटियां हुयी है कहा है ?”
नर्स बोली, ” मैं अभी उनको लेके आती हूँ , जरा सा इंतज़ार करियेगा “.वो नहीं चाहती थी कि बच्ची कि खबर वोह सुनाये क्यूंकियह उसके पति का फ़र्ज़ था कि उसको इस बात का जिक्र करे.
इतने में कमरे में कपिल आया अपनी दोनों बच्चियों को गोद में लेकर, बोला देखो पुष्पा तुमने कितने खूबसूरत सी बच्ची कोदिया है मुझे. मैं बहुत ही खुश हूँ. इनकी आँखे बिलकुल तुमरी तरह है और देखो न यह कितनी पायरी सी लग रही है, जैसे तुमचाहती थी घने काले बाल गोले गाल, एक गुलाबी सी गुड़िया लग रही है दोनों.
पुष्पा उनको गोद में लेके बहुत ही खुश हुयी, इतने में एक बच्ची ने आवाज़ किया दूसरी ने नहीं किया सोचा कि शायद वो सो रहीहै, लेकिन बहुत देर के बाद भी जब दूसरी बच्ची ने कोई आवाज़ न किया तुअ परेशान हो गयी और पूछी क्यूँ जी , “यह कुछ भीआवाज़ क्यूँ नहीं करती है ? जब कि यह कर रही है?
कपिल ने बोला, ” पुष्पा हिम्मत से काम लो क्यूंकि जो मैं कहने वाला हूँ तुमको शायद बर्दाश न हो मगर सुन्ना ही पड़ेगा.”
पुष्पा यह जो तुम्हारे दूसरे तरफ है वोह कभी भी बोल और सुन नहीं सकती है, पैदाइश बीमारी है और हमको इसको ऐसे ही पलनाहोगा.
इतना सुनते ही, पुष्पा रोने लगी और बोली मुझसे ऐसे क्या गलती हो गयी कि मेरे बची बोल और सुन नहीं सकती है ? मैं तोजी, बच्ची के होने का ख़ुशी भी न मन सकी और इतना बड़ा ग़म दे दिया भगवन ने.
कपिल जनता था कि रोने से थोडा सा दिल हल्का होगा और वो पुष्पा को चुप करने में लग गया. बहार माँ और बाऊजी का भी बुराहाल था मगर एक बच्ची को तो संभल ना पड़ेगा.
जो रो रही थी, और नर्स सीमा ने आकर सबको बहार जाने को खा और बोला अब आपको बच्चियों को दूध पिलाना है, और इनकीदेखबाल करना है वैसे ही जैसे एक का करेंगी इनदोनो में कभी भी फर्क न करियेगा.
करीब एक हफ्ते के अंदर हास्पिटल के सभी स्पेशलिस्ट ने आ कर उनदोनो बच्चियों कि देखबाल किया और सबी तरह के टेस्ट भीकर दिया मगर नतीज़ा कुछ न निकला और पुष्पा के घर जाने का वक़्त भी आ गया.
इसी तरह से समय गुजरता रहा और मैं भी अपने काम में व्यस्त रहने लगी और इसी बीच मेरा दबतला मुम्बई के बड़े हॉस्पिटलमें हो गया और माँ ने कहा कि साक्षी बेटी अब तो तुमको अकेले ही जाना पड़ेगा क्यूंकि अब तुम्हारे बाबा कि भी उम्र हो गयी हैऔर हमको मुम्बई जैसे जगह में अपने को ढलने में बहुत वक्त लगेगा और तुम्हारा काम ही ऐसा है कि तुमको २४ घंटे में बहुतकम मिलेगा घर में आने को और मैं कभी कभी आ जाउंगी ठीक है.
ऐसी मेरा नया सफ़र मुम्बई में शुरू हुआ . शुरू में सब कुछ और लोग भी अजीब लगे मगर जैसे जैसे समय गुज़रता गया मुझेयह शहर और लोग भी अछे लगने लगे . धीरे धीरे मैंने भी इनकी बोली सीख लिया और वककत पंख लगा के उड़ने लगा, बीच मेंमाँ और बाबा आये और कुछ महीने रुक कर वापिस चले गए.
डॉटर सोहन पंडित, जो कि नया आया था कानपुर से उसका डिपार्टमेंट चाइल्ड था , मेरे कभी उससे आमने सामने वास्ता न पड़ामगर और लोगो के मुह से उसकी तारीफ़ सुनी और सोचा होगा कोई, मुझे इससे क्या?
तभी एक केस के बारें में हॉस्पिटल पुरे में चर्चा हो रही थी, कि एक ८ साल कि बच्ची बहुत ही अच्छा सिग्न लैंग्वेज में बात करतीहै और उसको टाइफाइड हो गया है और उसकी दूसरी बहिन बहुत ही अच्छी बातें करती है और दोनों एक दूसरे का ख्याल रखती है.मेरे कललओगे शीला उसकी ही बातें करती और बोलो कि वो जनम से ही ऐसे है न बोल सकती है न सुन सकती है, जिसका नामसंजोली जो कि बोल नहीं सकती थी और उसकी दूसरी बहिन का नाम सस्मिता है और साक्षी जानती है दोनों कि बहुत हीखूबसूरत है, जाने भगवन ऐसे क्यूँ करता है? ना मालूम उनके माँ और पिता ने कैसे यह सब सहा होगा. और मालूम है कि वोदोनों तेरे हॉस्पिटल में पैदा हुयी थी.
इतना सुनते ही मेरा मान किया कि जल्दी से मिलना है क्यूंकि मुझे नहीं मालूम था कि दोनों अब कैसे दीखती होंगी. मेरे हाथ मेंदोनों ने पहली सांस ली थी. और आज इतनी साल के बाद दोनों को मैं देखूंगी.
जल्दी से मैं चाइल्ड डिपार्टमेंट कि तरफ भागने लगी, इतने में मैं बहुत ही जोर से किसी से टकरा गयी नज़र उठा के देखा तो एकडॉटर खड़ा था और गुस्से में बोला कि ,”क्यूँ मैडम देख कर नहीं चलती है यह हॉस्पिटल है आपको कोई गार्डन लग रहा है जो दौड़रही है?”
तब मैंने अपने डॉटर वाली यूनिफार्म कोट नहीं पहना था और उसके कोट में नाम था, डॉटर सोहन पंडित.

