It is a Hindi romantic story revolves around Vishal and Neha.They see each other and fall in love but couldn’t express their feelings to each other. Finally their destiny has something for them.
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Hindi Romantic Story – Do Dil Mil Hi Gaye
Photo credit: sullivan from morguefile.com
नमस्कार दोस्तो मै हु राहुल..नाम तो सुना ही होगा !!! वैसे मैं शाहरुख़ खान की फिल्मो वाला राहुल नहीं.. मैं तो भैया एक छोटा मोटा सा राइटर हु. और अपनी इस सतरंगी दुनिया मे आप सब का स्वागत करता हु.. जी हाँ सतरंगी दुनिया.. ये मेरी यानी की एक लेखक के सपनो की दुनिया है.. उसकी कल्पनाओ की उड़न है. जहा अलग अलग कॅरेक्टर्स अपने विविध रंगो के साथ मिल कर एक खूबसूरत रंग बिरंगी कहानी बनाते हैं. बहरहाल ये तो हुआ मेरा इंट्रोडक्शन …अब हम सीधे आते हैं हमारी आज की कहानी पर.. जिसका नाम है “आखिर दो दिल मिल ही गये ” .मेरी आज की कहानी एक हल्की फुल्की सी रोमॅंटिक कहानी है..
हमारी कहानी का हीरो है विशाल. 22-23 साल का एक नौजवान , 6 feet की हाइट , गोरा रंग, मजबूत काठी . कुल मिला कर एक आकर्षक व्यक्तित्वा का मालिक. जनाब वेस्ट बंगाल के एक प्रतिस्थित कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहे हैं. फाइनल ईयर है. ऑलरेडी एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी मे प्लेसमेंट हो चुकी है. हालाकी इनका घर पटना मे है. 3 लोगो की एक छोटी सी फैमिली है इनकी. इनके माता पिता और ये. ये तो हो गया hero का इंट्रोडक्शन.
अब इस कहानी को आगे बढ़ाने के लिये हमे फ़्लैश बैक मे जाना होगा. करीब 6 महीने पहले.विशाल सेमेस्टर ब्रेक मे अपने घर यानी पटना आया हुआ है. घर आते ही फैमिली वालो की उसुअल रिअक्शंस चालू हो ग्ये .. माँ कह रही है मेरा बेटा कितना दुबला हो गया .. ढंग का खाना पीना भी नहीं मिलता मेरे बच्चे को. उफ्फ्फ हमारे देश की स्वीट इनोसेंट मॉम्स , बेटा अगर ग्रेट खली भी हो फिर भी उन्हे वो दुबला ही लगेगा. उधेर डैड ” एग्जाम कैसा ग्या ” पढ़ाई लिखाई अच्छे से कर रहा है या नहीं ? वगैरह वगैरह. मॉं डैड के इंटरव्यू राउंड्स खत म होने के बाद ही विशाल बाबू ने चैन की सांस ली.
अगले दिन : शाम का वक़्त. खुसनुमा मौसम. मधम मधम हवाएं चल रही है.. आस पास के पेड़ो की टहणीआ और शाखाएं हवाओं के साथ झूम रही है. विशाल अपने घर की छत पे बैठा है.. .. कानो मे माइक्रोफोन . शायद संगीत का आनंद उठाया जा रहा है. जी हाँ वो किसी गाने की कुछ पंक्तियाँ गुनगुना भी रहा है. अचानक उसकी नजर एक जगह टिक जाती है..सामने का एक घर. उसकी छत . छत पे एक खूबसूरत सी लड़की. लम्बे लम्बे बाल एक दम रेशम जैसे. बड़ी बड़ी आँखें. प्यारा सा चेहरा.. और उस चेहरे पे एक प्यारी सी मुस्कान. लगभग Vishal की हम उमर ही लग रही है.
