रूहानी स्पर्श
तेज बारिश के साथ बार – बार बिजली के कड़कड़ाने कि आवाज़ अंधेरी रात को और भी भयावह बना रही थी । लगता था जैसे जोर का तूफान आने वाला है । तेज हवा के झोंके से खिड़की का खुलना बन्द होना । शिया ने उठकर खिड़की बंद की , बारिश का पानी कमरे मे आ गया था । फिर वो अपने बिस्तर पर आकर बैठ गयी । बाहर का शोर कुछ कम हो गया था पर शिया की जैसे नींद ही गायब हो गयी थी । आज शिया पूरे घर मे अकेली थी । न जाने क्यूँ उसे एक अनजाना सा डर सता रहा था कि जैसे कोई अनहोनी होने वाली है !!!
उसका मन बहुत बैचैन हो रहा था । अभी उसकी शादी को एक साल ही तो हुआ था । ऐसा पहली बार हुआ था जब उसे अपने पति अविनाश के बगैर अकेले रहना पड़ रहा था । अवि दो दिन के लिये ऑफिस टूर पर गए थे। वो तो साथ जाना चाहती थी पर अवि ने उसे समझाया देखो ऐसी हालत मे तुम्हारा सफर करना ठीक नही । फिर डॉक्टर ने भी तो तुम्हें आराम करने के लिये कहा है। सिर्फ दो दिन की ही तो बात है डार्लिंग , मैं कोई हमेशा के लिये थोड़े ही जा रहा हूँ । शिया ने अवि के होठों पर अपनी ऊँगली रख दी , अब फिर से दुबारा ऐसा कभी मत कहना ? तुम्हें पता है न कि मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती । अच्छा बाबा , अब नही कहूँगा , सॉरी ! अब तो मुस्कुरा दो , मेरी जान प्लीज !!
दोनों एक दूसरे को बेहद प्यार करते थे । देखो मैंने तुम्हारे घर फ़ोन कर दिया है शाम तक तुम्हारी मम्मी आ जायेंगी तुम परेशान मत होना । उसके बाद अवि ने शिया को बाहों मे भरकर प्यार किया जाने से पहले । शिया भी जैसे उन पलों को अपने अंदर समेट लेना चाहती थी । जाते – जाते शिया अवि को तब तक देखती रही जब तक वो उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गया। बड़े बुझे मन से शिया अंदर आकर बिस्तर पर बैठ गयी । थोड़ी देर बाद उसने अपनी माँ को फ़ोन लगाया तो माँ की मायूसी भरी आवाज़ पता चला पापा की अचानक तबियत बिगड़ जाने के कारण उन्हें अपना प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ रहा है। माँ को पापा का ख्याल रखने को कह कर फ़ोन रख दिया। उसके बाद बड़े अनमने मन से वो बिस्तर पर लेट गयी और इंतजार करने लगी कि कब अवि वहाँ पहुँच कर उसे फ़ोन करेगा । उसने वादा किया था सुबह शाम वो उसे फ़ोन जरूर करेगा ।
और अवि ने अपना वादा पूरा किया पहुँचते ही शिया का हाल – चाल पूछा और अपना ध्यान रखने को कहा। शिया ने उसे बताया कि माँ नही आ पायी तो वो थोड़ा परेशान हो गया पर उसने शिया पर जाहिर नही होने दिया । शिया को आश्वस्त कर फ़ोन रख दिया। दो दिन तो किसी तरह बीत गए। तीसरे दिन अवि को आना था। सुबह फ़ोन पर अवि ने बताया कि वो अगली सुबह पहुँचेगा थोड़ा जरुरी काम आ गया है पूरा करके रात को चल देगा सुबह तक आ जायेगा। शाम होने पर शिया अवि के फोन का इंतजार करने लगी कि चलने से पहले वो उसे फ़ोन जरूर करेंगे ।इंतजार की घड़ियां कुछ ज्यादा ही लंबी लग रहीं थीं । तभी शिया ने सोचा क्यूँ न फ़ोन कर पता कर लूँ कि कब चल रहे हैं ? रात काफी हो गयी थी । फ़ोन किया तो मोबाइल स्विच ऑफ जा रहा था। ऐसा तो अवि कभी नही करते फिर चलने से पहले एक बार बता तो देते । जाने कैसे -कैसे ख्याल आने लगे उसके मन मे !!! बाहर बारिश भी जोरों पर थी ।
तभी अचानक जोर – जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आयी । शिया डर गई इतनी रात कौन हो सकता है ? अवि तो सुबह तक आएंगे। शिया – शिया दरवाज़ा खोलो मैं अवि उसने दरवाज़ा खोला तो सामने अवि को देखकर हैरान रह गई बोली तुम तो सुबह आने वाले थे अचानक इस समय !! मुझसे सुबह तक इंतजार नही हुआ बस तुम्हारे पास आने की जल्दी जो थी । चलने से पहले फ़ोन क्यूँ नही किया तुमने ? और ये मोबाइल क्यूँ बंद कर रखा था तुमने ?