मैं भी अनजान सी बनी और बोली, ” डॉटर साहेब मुझे चाइल्ड डिपार्टमेंट में एक बच्ची को देखना है जो कि अभी एडमिट ह्युई है” क्या आप जानते है कहा है वो?

इतने में डॉटर सोहन ने कहा , ” देखिये मैडम अभी पेशेंट से मिलने का टाइम नहीं है आप शाम को ७ बजे आओ दीक है ,” औरअपने मोबाइल पे बात करता हुआ चला गया, एक ही नज़र में मुझे लगा कि यह वोही है जो कि मेरी ज़िन्दगी में आये तो मुझे भीपयार हो जाए, फिर सोचा क्या सोच रही हूँ मुझे तो संजोली और सस्मिता को देखना है यह सब क्या सोचने लग गयी मैं औरमुस्कुराते हुयी कमरा नो. १०३ में गयी देखा तो श्रीमान एंड श्रीमती शर्मा एक बच्ची को कुछ खिला रहे थे और दूसरी बीएड पे लेटीथी.

इस दृश्य को देख के मेरी आँखे भर आयी और सोचा कि कितना कुछ बदल जाता है वकत के साथ.
पहले देख के दोनों बोले जी, “आपको किस्से मिलना है?” मैंने कहा कि, “शायद आपने मुझे नहीं पहचाना मैं डॉटर शाक्षी हूँ, औरयह दो नो बच्चियां मेरे हॉस्पिटल में हुयी थी, ”
इतना सुनते ही दोनों के चेहरे पे एक मुस्कराहट आ गयी और बोले, “जी आप यहाँ पे कैसे” ? क्या आप भी यही पर काम करतीहै? बिलकुल आश्चिरीय चकित होगये दोनों!

