कहा था उसे कोई एक वजह दे जाओ की तुम्हे याद रख सकूँ। उसने जुदाई दे दी, आज भी कहीं भी जिक्र हो इश्क का, चेहरा उसका सामने होता है…
चुन चुन कर उसकी पसंद का ख्याल रखा था…अपने शौक को भी भूलकर
एक इंसान जो किसी से बेहद प्यार करे. अपनी जान से भी ज्यादा, तो क्या ये हक़ होता है उसके beloved का की सचमुच उसकी जान ही ले ले। सचमुच वो जान ही ले लेते हैं। जिस्म होता है बस इस दुनियां में, ज़िन्दगी नहीं होती।
उसे अक्सर लगता था, मैं कुछ ज्यादा ही पाबंदिया लगा रहा था उसपर। हर बात पर टोकना, कुछ बातों पर रोकना। लोग देखें तो सचमुच सहनुभूतियों का मेला लगा दें उसके लिए। लेकिन मेरी नजर से कोई नहीं देखता, कोई नहीं सोचता।
चलो एक बार सोच लो
आपके घर में कोई बेशकीमती चीज़ हो, क्या आप उसे ऐसी जगह छोर सकते हो जहाँ सबका आना जाना हो, जहाँ सबकी नजर उस पर पड़े, नहीं न आपके कितने भी करीबी दोस्त, रिश्तेदार क्यों न हो आप नहीं छोर सकते उसे। front room में नहीं रख सकते। आप उसे कहाँ रखते हो सबकी नजर से छुपाकर। और दिखाते भी हो तो इस बात का ख्याल रखते हो की किसी भी तरह से उसे हानि न पहुंचे। कोई उसे बेरहमी से छु भी दे तो मन में थोड़ी टिस तो उठती है।
आप ही सोचो वो चीज़ जो दुबारा आपके ज़िन्दगी में आ सकती है, उसे पाया जा सकता, है ख़रीदा जा सकता है। पैसे से, उसका इतना ख्याल इतना guarding.
तो जिस चीज़ को मैंने अपनी ज़िन्दगी देकर पायी थी उसका कितना ख्याल रखता। अगर मैं उस पर किसी की बुरी नजर न पड़ने देता, या उसे ऐसी कोई हड़कत न करने देता जिससे कोई उसके बारे में गलत सोच सके, तो क्या बुरा करता। अगर मैं उसकी उन आदतों को बदलने छोड़ देने बोलता, जिससे कभी उसका ही नुकसान हो तो क्या बुरा करता। अगर मैंने जिसपर अपनी ज़िन्दगी कुर्बान कर दी, उससे उसका पल मांगता तो क्या बुरा करता। मेरी दुनियां तो वही थी न, मेरा सब कुछ, मैंने उसे हर ख़ुशी देनी चाही, उसकी हर बात मानी, जो बन पड़ा सब कुछ किया उसके लिए और बदले में चाहा तो बस उसको, उसके प्यार को, नहीं चाहा तो बस उसके प्यार का बंटवारा, उसका मन किसी और मन की ओर कदम न बढ़ा दे, बस ये।
लोग पैसों से दोबारा मिलने वाली चीजों का इतना ख्याल रखते हैं
मैंने अपनी ज़िन्दगी देकर एक उसे पाया था, जो दुनिया में सिर्फ एक थी. तो सोचिये मुझे उसका कितना ख्याल रखना चाहिए था. इस ख्याल को उसने बंदिशे समझ गयी. अगर ये बात वो समझ पाती तो शायद छोड़कर कभी न जाती।
यार राजीव हर दिन तुम भाभी के तस्वीर के सामने खड़े होकर पता नहीं क्या सोचते रहते हो। चलो ऑफिस के लिए देर हो रही है – राजीव के दोस्त ने पीछे से आवाज लगायी
सॉरी दोस्त, तेरी भाभी की बहुत याद आ रही थी। चलो अब ऑफिस।
कार स्टार्ट हुई और
यार वो जरा गाना लगाना
साथ साथ चलते चलते
हाथ छूट जायेंगे
और हाँ जरा volume तेज़ कर देना…
###
अक्स