ये है हमारी कहानी की हीरोइन .. नेहा. विशाल के लिये एक दम अंजान. अरे भाई अंजान तो होगी ही ना.. अभी पिछले वीक ही तो उसकी फॅमिली देहरादून से यहा शिफ्ट हुई है.. उसके डैड का यहा ट्रांसफर हुआ है.. तो हम बात कर रहे थे की विशाल की नजर नेहा पे परती है. हालाकी नेहा इस बात से बेखबर है. वो तो पैंटिंग बोर्ड पे लगे कॅन्वस पे कोई चित्रा बना रही है . जी हन नेहा की पैंटिंग मे काफी गहरी रुचि है. हालाकी विशाल का दिल जोरो से धड़क रहा है. उसकी हार्टबीट्स ने शताब्दी एक्सप्रेस की रफ़्तार पकड़ रखी है.. सोच रहा है ” क्या इतना खूबसूरत भी कोई हो सकता है” पहली नजर वाला प्यार हो ग्या है हमारे हीरो को . संयोग वस नेहा की नजर भी विशाल पे पार्टी है.. वो मुस्कुराती है.. विशाल भी मुस्कुरा कर रेस्पॉन्स देता है. फिर निगाहें हटा लेता है.. हालाकी उसका दिल तो कर रहा है नेहा को घंटो ऐसे ही देखते रहने का . पर क्या करे, नेहा क्या सोचेगी. कही ये ना समझ ले की कोई लफंगा है. हालाकी अगले ही पल वो फिर नेहा की तरफ देखता है. और झेप जाता है क्यूंकि नेहा भी उसकी तरफ ही देख रही है.. वो भी झेप जाती है. अचानक से नेहा की मॉं के बुलाने पे वो नीचे चली जाती है.. पर अपना विशाल .. वो तो भैया सातवें आसमान पर है अभी .
अगले दिन फिर से ठीक उसी वक़्त विशाल अपने छत पे पहुच जाता है. और नेहा अस उसुअल अपनी पैंटिंग मे बिज़ी है. हालाकी बीच बीच मे चोर नजरो से विशाल की छत की तरफ भी देख लेती है.. भाई ये तो आग दोनो तरफ से बराबर की लगी हुई मालूम परती है.. पर दोनो की एक ही प्रोब्लम हैं. विशाल अपनी क्लास का सब से शर्मीला लड़का. और नेहा भी हालाकी विशाल के जितनी तो नहीं पर फिर भी शर्मीली तो है ही . विशाल को देख कर नेहा की आँखों मे चमक आ जाती है.. और ठीक वैसी ही चमक हम विशाल की आँखों मे भी देख सकते हैं. नेहा मुस्कुराती है.. विशाल भी मुस्कुराता है.. पर भाई कहानी इस से आगे तो बढ़ ही नहीं रही.. क्या यार विशाल . क्या इसी तरह बस एक दूसरे को देख देख के ज़िंदगी बीता देने का इरादा है ?? या फिर बात आगे भी बढ़ानी है.. ये लो भाई आज का दिन भी बस यूं ही गया ..
Day3 : विशाल अपने एक दोस्त के साथ बाइक से कही जा रहा है.. अचानक वो बाइक रोक देता है.. सामने ही थोरी दूर पर नेहा .. पानी पूरी का आनंद ले रही है.. नेहा की नजरें विशाल पे परती हैं.. वो मुस्कुराती है.. विशाल भी मुस्कुराता है.. इस बार नेहा थोरी जयादा दिलेरी दिखती है.. और लगातार विशाल को देख रही है.. पर शर्मीला विशाल , चोर नजरों से भी देखने के लिये काफी हिम्मत जुटाने की कोशिश कर रहा है.. अब वो यहा रुक भी नहीं सकता.. साथ मे उसका एक दोस्त जो है.. कही उसे कोई शक़ ना हो जाये. और फिर उसी के काम के लिये तो विशाल निकला था.. तो बस ना चाहते हुए भी उसे वहा से जाना परता है. और रिज़ल्ट ?? 0 बटा सन्नाटा ..
