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Udhaar ki Girlfriend

Published by RahulAgyat in category Hindi | Hindi Story | Love and Romance with tag boss | boyfriend | friend | girlfriend | wedding

This Hindi Story is about the author who has been a big flirt . He falls in love with his best friend’s girlfriend.

Beautiful Girl with flower in hair

Hindi Love Story – Udhaar ki Girlfriend
Photo credit: ChasC from morguefile.com
(Note: Image does not illustrate or has any resemblance with characters depicted in the story)

दोस्तों मैं आप का राहुल आज फिर लेकर आया हु अपनी सतरंगी कहानिओं की दुनियां से एक नई कहानी। मेरी आज की कहानी का शीर्षक है “उधार की गर्लफ्रेंड”. आप को ये शीर्षक थोड़ा अजीब जरूर लगा होगा पर यकीं मानिये मेरी इस कहानी को पढ़ने के बाद आप समझ जायेंगे इस शीर्षक का मतलब.

दोस्तों इस कहानी की शुरुआत मेरे कॉलेज के दिनों से होती है। तब मैं एक मैनेजमेंट कॉलेज में अपनी स्टडी कर रहा था। अपनी बैचलर डिग्री तो मैंने अपने शहर से ही पूरी की थी यानि की डेल्ही से। पर मैनेजमेंट की स्टडी के लिए मुझे बैंगलोर आना परा . पर डेल्ही में मेरे कारनामो का ऐसा डंका बजा करता था की बाद में उसकी गूंज मुझे बैंगलोर तक सुनाई दे गई। कारनामो से मेरा मतलब है की तब मैं एक नंबर का ठरकी और लड़कीबाज हुआ करता था।
दोस्तों अपनी तारीफ करते हुए मुझे अच्छा तो नहीं लग रहा पर आप लोगो से क्या छुपाना। आप सब तो मेरे मित्र हैं. उस टाइम पर मेरा ये मानना था की लड़कों गडडीओ (vans ) की तरह होती है एक गई तो दूसरी आती है. और मेरा ये कॉन्फिडेंस था की जिस लड़की को चाहू उसे चुटकीओ में पता लु. और लड़कीओ को पटाने का मेरा जो रिकॉर्ड था वो ऑलमोस्ट 99. 99 पर्सेंटेज था। जी हाँ हंड्रेड परसेंट स्कोर नहीं कर पाया।

मेरी जिंदगी में जितनी भी लड़कीआ आई थी उन्हें बाद में मैंने ही छोड़ा था पर एक लड़की थी जिस ने मुझे छोड़ा था यानि की राहुल को छोड़ा था ,नेहा नाम था उसका. . मुझे आज भी वो दिन याद है. उस दिन उसकी कॉल आई थी बोली “कमीने अभी मिल तू मुझे वही जहा हम मिला करते करते हैं”.

मैं वह पंहुचा।

वो बोली ” तुझे छोर रही हु मैं , ना ना ऐसा न सोच की मुझे कोई और मिल गया है. बल्कि मुझे ये एहसास हो चूका है की तुझे छोरने में ही मेरी भलाई है”.

मैं चौक गया मैंने पूछा ” ऐसा क्या कर दिया मैंने “.

उसने जवाब दिया ” देख ये तो मैं बहुत अच्छे से जानती थी की तू बहुत बड़ा कमीना है और क्यूंकि मुझे ही पसंद थे इसलिए तेरे साथ कमिटेड हो गई थी
, पर अब मुझे ये एहसास हो चूका है की जितना मैंने सोचा था उस से बड़ा वाला कमीना है। अरे तू तो जरुरत पड़ने पे अपने माँ बाप को भी बीच बाजार नीलम कर दे. इसलिए आज से तू मुझे भूल जा। मुझे कॉल भी न करिओ. पर हाँ इस बात का  अफ़सोस मुझे जरूर होगा की मेरे जैसी लड़की तुझे सात जनम में नहीं मिलेगी अरे वो मैं ही जाने कैसे तेरे जाल में फास गई थी”.

मैंने भी कह दिया ” जा जा तेरे जैसी लड़कीओ की कोई कमी है क्या। यूँ चुटकी में पता लू। बड़ी आई मुझे छोरने वाली”.