अरे अब अंदर भी आने दोगी या बाहर यूँ ही बारिश मे खड़ा रखने का इरादा है। मैं तो जल्दी पहुँच कर तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था पर रास्ते मे गाड़ी खराब हो गयी इसलिए देरी हो गयी। बारिश के कारण नेटवर्क भी नही था । अच्छा , तुम कपड़े बदल लो तब तक मैं तुम्हारे लिये चाय बना लाती हूँ । छोड़ो न !! चाय बाद मे पीऊँगा तुम पहले मेरे पास बैठो । आज मैं तुम्हें जी भर देखना चाहता हूँ तुमसे बातें करना चाहता हूँ । शिया बोली तुम थके होगे आराम कर लो। पर अवि को न जाने क्या हो गया था बोला डार्लिंग मेरी थकान तो तुम्हें देखते ही छूमंतर हो जाती है।
उसने शिया को अपनी बाहों मे भर उसके गुलाबी होठों को चूम लिया । शिया भी शर्म से लाल हो गयी थी वो भी तो अवि के सानिध्य को तरस रही थी सो उसने कोई प्रतिकार नही किया । अवि धीरे धीरे उसके बालों पर अपनी उंगलियां फिराते हुए बोला , शिया तुम मुझे एक वचन दोगी ? कैसा वचन ?? शिया ने उसकी आँखों मे झांक कर कहा !!! अगर कभी मुझे तुमसे दूर जाना पड़े तो भी तुम इसी तरह मुस्कुराती रहोगी। मेरा प्यार हर पल तुम्हारे साथ साये की तरह रहेगा । तुम उन सभी ख़्वाबों को पूरा करोगी जो हमने साथ देखे हैं। शिया को कुछ समझ नही आ रहा था कि आज अवि इतनी बहकी – बहकी बाते क्यूँ कर रहा है।
उसने अपनी नाराजगी जताई तो अवि उसको फिर से अपनी बांहों मे भरकर प्यार करने लगा और उसके प्यार भरे स्पर्श से कब शिया की आँख लग गयी उसे पता ही नही चला । शिया की जब आँख खुली तो सुबह हो चुकी थी , अवि को अपने पास न पाकर उसने सोचा शायद आज मुझसे पहले ही उठ गये होंगें । तभी शिया के फ़ोन की घंटी बजी , उसने फ़ोन उठाया तो उधर से आवाज़ आयी मिसेज अविनाश बोल रही हैं !! आगे के शब्द सुनते ही फ़ोन उसके हाथ से गिर गया , वह दौड़ते हुए बाथरूम की तरफ भागी , अवि , अवि तुम कहाँ हो ? पूरे घर मे उसने अवि को ढूंढा पर वो कहीं नही था !!!! ऐसा कैसे हो सकता है ? रात भर तो अवि उसके पास ही था उसकी बाँहों मे फिर !!! नही !! ये नही हो सकता अवि उसे छोड़ कर नही जा सकता ? ये सब झूठ है !!
तभी दरवाजे की घंटी बजी तो उसने काँपते हाथों से दरवाज़ा खोला तो सामने पुलिस अवि की डेडबॉडी के साथ खड़ी थी । शिया बेहोश हो गयी आस – पास के सभी लोग इकठ्ठा हो गये थे। पड़ोस की महिलाओं ने पानी के छीटे देकर उसे होश मे लाया। होश आया तो रात की पूरी घटना उसके सामने चलचित्र की तरह घटित हो गयी । उस समय रात के 12 बजे थे जब अवि आया था उसके पास। पुलिस के मुताबिक रात के 12 बजे हाईवे पर एक गाड़ी का ट्रक से भयंकर एक्सीडेंट हुआ था उसी मे अवि की जान गयी थी।
तो क्या !!! रात मे अवि की रूह शिया के पास थी जो उससे जीने के वचन मे बांध रही थी। वो तो उसके रूहानी स्पर्श को अभी तक महसूस कर रही थी। ये अवि का उसके प्रति अटूट प्यार ही तो था जो जाते – जाते भी अपने प्यार से उसका दामन सराबोर कर गया था । पर वो उसके बिना जीने की तो कल्पना भी नही कर सकती। अचानक उसकी सांसे तेजी से चलने लगीं वो अवि को पुकार रही थी !! उसकी आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा तभी उसका हाथ जैसे किसी ने थामा हो । ये तो अवि ही था जो उसका हाथ थामे हुए था हमेशा की तरह । और थोड़ी देर मे शिया भी अपने अवि के पास थी हमेशा – हमेशा के लिये । आज दोनों रूहों का मिलन जो हो रहा था । ऐसा था अवि और शिया का प्यार जो मर कर भी अलग न हो सके । आसमान भी आज रो कर उनको विदाई दे रहा था।
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