इस तरह से 15 दिन बीत जाते हैं और विशाल के सेमेस्टर ब्रेक खतम. विशाल वापिस चला जाता है. कुछ दिनो तक नेहा की नजरें उसकी ढूंढ़ती रहती हैं.. पर विशाल के ना दिखने पर वो समझ जाती है की शायद वो चला गया . कहा गया ये उसे मालूम नहीं.. अलग बात ही की कुछ दिनो मे दोनो परिवारो मे जान पहचान हो जाती है.. तब नेहा को पता चलता है की विशाल कोलकाता में रहकर अपनी स्टडी कर रहा है . वो थोरी मायूस तो होती है पर फिर इस बात से थोरी खुश भी होती है की फाइनल एअर कंप्लीट होने पर तो वो आयेगा ही.. या फिर क्या पता होली मे ही आ जाये. ***वक़्त गुजरता जाता है.. होली बीत जाती है.. विशाल नहीं आता.. नेहा बेसब्री से उसका इंतेज़ार कर रही है.. उसने इरादा कर लिया है की इस बार जैसे ही विशाल आयेगा, वो उस से अपने प्यार का इजहार कर देगी.. पर फिर ये भी सोचती है की क्या पता वो ऑलरेडी कही एंगजेड हुआ तो ?? उसकी कोई गर्ल फ्रेंड हुई तो ?? ये सोच कर उसकी हिम्मत थोरी कमजोर पर जाती है. आखिर वो दिन आ ही जाता है जब विशाल बाबू अपनी इंजिनियरिंग डिग्री कंप्लीट कर के घर आ जाते हैं.और हम भी फ़्लैश बैक से बाहर आ जाते हैं .उसे 2 हफ़्ते बाद ही जॉब जाय्न करनी है डेल्ही मे..पर विशाल को जयादा खुशी है घर आने की.. क्यूंकि नेहा जो मिलेगी यहा.. फिर से वहीछत .. विशाल और नेहा अपने अपने घरो की छतों पर.. फिर से एक दूसरे को देखने का सिलसिला चालू.. हालाकी विशाल ये सोच कर आया है की इस बार वो बात आगे बढ़ा के ही दम लेगा.. पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा . घंटो एक दूसरे को निहारते रहना.. पर जब भी कही उनका आमना सामना होता दोनो बस एक दूसरे को चोर नजरो से देख के आगे बढ़ जाते .. और फिर अफसोस करते की उफ्फ कितना अच्छा मौका था उस से बात करने का.. अच्छा कोई बात नहीं नेक्स्ट टाइम पक्का बात कर लेंगे .. पर वो नेक्स्ट टाइम कभी आता ही नहीं.. विशाल देल्ही चला जाता है.. पर वो नेहा को भूल नहीं पता.. सोचता है की काश उसका नंबर मिल जाता . काश नेहा भी देल्ही आ जाती .. और भी जाने क्या क्या .. पर भाई बिना प्रयास किये कहा कुच्छ मिलता है किसी को,.
पर अब विशाल को एक चौकाने वाली खबर मिलती है.. उसकी शादी के लिये एक रिश्ता आया है.. माँ कहती है के बेटा लड़की का फोटो बायोडाटा मेल कर दिया है तुम्हे.. देख के बताना अगर पसंद आ जाये तो .. पर विशाल नेहा को छोर किसी और के बारे मे कहा कुच्छ सोचने वाला. वो बोल देता है की मम्मा अभी मुझे शादी नहीं करनी.. अभी अभी तो मैने जॉब जाय्न की है.. मम्मा कहती है बेटा बहुत अच्छा रिश्ता है.. लड़की वेल एजुकेटेड और बहुत ही खूबसूरत है..तूने तो उसे देखा ही होगा .. विशाल कहता है मैने देखा है ?? कौन ?? किसे ?? कब देखा है ?? माँ कहती है बेटा वही पड़ोस वाले वर्मा साहब की बेटी नेहा.. पड़ोस वाले वर्मा साहब .. नेहा.. कही ये वही नेहा तो नहीं .. वो तुरंत ही अपना लॅपटॉप ओपन करता है.. इ-मेल मे लॉग इन करता है.. फोटो पर क्लिक.. दिल जोड़ो से धड़क रहा है.. नेट की स्पीड स्लो है.. फोटो धीरे धीरे खुल रहा है.. चेहरा दिख रहा है.. विशाल उच्छल परता है .. अरे ये तो मेरी नेहा है .. हाँ सिर्फ मेरी .उसकी आँखों में आंसू आ जाते हैं .. वो तुरंत अपने मॉम डैड को फ़ोन कर के कहता है की उसे लड़की पसंद है .. अगले वीक ही उसे घर बुलाया जाता है .. नेहा और उसके परिवार से मिलने के लिए ..नेहा और विशाल बैठे हैं . दोनों एक दूसरे को देखते हैं .. मुस्कुराते हैं .. नेहा कहती है ” यार अब तो कुछ बोलो “.दोनों हँस परते हैं ..
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