मैंने कहा कि जी, “मैंने अभी कुछ साल पहले ही यहा पे ज्वाइन किया है, पुरे हॉस्पिटल में आपकी बच्चियों कि बातें हो रही थीऔर मैं सूच में पड़ गयी कि कौन है दोनों, तब मेरी बात यहाँ के डॉटर से हुई और उन्होंने बताया कि यह दोनों मेरे शहर मेंहॉस्पिटल में हुई है.
तब जाके दोनों को ये एहसास हुआ कि मैं कौन हूँ . बोले कि, “हमने आपको नहीं पहचाना माफ़ कीजियेगा “. मैंने कहा, “कोईबात नहीं है, वैसे कैसे संजोली कि तबियत ख़राब हुई ? क्या कहा है डॉक्टेर सोहन ने ?”

कपिल शर्मा ने,”कहा कि कुछ महीने पहले थोड़ी सी बीमार थी और बुखार कम नहीं हो रहा था इसीलिए हमने टेस्ट करवाया औरपाया कि इसको टाइफाइड हुआ है और सब ने बताया कि यह हॉस्पिटल में चाइल्ड वार्ड अछा है और डॉक्टेर भी अछे है तो एडमिटकर दिया. देखते है कि कब तक मेरे पायरी बेटिया ठीक होती है ?”

मैंने बोला,”हांजी, यह तो अच्छी बात है कि आप लोगो ने वक्त पे इसको एडमिट किया और हमसब इसकी अच्छी देखबालकरेनेगे ” एक हलकी से मुस्कान मैंने संजोली कि तरफ देखा और इशारा किया कि वो बहुत ही जल्दी अच्छी हो जायेगी. इस परतुरंत सस्मिता ने कहा कि , “हाँ,वो तो होना ही पड़ेगा मेरे साथ वर्ना कौन खेलेगा क्यूँ?”

मैंने देखा कि दोनों को इतनी अच्छे से पला था उनलोगो ने, वैसे भी जुड़वाँ बचे एक दूसरे से हर हाल में जुड़े रहते है. मन ही मनमैंने पार्थना किया कि वो जल्दी ही ढीक हो जाये. और उन सबको बाय बोल के चली गयी अपने वार्ड कि तरफ.

