ऋषव और रीयमा अच्छे दोस्त थे। ऋषव बचपन से आँखों से नहीं देख सकता था। इसके कारण उसके माँ -पापा बहुत परेशान रहते थे ऋषव के भविस्य को लेकर , ऋषव को रीयमा आये दिन अपने कॉलेज ले जाया करती। वहां उससे घंटो बातें किया करते ,पार्क में दोनों प्राकृतिक सुंदरता की बातें किया करते। ऋषव को रीयमा का साथ और बाते करना अच्छा लगता था।
रियमा के फ्रेंड उनका मजाक उड़ाया इसमें ऐसी क्या खास बात है जो तू घंटो इसके पास चिपकी रहती है। ऋषव को एक दिन उसकी दोस्तों की बातें दिल से लग गई। वह मन ही मन सोचने लगा की रीयमा मुझसे हमदर्दी दिखा रही है। धीरे -धीरे वह रीयमा से दुरी बनाने लगा। रीयमा को तनिक भी आभास न हुआ की वो जानबूझ कर दुरी बना रहा है। पर उसके रूखे व्य्वहार से वह दुखी रहने लगी। उसने सोचा शायद मेरे साथ की जरूरत नहीं है उसे।
इन्हीं कुछ महीनो के लिए रीयमा को किसी ट्रेंनिंग के लिए पुणे जाना था वो यहां भी ट्रेंनिंग हो सकती थी पर वहां का ब्रांच ज्यादा अच्छा था। वो मन ही मन सोच रही थी की कास ऋषव उसे रुकने को कहे तो शायद वह रुक जाये। क्यूंकि आजकल ऋषव के बिना यहां मन नहीं लग रहा था। वह दिन भी आ गया जिस दिन उसे पुणे जाना था। वह मन ही मन ऋषव का इंतजार कर रही थी। ऋषव को ये बात पता थी की आज रीयमा जानेवाली है तो वह उससे मिलने के लिए निकलने हीं वाला था की अचानक उसकी माँ को दिल का दौरा पड़ा। अब ना चाहते हुए भी उसे के लिए रुकना पड़ा। और उसकी दोस्त मायुश होकर चली गई। शायद मैं उसके लिए इतनी पराई हो गई की एक बार मिलने भी नहीं आया। जिसमे तेरी ख़ुशी उसमे मेरी भी ख़ुशी रीयमा ने मन ही मन सोचा। फिर वहां जाकर वो अपनी पढ़ाई में भूल हीं बैठी। समय बीतता जा रहा था।
दूसरी तरफ ऋषव रीयमा को याद कर दिन काट रहा था। उसका अकेलापन ही उसे खाये जा रहा था। एक वह हीं तो थी उसकी सच्ची दोस्त। जिसने ऑंखें न होते हुए भी पूरी दुनिया को उसने अपनी बातों से पूरी दुनिया दिखाती थी। उसका साथ ही पूरी दुनिया से अनोखा अनुभव कराता था। आज उसकी यादें रह -रहकर सताती हैं। उसने रीयमा की यादों को बहलाने के लिए म्यूजिक का सहारा लिया। धीरे -धीरे वही उसकी दर्द की दवा बन गई। जब भी उसे रीयमा की याद दिल को बहलाने के लिए म्यूजिक का सहारा लेता है। धीरे -धीरे वह भी खुद भी गाने लगा। फिर तो म्यूजिक ही उसकी दोस्त हो गई।
इसी बीच रीयमा एक दिन अचानक उसके घर आती है। वह देखती है ऋषव एक क्लासिकल सांग बहुत ही मधुर आवाज में गा रहा है। उसे ये देखकर बहुत ख़ुश होती है पर दूसरी और वह बहुत और दुबला हो गया था। रीयमा ने अचानक से उसकी पीछे से ऑंखें मूंदी। ऋषव को रीयमा का सपर्श अजीब सा सुकून भरा अनुभव दे गया। उसके मुंह से निकल गया रीयमा तू आ गई। देख तेरी याद में मै गाने लगा।
यार तू तो अच्छा गाने लगा है तू मेरी मान प्रोपर म्यूजिक ट्रैनिंग ले ले तो तू और अच्छा गाने लगेगा।
मुझे कौन ले कर जायेगा।
मैं आ गई हूँ न अब सारी जिम्मेदारी मेरी।
रीयमा ने म्यूजिक क्लब में नामांकन करवा दिया। धीरे -धीरे साल बीतने को आये। इसी बीच शहर में म्यूजिक कम्पटीशन होने वाला था। रीयमा ऋषव को ऑडिशन के लिए लेकर गई। ऋषव सेलेक्ट हो गया। इसके बाद वह हर मुकाम को पार करता हुआ। फाइनल में विनर घोसित किया गया। अब रीयमा को लगा की ऋषव मेरी जरूरत नहीं। अब वह समाज में सर उठाकर जी सकेगा। कोई इसे सहानभूति नहीं दिखएगा।
वह ज्यूँ हीं वापस जाने की बात करती है। ऋषव उसका हाथ थाम लेता है। क्या यूँ हीं बीच सफर साथ छोड़कर चल दोगी। मैं तो तुम्हारे साथ के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकता। रीयमा आँशु छलक। दोनों गले मिल ख़ुशी से रो पड़े।
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