वो मुस्कुराई और बोली “जिस दिन तूने मेरे से मस्त माल पता ली उस दिन जरूर मिलिओ तेरी गुलाम बन जाउंगी”. और वो चली गई।

वक़्त बीते कई लड़कों जिंदगी में आती रही और जाती रही पर सच में नेहा जैसी कोई दुबारा मिली नहीं। वक़्त के साथ मैं बिलकुल ही चेंज सा हो गया था।
मैनेजमेंट करने की ऐसी लगन सवार हुई की बस और कुछ होश ही नहीं रहा। बैंगलोर में सब कुछ ठीक ही चल रहा था। मैंने मैनेजमेंट की पढाई पूरी कर ली और एक बहुत बड़ी कंपनी में जॉब लग गई। मैंने सुना मेरी कंपनी की नई मैनेजिंग डायरेक्टर एक यंग और डायनामिक लेडी थी। बहुत काम उमर में ही उसने इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था। अगले ही दिन मुझे उन्होंने अपनी केबिन में बुलाया।

मैं अंदर गया तब वो पीछे की तरफ चेयर घुमा कर बैठी हुई थी , शायद कोई फाइल स्टडी कर रही थी उसने कहा “बैठ जाओ”. आवाज थोड़ी जानी पहचानी सी लगी। बहरहाल मैं बैठ गया। १० मिनट के बाद वो मेरी तरफ मुड़ी। मैं स्तब्ध रह गया। अरे बेटे की जान ये तो नेहा है डेल्ही वाली। उसने कहा “इतना हैरान न हो कमीने मैं वही हु तेरी गद्दी नंबर २७ ”

मैंने कहा ” मैडम आप यहाँ ऐसे मिलेगी मैंने इसकी कटाई आशा नहीं की थी “.

उसने कहा ” छोर वो सब और बता कैसी चल रही है तेरी लाइफ ?”

मैंने कहा बस बहुत अच्छी और आप कैसी हैं। उसने कहा “देख ले वैसी ही हु जैसी तब हुआ करती थी . और बता अभी किस गड्डी को घुमा रहा है “.

अब मैं क्या जवाब देता की अभी कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं अभी पिछले हफ्ते ही तो मैंने रिया को छोरा था। कितनी गालीअं सुनाई थी उस ने जाते जाते।
बेटे की जान पर ये कैसे कह दू की मेरी कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं अभी . बेइज्जती हो जानी है मेरी। बस झूठ ही बोल गया ” ठीक ही है वो “.

नेहा बोली “दिखने में कैसी है ?? मेरे से अच्छी तो नहीं होगी i am sure , वरना तेरा चेहरा यूँ लूज़र जैसा नहीं दीखता मुझे ” वो वयंग्य से मुस्कुराई।

मैं भी कहा चुप रहने वाला था , बोल दिया ” आप से बेहतर है वो “.

वो बोली “अच्छा यकीं तो नहीं आता है। चल कोई ना एक बार उस से मिलवा दे मुझे , मैं भी तो देखू क्या चीज है वो। वैसे गड्डी का नंबर क्या है ?”

मैंने कहा “१०० “.

वो बोली ” साले सेंचुरी बना ली तूने तो , मैं गई थी तो २७ नोट आउट था तू “. मैंने मुस्कुराने की कोशिश की पर नाकाम रहा ” बेटे की जान अब एक ही दिन में गर्लफ्रेंड कहाँ से लेके आउ इस से मिलवाने और वो भी इस से बड़ी आइटम “. अचानक से मेरे दिमाग में रवि का चेहरा घुमा ” अरे राहुल बेटे रवि काम आ सकता है ऐसे मौके पे ,उसकी गर्लफ्रेंड सोनम ,वही इसे टक्कर दे सकती है. हाँ मना नहीं करेगा वो ,साला पुरे २ साल मेरी ही कॉपी कर के पास हुआ है मेरा एहसान भी मानता है। बस मैंने कह दिया ” ठीक है कल संडे है ,कल आप उस से मिल लीजिये “.

फिर आनन फानन में मैंने रवि को कॉल घुमाया। उसने कहा ” अबे साले बड़े दिनों बाद दोस्त की याद आई , बोल क्या कर सकता हु मैं तेरे लिए,बिना मतलब तो तूने कॉल किया नहीं होगा “.

मैंने कहा ” रवि मेरे यार आज तेरा एहसानो का कर्ज चुकाने का टाइम आ गया है। अबे मुझे एक दिन के लिए तेरी गर्लफ्रेंड उधार चाइये।

उसने कहा ” अबे साले एहसान का कर्ज चुकाने का मतलब क्या की मेरी जान ही मांग लेगा और वैसे तुझे क्यों चाइये बे सोनम ,उधार में ??

मैंने उसे सारी कहानी सुना दी। उसने कहा “साले किसी को भी दे दू तुझे तो हरगिज नहीं दूंगा पता चला एक दिन में वो तेरे से ही पट गई ”

मैंने कहा “भाई मेरे ,दोस्त पे भरोसा कर ” बहरहाल न चाहते हुए भी उसने हामी भर दि.

