रास्तें हैं प्यार के
किसी खूबसूरत ग़ज़ल की तरह ही है सुनहरी और प्रिंस की कहानी।उनके सच्चे प्यार की।
सुनहरी एक बेहद खूबसूरत लड़की।जो अपने नाम की ही तरह बहुत सुंदर थी, उसके सोने जैसे बाल, बड़ी बड़ी कजरारी आंखें,गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ।जो भी उसे देखता बस देखता ही रह जाता।
हर लड़की की तरह सुनहरी के भी कुछ अरमान थे,सपने थे।वो अक्सर अकेले तन्हाई में सोचा करती थी कि उसकी जिंदगी में एक दिन उसका राजकुमार आएगा जो उसे बहुत प्यार करेगा, उसे राजकुमारी बना के रखेगा।
सुनहरी के घर के पास एक नदी थी,सुनहरी रोज़ शाम को उस नदी के किनारे जाके बैठा करती थी और सपने सँजोती थी।
एक दिन जब हमेशा की तरह सुनहरी नदी के किनारे बैठी अपने सपनो में खोई हुई थी तभी उसे किसी के चीखने की आवाज़ आयी,उसने घबरा के आस पास देखा उसे कुछ नही दिखा तभी दुबारा वही आवाज़ आयी अब सुनहरी आवाज़ की तरफ बडी।
थोड़ी दूर जाने पर उसने देखा एक एक लड़का जो नीचे गिर हुआ था उसके पैर में चोट लगी हुई थी पास ही उसका घोड़ा खड़ा था जो जो पत्थर से टकराने की वजह से संतुलन बिगड़ जाने से अपने सवार को गिरा दिया था।
सुनहरी दौड़ कर पास गई तो देखा एक बहुत खूबरसूरत लड़का ,जो कुछ कुछ उसके खयालों जैसा था उसके सामने था।
सुनहरी ने कहा मैं आपकी कुछ मदद करूँ।वो लड़का तो बेसुध होक सुनहरी को देखे जा रहा था सुनहरी भी उसकी तरफ खिंची जा रही थी
फिर जब उनका सम्मोहन टूटा तो सुनहरी ने सहारा देके उसे उठाया और कहा पास ही मेरा घर है आप वहा चलिये मैं दवा लगा दूंगी ,उसने सहमति में सर हिलाया और दोनों चल पड़े, घर पहुच कर सुनहरी ने अपनी माँ को सब हाल बतया माँ ने कहा ठीक किया दवा लगा दो।सुनहरी ने दवा लगा के पट्टी बांध दी।
और आराम करने को कह के बाहर निकल गयी।थोड़ी देर बाद आई तो उसके हाथों में खाना था ,सुनहरी ने कहा आप खाना खा लीजीये।लड़के ने पूछा आपका नाम क्या है उसने कहा सुनहरी ।लड़के ने कहा आपने मेरी बहुत मदद की आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
सुनहरी सिर्फ मुस्कुराई।सुनहरी ने पूछा आप कौन है ,लड़के ने कहा मेरा नाम प्रिंस है मैं यही पास एक नगर में रहता हूँ अपने दोस्त की शादी से वापस आ रहा था,और रास्ते मे ये सब हो गया वो तो आपने मेरी मदद की वरना ना जाने क्या होता।
और फिर प्रिंस ने उसे शुक्रिया कहा और चल पड़ा अपने घर की तरफ।सुनहरी उसे देखती रही वो भी मुड़ मुड़ के सुनहरी को देख रहा था दोनो की आंखों में कई सवाल थे,और देखते देखते वो आंखों से ओझल हो गया
अब सुनहरी को अपना राजकुमार मिल गया था वो हर वक़्त उसे याद करती उसके ही बारे में सोचती, इधर प्रिंस भी सुनहरी को एक पल के लिये भी अपने खयालो से निकाल नही पा रहा था।।
चल दिया वो मिलने सुनहरी से,उधर सुनहरी भी पलकें बिछाए उसकी राह देख रही थी।प्रिंस को आता देख उसकी आँखें चमक उठी।प्रिंस पास आया ,दोनो एक दूसरे के सामने थे,दोनो का दिल बहुत तेज़ धड़क रहा था।प्रिंस ने कहा सुनहरी मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, सुनहरी को तो जैसे यही सुनने का इंतजार था उसमें शर्माते हुए कहा मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हूँ।
बस फिर क्या था घर वालों को भी कोई एतराज़ नही था प्रिंस और सुनहरी की शादी हो गयी।दोनो एक हो गए,ऐसा लगता दोनो को मानो सारा जहान मिल गया हो।
कुछ दिनों बाद प्रिंस को किसी काम के सिलसिले में नगर से बाहर जाना पड़ा, सुनहरी ने बहुत उदास मन से विदा किया,बहुत जल्दी लौट आऊंगा ये वादा करके प्रिंस चला गया।
अचानक एक दिन बहुत भयानक बाढ़ आई पूरा नगर बर्बाद हो गया बहुत लोग मारे गए बहुत ना जाने कहा पानी के बहाव के साथ बह गए।
सुनहरी भी नदी के बहुत तेज़ बहाव में बह गई।
जब सब कुछ थमा तो सुनहरी ने अपने आपको एक अनजान जगह पे पाया,उसके पास एक बूढ़ी औरत बैठी थी ,उसने बताया बेटी तुम मुझे घायल हालत में नदी के किनारे मिली थी।भगवान धन्यवाद करो कि तुम बच गयी।
सुनहरी फूट फूट कर रोने लगी कि अपने प्रिंस के बिना उसे ये जिंदगी नही चाहिए।उसे समझ नही आ रहा था कि वो कैसे पहुचे।
बड़ी औरत ने कहा बेटी भरोसा रख एक दिन सब ठीक हो जाएगा।
सुनहरी इसी उम्मीद पे रहने लगी कि एक दिन उसका प्रिंस उसे ज़रूर ढूंढ लेगा,अगर उसका प्यार सच्चा है।
उधर प्रिंस जब वापस आया तो ये सब देखकर बहुत परेशान हुआ, उसने हर तरफ सुनहरी को ढूंढा, सबसे पूछा पर कुछ पता ना चला।
इधर सुनहरी रोज़ नदी के किनारे बैठ कर रोते हुए प्रिंस को याद करती,एक दिन सुनहरी ने अपना एक बाल तोड़ के एक पत्ते पे यहाँ का पता लिख के अपना बाल रख के बडी उम्मीद के साथ नदी में बहा दिया।
भगवान की मर्ज़ी भी यही थी कि दो सच्चे प्यार करने वाले मिल जाये।
प्रिंस सुनहरी की याद में अक्सर नदी के किनारे बैठा करता था,एक शाम जब वो नदी के किनारे बैठा सुनहरी को याद कर रहा था तभी उसकी नज़र बहते हुए पत्ते पर गई, उसने वो पत्ता उठाया और सुनहरी का बाल और पता देख कर सुनहरी का सन्देशा समझते देर न लगी।
वो तुरंत उस पते को ढूंढते हुए चल पड़ा।
बहुत ढूंढने पर उसे वो जगह मिली ,और नदी के किनारे उसने उदास सुनहरी को बैठे पाया।
दोनो एक दूसरे को देख के मारे खुशी के चिल्ला उठे,भीगी पलको से एक दूसरे के गले लगें।दोनो फूट फूट के रोये मगर ये मिलन और खुशी के आँसू थे।सच्चे प्यार की जीत हुई,इसीलिए कहते है जब हम किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो सारी कायनात मिलाने में लग जाती है।।।
–END–