फिर दूसरे दिन मैं जब हॉस्पिटल का विजिटिंग हौर्स होता है तब गयी और देखा कि डॉक्टेर सोहन उसके रूम से बहार निकल रहेथे और जैसे ही मुझे देखा तो बोल पड़े, “आपने उस दिन यह नहीं बताया कि आप भी यहीं पे डॉक्टेर है और मैंने बड़े ही गुस्से मेंआपसे बात किया.”
मैंने कहा, “कोई बात नहीं और आप को कैसे मालूम होता के मैं कौन हूँ मेरे चेहरे पे थोड़े न लिखा है!”
उन्होंने कहा कि ऐसे नहीं, आपको मेरे साथ एक कॉफ़ी तो पीनी पड़ेगी .
मैंने कहा कि जरुर आज नहीं फिर किसी दिन मैं वैसे भी संजोली को देखने आयी हूँ, बोले अच्छा आप उसको कैसे जानती है?
मैंने बोला, “कॉफ़ी पे कुछ बात करने को रखते है और चल पड़ी ”
रात को घर में आने के बाद मैंने माँ और बाबा को फ़ोन किया और बोला कि मुझे एक डॉक्टेर पसंद है और आप दोनों उनसेमिलकर बात करें. यह सुन कर दोनों खुश हुए और बोले कि अगली फ्लाइट से आ रहे है. मैंने भी सोचा कि मेरे बात करने सेअच्छा है कि माँ और बाबा सोहन से बात करे जो भी है फैसला उनको भी लेना है.
एक हफ्ते के बाद दोनों आ गए और मैंने सोहन को कॉल किया और बोला कि कॉफी पे आज आईएगा और पता दे दिया. और पूछाकि संजोली कैसे है अब तो बोले बिलकुल दीख है और कल डिस्चार्ज कर देंगे दोनों बच्चियां एक दूसरे का साथ अच्छे से रकते हैऔर उनको माता पिता भी. देख कर आश्चर्य होता है कि कैसे वो सब एक दूसरे से बात करते है बिना किसी को यह एहसासदिलाये कि एक में कमी है.
शाम को मैं घर जल्दी पहुच गयी और, माँ को बोला कि अगर आपक को अच्छे लगे तो ही बात करना वर्ना नहीं. माँ बोली डॉक्टेरहै और क्या चाह्यी दोनों एक ही हॉस्पिटल में हो. परिवार के बारें में जान ले तो बात पाक्की कर देंगे.
दरवाजे पे घंटी बजी और बाबा ने खोला, “बोले आओ बेटा, मैं साक्षी का बाबा हूँ और यह माँ.” शायद सोहन को उम्मीद न थी किघर में कोई और भी होगा, थोडा सा अचंबित हुआ फिर उसने कहा, नमस्ते है और जो फूल लेके आया था मेरे लिए माँ के हाथ मेंदे दिया. मैं अंदर से देख रही थी, हसीं भी आ रही थी काबू करके बोली, कैसे है, घर ढूंढने में जयादा तकलीफ तो नहीं हुई? ”
सोहन बोले नहीं वैसे करीब ही मेरे चाचाजी का घर है और फिलहाल मैं उनके घर जाने वलहुँ आप लोगो के मिल के.
मैं और माँ किचन में चले गए कॉफ़ी और कुछ खाने के इंतज़ाम के लिए और बाबा ने बातों का सिलसिला जरी रखा और बहुतकुछ पूछ लिया. माँ कि तरफ मुस्कुरा के बोले, अरे भाग्यवान जल्दी लाओ सोहन मुझ से बोर हो रहा है.
सोहन ने हस के बोला नहीं अंकल ऐसे कोई बात नहीं है, और बाबा ने चलो कभी फुर्सत हो तो अपने चाचा जी से बी मिलना .उसके जाने के बाद बोले कि लड़का तो अच्छा है, खानदान भी अछा ही लगरहा है, वैसे मैं उनको बी मिलकर आगे कि बात चीतकर लूंगा तब तुम को भी उनसे मिला देंगे क्यूँ दीक है मैंने कहा बाबा आप जैसे ठीक समजे.
इस तरह दोनों परिवार मिले और मैं शाक्षी अवस्थी से साक्षी सोहन पंडित हो गयी कुछ महीनो में. आज मैं अपने नयी जिंदगी मेंबहुत खुश हूँ और माँ बाबा भी . मेरे साथ सोहन कि माँ और बाबा भी रहते है और अब मुझे लगता है कि इससे अच्छी लाइफ मेरेहो ही नहीं सकती ….

***
०९-०१-2014
कल्याणी

Read more like this: by Author kalyani in category Hindi | Hindi Story | Love and Romance with tag girls | hospital | Mother | twins

Story Categories

  • Book Review
  • Childhood and Kids
  • Editor's Choice
  • Editorial
  • Family
  • Featured Stories
  • Friends
  • Funny and Hilarious
  • Hindi
  • Inspirational
  • Kids' Bedtime
  • Love and Romance
  • Paranormal Experience
  • Poetry
  • School and College
  • Science Fiction
  • Social and Moral
  • Suspense and Thriller
  • Travel

Author’s Area

  • Where is dashboard?
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
  • Contact Us

How To

  • Write short story
  • Change name
  • Change password
  • Add profile image

Story Contests

  • Love Letter Contest
  • Creative Writing
  • Story from Picture
  • Love Story Contest

Featured

  • Featured Stories
  • Editor’s Choice
  • Selected Stories
  • Kids’ Bedtime

Hindi

  • Hindi Story
  • Hindi Poetry
  • Hindi Article
  • Write in Hindi

Contact Us

admin AT yourstoryclub DOT com

Facebook | Twitter | Tumblr | Linkedin | Youtube