अगले दिन शाम को नेहा मिली सोनम से। नेहा ने कहा आओ आओ गड्डी नंबर 100। सोनम ने कहा “जी क्या मतलब ” नेहा मुस्कुराई और बोली “कुछ नहीं “. फिर हम लोगो ने करीब १ घंटे तक ढेरो बातें की। वैसे बहुत सी बातें मैंने सोनम को याद करा दी थी और उसे कहा था की अपना मुह कम ही खोले. फिर हम दोनों ने नेहा से विदा लि. जाते जाते नेहा ने मेरे कानो में कहा ” साले तू जीत गया ,सच में मेरे से अच्छी है ? इसका ख्याल रखना ”

तब जाकर मैंने चैन की साँस ली और सोचने लगा ” राहुल बेटे सच में ये सोनम तो मस्त आइटम है ,आज तक इसे मैंने उस नजर से देखा क्यों नही ,शायद रवि का लिहाज किया होगा। पर इसे तो मेरी होना चाइये”.

न जाने क्यों दो मिनट में ही सोनम से प्यार हो गया मुझे. अब ये प्यार था या बात का एहसास की ये नेहा से अच्छी दिखती है पर बहरहाल कुछ तो हो गया था मुझे. सोचा क्यों न इसे बोल डालु मना नहीं कर पायेगी ,रवि से अच्छा ही दीखता हु ,पर रवि को क्या कहूँगा क्या सोचेगा वो मेरे बारे में , नहीं नहीं ये ठीक नहीं है ,दोस्त की अमानत से खयानत ,गलत बात ” बस दिल को किसी तरह से समझा लिया मैंने। पर जाने क्यों सोनम को भूल नहीं पा रहा था। सच में प्यार ही हो गया था मुझे. उसकी स्माइल उसकी बातें ,उसकी अदाएं कुछ भी तो भूल नहीं पा रहा था ,ऐसा पहली बार हुआ था. पर फिर सोचा की नहीं नहीं माना की मैं उसे प्यार करने लगा हु पर वो मुझ से प्यार थोरे न करती है। और फिर रवि अपना जिगरी यार है। अजीब सी अंतर्द्वंद में फंस गया था मैं.

कुछ महीने बीत गए। एक दिन रवि का फ़ोन आया पता चली सोनम शादी कर रहे हैं , उसने उसी की इनविटेशन के लिए मुझे कॉल किया था.बनारस में शादी थी , मैं पहुंच गया . सोनम से भी मिला , पता नही क्यों वो इस शादी से खुश नजर नहीं आ रही थी।

मैंने पूछा ” तुम ठीक तो हो ?”.

उसने कहा “ठीक ही तो नहीं हु ,तुम मेरी ज़िंदगी में आये ही क्यों,उस १ दिन की मुलाकात में ही मेरा दिल ले गए तुम. हाँ मैं तुम से प्यार करती हु.

मैं अवाक् , “ऐ खुद ये क्या किया तूने, मेरे सीने में जो आग थी उसकी चिंगारी से तूने इसके दिल का आशियाना भी जला दिया. ” अनर्थ है ए. मेरे यार रवि का क्या होगा। इमोशन को कंट्रोल नहीं कर पाया मैं और कह बैठा ” प्यार तो मैं भी तुम से करता हु”. अब चौकने की बारी उसकी थी। पर फिर एहसास हुआ की ये गलत है , मैंने उसे समझाया की उसे रवि से ही शादी करनी चाइये। उसे भी लगा की शायद यही सही रहेगा.

शादी का मंडप तैयार था. दुल्हन मंडप में बैठी हुई थी। रवि कही दिख नहीं रहा था। पंडित जी ने कहा “दूल्हे को बुलाइये “. तभी पिछे से किसी ने मेरे कंधे पे हाथ रखा। वो रवि था। उसने कहा “इस से शादी करेगा??”.

मैंने कहा “अबे ये क्या बक रहा है तू ,बावला हो गया है क्या ?? अपनी ही होने वाली बीबी के बारे में ऐसी बात कर रहा है।

रवि बोला ” अबे साले इस मंडप का दूल्हा तू ही है।

फिर रवि ने बताया की वो किसी और से प्यार करता है पर सोनम को बताने की हिम्मत नहीं पर रही थी उसे, और जब उसने सोनम को ये बात बताई तब उसे पता चला सोनम भी किसी और से प्यार करती है और वो लड़का मैं हु.

रवि बोला “चल बेटे बैठ जा मंडप में ,सोनम ने अपने मम्मी डैडी को और मैंने अपने मम्मी डैडी को सारी बात बता दी है। और हाँ तेरे माँ डैड भी आ चुके हैं. मैं हैरान था। यकीं नहीं आ रहा था. जा बैठा मंडप में। सात फेरे कम्पलीट हुए. फिर रवि ने कानो में धीरे कहा “साले ले उड़ा न मेरी गर्लफ्रेंड को , एक दिन के लिए उधर मांग के। पर हाँ फिर भी मैं तेरे से हारा नही.मेरी गर्लफ्रेंड से मिलेगा ?? वो देख वो रही।”

मैंने देखा “बेटे की जान ये तो नेहा है ”

नेहा पास आई,उसने मुझे आँख मारी और कहा “मुबारक हो उधार की गर्लफ्रेंड “.

—-END—

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